ग्वालियर में माता-पिता की पहचान के लिए होगा डीएनए टेस्ट, कानूनी प्रक्रिया से मिलेगा दूध मुंहा मासूम
ग्वालियर। वैष्णव देवी के दर्शन कर झांसी जा रहे छतरपुर के रहने वाले उमेश अहिरवार का दो माह का दूध मुंहा मासूम मालवा एक्सप्रेस से गायब हो गया। जीआरपी ग्वालियर में दर्ज कराई शिकायत के मुताबिक उमेश पत्नी के साथ 6 अप्रैल की रात ट्रेन के स्लीपर कोच में सवार थे। ग्वालियर से डबरा के बीच रात 2 से 2.30 बजे के बीच नींद खुली तो बीच की बर्थ पर सो रही पत्नी के पास से बच्चा गायब था। यह बच्चा इंदौर के एक दंपती ने इंदौर जीआरपी को सौंप दिया है। बुधवार को ग्वालियर पुलिस के साथ बच्चे के माता-पिता भी इंदौर पहुंचे। इंदौर के जिन दंपती को बच्चा मिला उनसे भी पूछताछ की जा रही है। बच्चे को पुलिस-प्रशासन की निगरानी में संजीवनी संस्था में रखा गया है। संस्था ही बच्चे की देखभाल कर रही है।
मामले में अब माता-पिता को बच्चा कानूनी प्रक्रिया के तहत ही मिलेगा। ये पुष्टि होने पर ही बच्चा माता-पिता को सौंपा जाएगा कि वे ही उसके असली माता-पिता है। बाल कल्याण समिति के माध्यम से प्रक्रिया होती, लेकिन यह समिति फिलहाल भंंग चल रही है। ऐसे में अब इंदौर के जिलाधीश ही इस मामले में निर्णय लेंगे। बच्चे की पहचान के लिए माता-पिता का डीएनए टेस्ट भी कराया जाएगा। जांच के बाद पता चलेगा कि बच्चे के माता-पिता वहीं है या नहीं। हालांकि स्वदेश से चर्चा उमेश ने बताया कि बच्चा उन्हीं है इसकी पहचान कर ली है। लेकिन अवकाश के कारण बच्चा उन्हें नहीं मिला है।
पुलिस जांच में पता चला है कि इंदौर जीआरपी को बच्चा सौंपने वाले दंपती में से पति आईआईएम इंदौर में ट्रेनर है। बच्चे को लेकर आने के बाद वे अगले दिन ऑफिस चले गए थे। सुबह 1 से रात 9 बजे तक ऑफिस टाईम होने के कारण एक दिन बाद पुलिस के पास पहुंचे।
दंपती ने इंदौर जीआरपी को सौंपा था बच्चा
इंदौर के दंपती मथुरा-वृंदावन घूमने गए थे। उनके साथ बेटी भी थी। लौटते समय दंपती रात को आगरा से ट्रेन में सवार हुए। उनका रिजर्वेशन नहीं था। अन्य यात्रियों के ट्रेन से उतरने पर बर्थ खाली हुई तो पति बर्थ के ऊपर चढ़े। इस दौरान पैर के यहां कपड़ा में कुछ सामान बंधा देखा। हाथ लगाया तो उसमें दो महीने का बच्चा था। दंपती ने ट्रेन में बच्चे के बारे में ट्रेन में पूछताछ की। लेकिन किसी भी यात्री ने दावा नहीं किया की बच्चा उनका है। करीब तीन घंटे बाद दो लडक़े आए और बच्चा मांगने लगे। दंपती ने आधार कार्ड दिखाने और बच्चे की मां को बुलाने के लिए कहा तो लडक़े धमकाते हुए गए और कहा कि अभी आते हैं।
जब काफी देर तक कोई नहीं आया तो धमकी के डर से दंपती ललितपुर में ट्रेन से उतरे बस से भोपाल आए। रास्ते में बच्चे को दूध पिलाया। उसकी देखभाल करते रहे। भोपाल से दंपती कार से इंदौर आए। 6 अप्रैल की रात को दंपती इंदौर आ गए। अगले दिन 7 अप्रैल को पति काम पर चले गए। रात को 9 बजे लौटे। 8 तारीख को पति-पत्नी इंदौर जीआरपी थाने पहुंचे और बच्चे के बारे में पुलिस को जानकारी दी।