Gwalior : लोकार्पण के दस दिन बाद मरीजों के लिए नहीं खुल सके मुरार जिला अस्पताल के द्वार
ग्वालियर। जिले की स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर होने के भले ही तमाम दावे किए जाते हैं, लेकिन हकीकत एकदम उलट है। अस्पताल में पहुंचने वाले मरीजों को चिकित्सक को दिखाने से लेकर दवा तक के लिए परेशान होना पड़ रहा है। जिसका उदाहरण मुरार जिला अस्पताल ही है। जिसका जल्दबाजी में लोकार्पण को करा दिया गया, लेकिन लोकार्पण के दस दिन बाद भी अस्पताल शुरू नहीं हो सका।
दरअसल जिला अस्पताल में मुरार के अलावा ग्रामीण क्षेत्र से बढ़ी संख्या में मरीज उपचार के लिए पहुंचते हैं। लेकिन निर्माण कार्य के चलते अस्पताल की स्वास्थ्य सुविधाएं 13 सितम्बर को पूरी तरह बंद कर दी गई और अस्पताल बंद होने की सूचना भी द्वार पर चस्पा की गई। अस्पताल बंद करते समय अधिकारियों ने कहा था कि पन्द्रह दिन के लिए बंद किया जा रहा है, इसके बाद मरीजों को भर्ती करना शुरू कर दिया जाएगा। इतना ही नहीं अस्पताल का काम पूरा हुआ नहीं और जिम्मेदारों ने 30 सितम्बर को केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से लोकार्पण भी कर लिया। लेकिन लोकार्पण के आज दस दिन बीत जाने के बाद भी अस्पताल के द्वार मरीजों के लिए नहीं खोजे जा सके। उधर अस्पताल प्रबंधन के जिम्मेदारों का कहना है कि 8 दिन बाद यहां पर मरीजों को भर्ती करने की सुविधा शुरू कर दी जाएगी। इसके 10 दिन बाद हम यहां पर ओपीडी सुविधा की शुरूआत कर देंगे। जबकि हकीकत यह है कि निर्माण कार्य जिस रफ्तार से चल रहा है, उस हिसाब से अक्टूबर माह में भी आईपीडी तो दूर ओपीडी भी शुरू नहीं हो पाएगी।
लोकार्पण के बाद रफ्तार हुई धीमी
लोकार्पण के पूर्व अस्पताल में निर्माण कार्य रफ्तार से किया जा रहा था। अस्पताल को बाहर से चमकाने के लिए दिन रात रंगाई पुताई का काम किया गया। लेकिन लोकार्पण के बाद अब फिर से निर्माण कार्य की रफ्तार धीमी पड़ गई है। उसके बाद भी जिम्मेदार इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे।
सिविल अस्पताल में भी नहीं मिल रहा उपचार
इधर जिला अस्पताल बंद होने के बाद मरीजों को सिविल अस्पताल व जयारोग्य रैफर किया जा रहा है। लेकिन जयारोग्य में पूर्व से ही मरीजों का अधिक भार होने के कारण मरीजों को जमीन पर लेट कर उपचार कराना पड़ रहा है। उधर सिविल अस्पताल की बात करें तो यहां के चिकित्सक मरीजों को भर्ती करने की जगह रैफर कर रहे हैं। जिस कारण मरीजों व उनके परिजनों को भारी परेशानी उठानी पड़ रही है।