रोग छोटा लेकिन मानसिक पीड़ा बहुत बड़ी

रोग छोटा लेकिन मानसिक पीड़ा बहुत बड़ी
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ग्वालियर, न.सं.। कोरोना को हराने के लिए सावधानी बरतना बहुत जरूरी हैं। क्योंकि कोरोना रोग जिनता बड़ा नहीं है, जितना संक्रमण होने के बाद मानसिक पीड़ा उठानी पड़ती है। यह कहना है जीवाजी विश्वविद्यालय के सह प्राध्यापक डॉ. राजेन्द्र खटीक का।

डॉ. खटीक 10 जुलाई को संक्रमित निकले थे। इसलिए वह केडीजे अस्पताल द्वारा संचालित होटल रीजेंसी में भर्ती हुए थे। उन्होंने बताया कि सुबह सबसे पहले योग और व्यायाम करता था, जिसके बाद नाश्ता और खाना। शाम को भी होटल के गार्डन में व्यायाम करते थे। इसलिए अब वह पूरी तरह ठीक हैं और घर पर ही क्वारेन्टाइन हैं। डॉ. खटीक का कहना है कि कोरोना खतरनाक इसलिए भी है कि संक्रमित को मानसिक पीड़ा उठानी पड़ती है। क्योंकि संक्रमित के परिवार के सदस्य भी दूरी बना लेते हैं। इसलिए कोरोना को हराने के लिए सामाजिक दूरी का पालन करने के साथ ही अति आवश्यक कार्य से ही घर से निकलें। संक्रमण के दौरान मानसिक रूप से बहुत ज्यादा परेशान होना पड़ा। हालांकि नियमित व्यायाम और दवाइयों से आराम मिल गया। मैं सभी लोगों से यही अपील करना चाहूंगा कि कोरोना से घबराएं नहीं बल्कि धैर्य रखें व अपनी दिनचर्या बदलें। सामाजिक दूरी के साथ-साथ घर से बाहर निकलने पर मास्क अवश्य पहनें।

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