कई नोटिसों के बाद छह वर्ष में नहीं लग सका एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट
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यह होता है खतरा
लिक्विड वेस्ट में बैक्टीरिया और रसायन होते हैं। ये अस्पतालों की सीवेज लाइन के जरिए नालों में मिलते हैं और अंत में कहीं न कहीं पेयजल स्त्रोतों से मिलते हैं। यह पानी पीने से पेट, स्किन और कैंसर की बीमारी हो सकती है।
कई तरह के निकलते हैं अपशिष्ट
* हाथ धोने वाले कैमिकल।
* ब्लड, मवाद।
* इंजेक्शन व आईवी फ्लूड।
* फर्श धोने में उपयोग होने वाला फिनाइल।
* फार्मेलीन, स्प्रिट व अन्य रसायन।
* सर्जरी और प्रसव के दौरान निकलने वाले फ्लूड।
यह होंगे फायदे
ईटीपी लगने के बाद जहां सीवर में संक्रमण पानी नहीं बहाया जाएगा। वहीं पानी संक्रमण रहित होने के बाद उपयोग में भी लिया जा सकेगा। ईटीपी प्लांट से पानी को संक्रमण रहित करने के लिए पेड़ों, फार्स धोने, कपड़े धोने के उपयोग में भी लिया जा सकता है।
इनका कहना है
ईटीपी प्लांट की मुझे अभी कोई जानकारी नहीं है। अगर इस तरह का कोई प्लांट अस्पताल में लगने का प्रस्ताव है तो उसकी फाइल दिखवा कर जल्द लगवाया जाएगा।
-डॉ. आर.के.एस. धाकड़
अधीक्षक, जयारोग्य चिकित्सालय