गर्मी से चिकित्सक बेहाल, पीपीई किट में घुट रहा दम
ग्वालियर, न.सं.। गर्मी धीरे-धीरे अपने चरम पर पहुंच रही है। भीषण गर्मी व लू के चलते आम जन-जीवन भी अस्त-व्यस्त नजर आ रहा है। शनिवार को भी बदन झुलसाने वाली गर्मी रही और पारा 46 तक पहुंच गया। इस गर्मी में दो मिनट खड़े रहने पर ही शरीर से पसीना निकलना शुरू हो जाता है। लेकिन इस गर्मी में चिकित्सक, नर्सिंग स्टॉफ सहित अन्य स्वास्थ्यकर्मी कोरोना वायरस के संक्रमण को हराने के लिए मुस्तैदी से लगे हुए हैं। अस्पताल में पदस्थ व ग्रामीण क्षेत्रों सहित क्वारेन्टाइन सेन्टरों में नमूने लेने जाने वाले इन चिकित्सकों व स्वास्थ्यकर्मियों का पूरा शरीर पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्यूपमेंट (पीपीई) किट से ढंका रहता है। जिस कारण पसीने से किट के भीतर पहने कपड़े पूरी तरह भीग जाते हैं और दम घुटने लगता है। लेकिन चेहरे पर शिकन के बजाय मुस्कान और आंखों में कोरोना से जंग का मौका मिलने पर गर्व का भाव रहता है।
जिला अस्पताल में पदस्थ डॉ. हरेन्द्र सिंह ने बताया कि पीपीई किट में सबसे ज्यादा परेशानी उस समय होती है जब ग्रामीण क्षेत्रों में नमूने लेने के लिए जाते हैं। किट अंदर से बहुत गर्म होती है। इसलिए बहुत जल्दी डी-हाईडे्रशन होने लगता है, लेकिन किट में बार-बार पानी भी नहीं पी सकते। उन्होंने बताया कि कई बार तो ग्रमीण क्षेत्रों में घर के बाहर ही कुर्सी लगाकर संदिग्ध मरीजों के नमूने लेने पड़ते हैं, इसलिए सभी स्टॉफ को यह कहा गया है कि पीपीई किट पहनने से पहले इलेक्ट्रोल व पानी पी लें, जिससे डी-हाईडे्रसन न हो। इसी तरह पीपीई किट के साथ ग्लब्स व हेड मास्क भी लगाना पड़ता है, जिसमें हवा तक नहीं आती।
11 बजे के बाद होती है ज्यादा गर्मी
जिला अस्पताल व जयारोग्य चिकित्सालय में सुबह से ही नमूने लेने का काम शुरू हो जाता है। इसलिए सुबह 11 बजे तक तो चिकित्सकों को ज्यादा परेशानी नहीं होती। लेकिन 11 से दोपहर 4 बजे के बीच इनकी परेशानी बढ़ जाती है। इस समय इतनी ज्यादा गर्मी लगती है कि अंदर पहने कपड़े तक भीग जाते हैं। चिकित्सकों का कहना है कि किट में इतनी ज्यादा गर्मी लगती है कि उतारने का मन करता है, लेकिन किट उतारी जाती है तो कोरोना संक्रमण का खतरा बना रहता है।