ग्वालियर में 1000 बिस्तर का अस्पताल बनने के पहले 3.85 करोड़ का घोटाला
ग्वालियर/राजीव अग्रवाल। जयारोग्य चिकित्सालय समूह को विस्तार देने के लिए ग्वालियर पॉटरीज की जमीन पर निर्माणाधाीन एक हजार बिस्तरों का अस्पताल अभी बनकर पूर्ण भी नहीं हुआ है, उसके पहले ही उसकी गुणवत्ता और अनियमितताएं उजागर होना शुरू हो गई हैं। खास बात यह है कि जो यंत्री इस अस्पताल का खड़े होकर निर्माण करा रहा है उसी ने वरिष्ठ यंत्रियों को चिट्ठी लिखकर न सिर्फ निर्माण की गुणवत्ता की पोल खोल दी है बल्कि यह तक लिख दिया है कि ठेकेदार को 3.85 करोड़ रुपए का अतिरिक्त भुगतान कर लाभ पहुँचा दिया गया है। इस पत्र से लोकनिर्माण विभाग पीआईयू के वरिष्ठ यंत्रियों में हड़कंप मच गया है। वे किसी भी तरह इस मामले को दबाने में लगे हुए हैं।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पीआईयू के परियोजना यंत्री पी.एन. रायपुरिया को 12 जुलाई 2021 को अतिरिक्त परियोजना संचालक लो.नि.वि. पीआईयू, परियोजना संचालक लो.नि.वि. क्रियान्वयन इकाई भोपाल, मुख्य अभियंता लोनिवि उत्तर परिक्षेत्र एवं संभागीय परियोजना यंत्री पीआईयू को 13 मदों और 10 टीप के साथ बेहद गंभीर तरीके से पत्र भेजे हैं। जिसमें 13 मदों में किए गए भुगतान को सिलसिलेवार ढंग से स्पष्ट किया गया है कि किस तरह गुणवत्ता का ख्याल रखे बगैर काम करने पर फर्जी भुगतान कर दिया गया।
152 करोड़ का हुआ भुगतान:-
ग्वालियर की अति महत्वपूर्ण योजनाओं में शामिल एक हजार बिस्तर के निर्माण की शुरूआत लगभग ढाई वर्ष पूर्व हुई। इसका ठेका गुजरात की मैसर्स जेपी स्ट्रक्चर प्रा. लि. राजकोट को मिला। 338 करोड़ लागत के इस कार्य को जून 2021 में पूर्ण होना था। इसके लिए ठेकेदार को 152 करोड़ का भुगतान किया जा चुका है।
शिकायत कर्ता को दिया नोटिस:-
इस मामले में परियोजनायंत्री का पत्र वायरल होने पर वरिष्ठ अधिकारियों में हडकंप मचा तो मुख्य अभियंता व्ही.के. अरख द्वारा शिकायत कर्ता पी.एन. रायपुरिया को नोटिस देकर जवाब तलब किया गया है कि जब आप ही दो वर्ष से इस कार्य को देख रहे थे तो पहले इस तरह की शिकायत क्यूं नहीं की। रायपुरिया के अलावा प्रवीण नामदेव एवं एसएन पचौरी को भी नोटिस मिले हैं। साथ ही संभागीय परियोजना यंत्री प्रदीप अष्टपुत्रे से भी पूरे मामले में प्रतिवेदन मांगा गया है।