रोज खाली बैठकर चले जाते हैं घर, कभी तो बोहनी तक नहीं हो रही

रोज खाली बैठकर चले जाते हैं घर, कभी तो बोहनी तक नहीं हो रही
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ट्रेनों की संख्या नहीं बढ़ी, तो भूख के बोझ से मर जाएंगे हम

ग्वालियर,न.सं.। कुछ दिन और गाडिय़ाँ नहीं चलीं तो कुली अपने परिवार की भूख के बोझ से मर जाएँगे.. ये हताशा भरे शब्द मुख्य रेलवे स्टेशन पर यात्रियों के सामानों का बोझ उठाने वाले मेहनतकश कुली राजेन्द्र सिंह, अब्दुल आमिर, बृजेश, बंटी, मोतीराम, सजीव, बलवंत, जीतेश, बलवीर, राय सिंह के हैं, जो काम न मिलने से परिवार की जीविका को लेकर चिंतित हैं। वैसे भी रेलवे बोर्ड के आदेश के बाद 12 अगस्त तक नई गाडिय़ों के नहीं चलाने के आदेश आने के बाद कुलियों की रोजी-रोटी को लेकर चिंता बढ़ गई है। ऐसे में अगर प्रशासन स्पेशल ट्रेनों को चलाने का निर्णय लेता है तो मेहनतकश कुलियों को कोरोना की महामारी के दौर में जीविका चलाने का अवसर मिल सकता है।

कुली का काम करने वाले राजेन्द्र ने बताया कि 1 जून से भले ही स्टेशन से ट्रेनों का गुजरना शुरु हो गया हो, लेकिन ट्रेनों में इतने कम यात्री यात्रा कर रहे हैं कि कुलियों से कोई यात्री सामान ही नहीं उठवा रहा है। जिसकी वजह से कई-कई दिनों तक बोहनी तक नहीं होती, बिना कमाई के खाली हाथ ही घर जाना पड़ता है। वहीं अन्य कुलियों ने बताया कि वैसे तो करीब 108 कुली मुख्य रेलवे स्टेशन पर काम करते हैं लेकिन लॉकडाउन के बाद से अब सिर्फ 10 कुली ही काम कर रहे हैं। सभी कुली दिन के हिसाब से स्टेशन पर आ रहे है। कुली दिन और रात की पालियों में काम कर रहे हैं, जो रात की पाली में काम कर रहे हैं, वे 100 रुपए भी कमाने को तरस रहे हैं। ऐसे में उनके परिवारों का पेट कैसे भरेगा, यह चिंता उन्हें भीतर ही भीतर खाए जा रही है।

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