24 पलंग के आईसीयू के भरोसे कोरोना संक्रमित मरीज
ग्वालियर, न.सं.। जिले में कोरोना दोगुनी रफ्तार से बढ़ रहा है। सितम्बर माह में अब तक संक्रमितों की संख्या 9 हजार के पार पहुंच गई है। उधर कोरोना से निाटने के लिए प्रशासन द्वारा भले ही तमाम दाबे किए जा रहे हैं। लेकिन अस्पतालों की व्यवस्थाएं देख प्रशासन के सारे दावे खोखले साबित हो रहे हैं। जिले में संक्रमित मरीज सिर्फ 50 वेंटीलेटरों के भरोसे हैं। प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिले में करीब एक हजार संक्रमितों को भर्ती करने की व्यवस्था की है। इसमें गंभीर मरीजों को जयारोग्य के सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में भर्ती किया जा रहा है। लेकिन कई संक्रमित मरीज ऐसे भी हैं, जिन्हें सांस लेने में परेशानी होने के साथ ही पूर्व से अन्य बीमारियां होती हैं। जिस कारण कई संक्रमित मरीजों को वेन्टीलेटर की भी जरूरत पड़ रही है।
सुपर स्पेशलिटी की बात करें तो यहां सिर्फ 24 पलंग का ही आईसीयू है। जबकि 150 अन्य सामान्य पलंग हैं। इसके अलावा वेन्टीलेटर की बात करें तो यहां करीब 50 ही हैं। जबकि वर्तमान में जिले में संक्रमितों की बात करें तो प्रतिदिन 250 से ऊपर नए संक्रमित सामने आ रहे हैं। जिनमें से करीब 50 मरीजों को वेन्टीलेटर की भी जरूरत पड़ रही है। यही कारण है कि संक्रमितों को मजबूरन निजी व दिल्ली के अस्पतालों में उपचार कराना पड़ रहा है। यह स्थिति तब है जब प्रतिदिन दो से तीन मरीजों की संक्रमण के कारण मौत हो रही है।
निर्देश के बाद भी शुरू नहीं हो सका आईसीयू
जिला अस्पताल की बात करें तो तीन माह पूर्व शासन द्वारा मुरार जिला अस्पताल में कोविड के मरीजों के लिए आईसीयू बनाने के निर्देश दिए थे। लेकिन बेकाबू हो चुके कोरोना के बाद भी प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारी अभी तक यही तय नहीं कर पाए हैं कि अस्पताल में आईसीयू कहा बनाया जाए। जबकि यहां कोरोना के मरीजों को सामान्य वार्डों में भर्ती किया जा रहा है।
ऑक्सीजन की भी नहीं पर्याप्त व्यवस्था
जिले में कोरोना संक्रमितों को भर्ती करने के लिए आईसोलेशन सेन्टरों की बात करें तो सेन्टरों पर सिर्फ पलंग डाल दिए गए हैं। जबकि कई संक्रमित मरीज को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती है। उसके बाद भी जिला अस्पताल, जयारोग्य के टीबी वार्ड व आईसोलेशन सेन्टर को छोड़कर किसी भी सेन्टर पर ऑक्सीजन की व्यवस्था ही नहीं है।
निजी में भी हो रही लूट
शासकीय अस्पतालों में संसाधनों की कमी का फायदा उठा कर निजी अस्पतालों के चिकित्सक मरीजों के साथ जमकर लूट कर रहे हैं। अगर कोई संक्रमित मरीज किसी निजी अस्पताल में भर्ती होता है तो उससे दस दिन में एक लाख रुपए तक का बिल थमा देते हैं।
स्थिति बिगडऩे पर किया जा रहा रैफर
इधर निजी अस्पतालों में कोरोना के संदिग्ध मरीजों को भर्ती कर उपचार दिया जा रहा है और जब मरीज की स्थिति बिगड़ती है तो सीधा सुपर स्पेशलिटी के लिए रैफर कर दिया जाता है। जिसको लेकर सुपर स्पेशलिटी के एक चिकित्सक ने शिकायत भी की है। लेकिन सीएमएचओ आंख बंद कर मरीजों को निजी अस्पतालों में लुटवा रहे हैं।