बांग्लादेश से मिलकर हो रहा है 'सांसों का सौदा, पांच हजार कीमत की कोवीफोर सात हजार में

बांग्लादेश से मिलकर हो रहा है सांसों का सौदा, पांच हजार कीमत की कोवीफोर सात हजार में
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ग्वालियर, न.सं.। शहर में कोरोना के कोहराम के बीच कुछ ऐसे लोग भी हैं जो जान का सौदा कर रहे हैं। ये सौदागर महामारी की दवा रेमडेसिविर की कालाबाजारी करके उससे महंगे दामों में बेचकर मोटा मुनाफा कमा रहे हैं। मजे की बात यह है कि संक्रमण के बीच सांस लेने में होने वाली परेशानी को दूर करने के लिए यह दवा बांग्लादेश से मंगाई जा रही है। जबकि बांग्लादेश से इस दवा को मंगाने पर प्रतिबंध है। यह सारा मामला औषधि नियंत्रक की जानकारी में होने के बाद भी इस पर लगाम नहीं कसी जा रही है।

कोविड-19 वैक्सीन बनाने को लेकर दुनियाभर के देशों में शोध चल रहा है। अलग-अलग देशों में अलग-अलग दवाओं कोरोना मरीजों पर ट्रायल भी चल रहा है। इसी बीच रेमडेसिविर इंजेक्शन का उपयोग भी कोरोना संक्रमितों पर किया गया। जिसके नतीजे बेहतर आने के बाद आईसीएमआर ने इस इंजेक्शन की अनुमति भी दी है। इसी के चलते इस इंजेक्शन का उपयोग सुपर स्पेशलिटी में भर्ती मरीजों के लिए भी किया जा रहा है। लेकिन इस उपयोगी इंजेक्शन की कालाबाजारी भी शुरू हो गई है। बाजार में 5400 रुपए कीमत का कोवीफोर-100 नाम से आ रहा है। लेकिन इस इंजेक्शन को सात हजार रुपए तक में बेचा जा रहा है। इतना ही नहीं बांग्लादेश से फेरीबेन नाम से करोड़ों रुपए के इस इंजेक्शन को मंगाकर दवा बाजार में सिर्फ कुछ ही मेडिकल स्टोर पर गोपनीय रूप से बेचा जा रहा है। जबकि बांग्लादेश के इस इंजेक्शन को भारत में नहीं बेचा जा सकता।

निजी अस्पताल संचालक भी शामिल

बांग्लादेश के इस इंजेक्शन को खपाने में शहर के कई बड़े अस्पतालों का हाथ भी है। इस इंजेक्शन को सीधे मरीजों को न देते हुए गुपचुप रूप से अस्पताल तक पहुंचाया जाता है और मरीजों को महंगे दामों में लगाया जाता है।

दिल्ली व मुम्बई के रास्ते आ रहा शहर में

यह इंजेक्शन दिल्ली, मुम्बई व सूरत के रास्ते से शहर में मंगाया जा रहा है। इस इंजेक्शन को पहले इन बड़े शहरों में दवा व्यापारी मंगाते हैं। फिर इन दवा कारोबारियों के दलाल शहर के बड़े दवा व्यापारियों से बाद तक सप्लाई करते हैं।

कोरोना मरीजों को दिया जाता है यह इंजेक्शन

इस इंजेक्शन से कोरोना मरीजों को लाभ मिलता है। जिन मरीजों को सांस लेने में ज्यादा तकलीफ होती है, उन्हें यह इंजेक्शन दिया जाता है। जयारोग्य के सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में यह इंजेक्शन नि:शुल्क लगाया जा रहा है। जबकि निजी अस्पतालों में उपचार कराने वाले मरीजों को यह इंजेक्शन सात हजार तक की लगाई जा रही है।

क्या है रेमडेसिविर इंजेक्शन

रेमडेसिविर दवा को हेपेटाइटिस-सी के लिए विकसित किया गया था। इसके बाद इस दवा का उपयोग इबोला वायरस के उपचार में भी लिया गया। कोरोना के उपचार में भी इस इंजेक्शन का जब उपयोग किया गया तो पता चला कि यह दवा कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों को जल्दी ठीक कर सकती है।

सभी को नहीं दिया जाता है इंजेक्शन

इस इंजेक्शन सभी कोरोना संक्रमितों को नहीं लगाया जाता। इस इंजेक्शन की जरूरत सिर्फ उन्हीं मरीजों को पड़ती है जिनका ऑक्सीजन लगातार गिरता जाता है। चिकित्सकों के अनुसार इस इंजेक्शन का पाच से छह दिन का कोर्स होता है। इसमें पहले दिन दो व अन्य दिन एक-एक इंजेक्शन लगाया जाता है। लेकिन निजी अस्पतालों में यह इंजेक्शन सभी मरीजों को लगाया जा रहा है।

इनका कहना है.

शहर में अगर इस तरह से इंजेक्शन की कालाबाजारी हो रही है तो जांच कराकर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

-कौशलेन्द्र विक्रम सिंह, जिलाधीश ग्वालियर

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