कफन का कपड़ा नहीं कलेजा कट जाता है जब कोई कोरोना से मरता है
ग्वालियर/वेब डेस्क। दुकानदार कोई भी हो वह चाहता है कि उसकी दुकान पर अधिक से अधिक ग्राहक आएं और सामान की खूब बिक्री हो। साथ ही मोटी कमाई भी हो, लेकिन शहर में कुछ दुकानदार ऐसे भी हैं जो कमाई से अधिक मानवीय संवेदनाओं को समझकर लोगों की मदद करते हैं। कोरोना काल एक ऐसा काल था, जिसमें कई लोग कोरोना की वजह से मरे। कफन का सामान बेचने वालों के यहां कफन का कपड़ा लेने वालों की भीड़ लग गई। लोग देर रातों में भी वहां सामान लेने के लिए पहुँचे। एक-एक दिन में 30 से 40 कफन के कपड़े काटने पड़े। कफन का कपड़ा बेचने वाले पवन खण्डेलवाल का कहना है कि मैंने अपने जीवन में ऐसा दौर कभी नहीं देखा कि एक-एक दिन में कफन के इतने कपड़े काटने पड़े हों। पवन ने कहा कि जब कोरोना से मरने वालों के लिए हम कफन का कपड़ा काटते थे तो कलेजा सा कट जाता था। लेकिन अब ईश्वर की कृपा से चार या पांच लोग ही यह सामान लेने के लिए आते हैं, जिससे मन को बड़ा सुकून मिलता है। पवन ने दुखी मन से कहा कि मेरी तो भगवान से यही प्रार्थना है कि ऐसा दौर अब कभी देखने को न मिले।
ग्वालियर शहर में कफन का कपड़ा बेचने वालों की दुकानें बहुत ही कम हैं। महाराज बाड़ा के समीप स्थित खासगी बाजार में मदनलाल खण्डेलवाल के नाम से मात्र एक ही दुकान है। इस दुकान पर दाह संस्कार का पूरा सामान मिलता है। दुकान के बाहर लाल रंग से संपर्क नंबर लिखवाकर रखे हैं, जिससे 24 घण्टे में कोई भी आए उसकी मदद की जा सके। पवन ने कहा कि हमें ऐसी अधिक कमाई करके अमीर नहीं बनाना जो लोगों की मौत से हो। इसीलिए हम बाजार से 300 से 400 रुपए कम दामों पर इस सामान की बिक्री करते हैं। इसके साथ ही ऐसे जरूरतमंद जिनके पास देने के पूरे पैसे नहीं होते हैं उन्हें भी हम सेवा भाव समझकर पूरा सामान उपलब्ध करा देते हैं। हां ऐसी मदद करके दुआ जरूर मिलती है। पवन ने बताया कि हमारी यह दुकान राजा-महाराजा के समय की है।
1200 रुपए में पूरा सामान देते हैं
पवन ने बताया कि हम 1200 रुपए में दाह संस्कार का पूरा सामान उपलब्ध कराते हैं, जिसमें घी, कपूर, रार, शक्कर, जौ का आटा, पांच मीटर कपड़ा, बांस आदि शामिल हैं। जबकि बाजार में इसी सामान के 1700 रुपए तक लिए जा रहे हैं। पवन ने बताया कि हम अपनी सेवा 24 घण्टे देते हैं। कोरोना काल में भी लोगों ने रात में दो-दो बजे आकर हमसे सामान लिया है।