Gwalior : माधव पुस्तकालय का नहीं हो सका उद्धार, बना मूत्रालय

Gwalior : माधव पुस्तकालय का नहीं हो सका उद्धार, बना मूत्रालय
माधव पुस्तकालय से पुस्तकें, फर्नीचर और खिलौने हुए चोरी

ग्वालियर। राम मंदिर चौराहा शहर के व्यस्ततम स्थलों में से एक है लेकिन यहां से गुजरने वालों की निगाहें टूटी-फूटी इमारत पर पड़ती है तो चौंक जाते हैं कि यह कैसा स्मार्ट शहर है। दरअसल माधव पुस्तकालय भवन को 13 वर्ष पूर्व जिला प्रशासन और नगर निगम ने सडक़ चौड़ीकरण के लिए तोड़ा था, लेकिन आज वह मूत्रालय बन चुुका है। क्योंकि न तो नगर निगम इसकी चिन्ता कर रहा है और न ही प्रबंधन। रात के समय यहां पर असामाजिक तत्व नशा करने के लिए आते हंै। जबकि दिन में आवारा पशु यहां बैठे रहते हंै। पुस्तकालय प्रबंधन ने न्यायालय से स्थगन ले रहा है। इसलिए इसका रखरखाव करने से दोनों पक्ष पल्ला झाड़ रहे हैं। यही कारण है कि शहर के मुख्य स्थल पर होने के बावजूद यह भवन न सिर्फ खंडहर में तब्दील है बल्कि लोगों ने इसे पेशाबघर बना डाला है, जो शहर के लिए एक बदनुमा दाग के समान दिखाई देता है। जबकि इसे शिवाजी पार्क से जोड़ दिया जाए तो ज्यादा ठीक रहेगा।


जानकारी के अनुसार 13 वर्ष पूर्व यानी वर्ष 2011 में तत्कालीन जिलाधीश आकाश त्रिपाठी एवं तत्कालीन निगमायुक्त एनबीएस राजपूत द्वारा शहर में बड़े पैमाने पर तुड़ाई कराई गई थी, जिसमें राम मंदिर चौराहे पर माधव पुस्तकालय का दो मंजिला भवन भी शामिल था। चूंकि नगर निगम द्वारा माधव पुस्तकालय को फालका बाजार पार्क के दो अलग-अलग भूखंड 821 एवं 391 वर्गफीट कुल 1212 वर्गफीट 13 अक्टूबर 1964 एवं 12 दिसंबर 1964 को 99 वर्ष की लीज पर दिए गए थे इसलिए इसका आवंटन तत्कालीन महापौर परिषद ने 21 फरवरी 2011 को संकल्प क्रमांक 301 के जरिए निरस्त कर दिया था। संपूर्ण आवंटन निरस्त करने का अधिकार निगम परिषद को है इसलिए 24 फरवरी 2011 को एमआईसी ने अपना प्रतिवेदन तत्कालीन आवश्यकता बताते हुए परिषद की स्वीकृति के लिए भेजा। किंतु 13 अप्रैल 2011 को परिषद की बैठक में यह विषय आने पर पार्षदों ने इस पर सहमति नहीं दी। चर्चा में यह बात सामने आई कि संबंधित पक्ष ने न्यायालय से स्थगन ले लिया है। इसलिए न्यायालय का निर्णय होने तक माधव पुस्तकालय को आवंटित भूमि की लीज निरस्त करने संबंधी प्रकरण को स्थगित रखा जाए। इस तरह नगर निगम से माधव पुस्तकालय को आवंटित भूमि की लीज निरस्त नहीं हो सकी। किंतु संबंधित विभाग और पुस्तकालय प्रबंधन ने भवन के जीर्ण शीर्ण होने के बाद कोई देखरेख नहीं की, जिससे यह जगह खंडहर के रूप में बदल गई है। इतना ही नहीं लोगों ने इसे शौचालय के रूप में उपयोग करना शुरू कर दिया है।

पुस्तकें,फर्नीचर और खिलौने हुए चोरी

पुस्तकालय के अध्यक्ष एवं पूर्व विधायक रमेश अग्रवाल का कहना है कि बड़े दुख कि बात है कि इस पुुस्तकालय को तोड़ा गया। इस पुस्तकालय में बड़ी संख्या में महिला और बच्चे अध्ययन करने एवं खेलने आया करते थे, लेकिन भवन तोड़े जाने के बाद किसी तरह की सुरक्षा व्यवस्था नहीं होने से यहां रखीं पुस्तकें, फर्नीचर, खेल खिलौने आदि चोरी चले गए।

न्यायालय से मिला स्टे समझौते के हो रहे प्रयास

सचिव संजय भार्गव ने बताया कि न्यायालय से स्टे मिला हुआ है, इसीलिए अभी इसको लेकर कोई भी निर्णय नहीं हो पा रहा है। नगर निगम और जिला प्रशासन द्वारा कई बार समझौते के प्रयास भी किए जा रहे हंै, लेकिन फिलहाल कोई निर्णय नहीं हो पा रहा है। पुस्तकालय की मुख्य शाखा टोपी बाजार में है, जबकि एक अन्य शाखा छत्री मंडी नाग देवता मंदिर के पास है, यह शाखा महिलाओं के लिए है, लेकिन बच्चों के लिए अब पुस्तकालय नहीं है।

ग्वालियर निगमायुक्त हर्ष सिंह ने कहा -

माधव पुस्तकालय मामले में प्रबंधन से चर्चा की जाएगी। न्यायालय की स्थिति को दिखवाकर इस जगह का उपयोग किया जाएगा।

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