ग्वालियर - चंबल की डायरी, भोज व संवाद से चुनावी जमावट
ग्वालियर। यह चुनावनी साल है। ऐसे में ग्वालियर चंबल में राजनीति के खिलाडिय़ों की चिंता और व्यस्तता को समझा जा सकता है। टिकट की दौड़ में शामिल दिग्गज जहां अपना जनाधार बताने विभिन्न माध्यमों से शक्ति प्रदर्शन में जुटे हैं तो मौजूदा विधायकों को पहले टिकट बचाने और फिर सीट बचाने की फिक्र है। भोज और जनसंवाद के साथ अपने क्षेत्र के अधिकाधिक लोगों के बीच घुलने-मिलन के हर मौक का सदुपयोग किया जा रहा है। साडा के अध्यक्ष रहने के अलावा कमलदल में चुनाव प्रबंधन के महारथी माने जाने वाले बापू 23 मार्च को द्वारिकाधीश मंदिर पर एक बड़ा भोज रख रहे है, इसमें हर खासोआम को न्यौता गया है। उधर दक्षिण क्षेत्र में भांंजेश्री भी कुछ ज्यादा ही सक्रिय नजर आ रहे है। हांलाकि वे प्रत्यक्ष तौर पर कोई भोज इत्यादि नहीं दे रहे हैं लेकिन सार्वजनिक जलसों में उनकी मौजूदगी बढऩे से चर्चाएं गर्म है। इन भोजों व दीगर कार्यक्रमों की अंतरकथा भी तत्काल जाहिर हो जाती है। सिंधी कॉलोनी से रिसकर आ रही खबरों के मुताबिक भांजे श्री ने दक्षिण पूर्व दोनों के विकल्प खुले रखे हैं। वे पहले भी इन सीटों पर नुमाइंदगी कर चुके हैं। यह बात और है कि उन्हें लेकर संगठन ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले है। एक सैकड़ा से कुछ ही ज्यादा वोटों के अंतर से दक्षिण जीतकर विधानसभा में पहुंचे कांग्रेसी विधायक प्रवीण पाठक ने कुछ अलग ही अंदाज अपनाया है। वे लोगों को केबीसी की तर्ज पर च्कौन बनेगा चैम्पियनज् खिला रहे हैं और इनाम खिताब भी खूब बांट रहे हैं। मुरैना और शिवपुरी में भी कमोवेश ऐसा ही सिलसिला जारी था। लेकिन चंबल हादसे से फिलहाल इस पर विराम लग गया है। हालांकि लोगों का कहना है कि चुनाव एक दिन के भोज या केबीसी जैसे क्विज से नहीं लगातार पांच साल की "नॉन ब्रक एक्टिवनेस" से लड़े और जीत जाते हैं और टिकट भी इसी आधार पर मिलता है।
क्रिकेट के जरिए राजनीति !
क्या ग्वालियर के युवराज क्रिकेट के रास्ते सियासत के मैदान में उतर रहे हैं। युवराज ने हाल ही में ग्वालियर के स्टेडियम में बड़ा क्रिकेट टूर्नामेंट कराया था, इसी सिलसिले को वे अब ग्वालियर - चंबल की सरहद से बाहर ले जा रहे हैं। युवराज के दिशा निर्देशन में अब विश्व रिकॉर्ड रचने की तैयारी है, इस रिकॉर्ड को दर्ज करने के लिए वल्र्ड ग्रीन बुक की टीम भी क्रिकेट के मैदान में मौजूद रहेगी। ‘महाराज’ के वफादार माने जाने वाले मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने इसके लिए अपने विधानसभा क्षेत्र सुरखी के राहतगढ़ कस्बे को चुना है। इस 26 तारीख को यहां 609 टीमों के टूर्नामेंट का रिकॉर्ड बनेगा। दुनिया में यह पहली दफा होगा जब 10 हजार से ज्यादा खिलाड़ी टूर्नामेंट में शामिल होंगे। युवराज ग्वालियर में जीडीसीए की अहम जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। शंकरपुर में बन रहे अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम के निर्माण पर भी बारीक निगाह रखे हुए हैं। राजनीति की वीथिकाओं में चल रही चर्चाओं पर गौर करें तो अटकलें गर्म है कि क्रिकेट के जरिए राजनीति के पथ पर कदम रखने की तैयारी है। हालांकि भविष्य का रोडमैप बनाते समय सत्तादल में बनी एक परिवार से एक ही व्यक्ति को टिकट देने की गाइडलाइंस को भी मद्देनजर रखा जा रहा है।
मुरार छावनी की जनता की उम्मीदों पर फिर तुषारापात
अरसा बीत गया मुरार छावनी बोर्ड के चुनाव हुए। नए चुनाव की तारीख बार-बार आती है और फिर चुनावी कवायद शुरू होते ही स्थगित भी हो जाती है। इस महीने एक बार फिर से दिल्ली ने छावनी बोर्ड के चुनाव की तारीख का ऐलान किया। 30 अप्रैल को मतदान होना था जिसके लिए 24 मार्च तक पर्चे भरे जाना थे। कमलदल से लेकर हाथ और हाथी वालों ने चुनावी समर के रणबांकुरों के चयन के लिए मुरार केंटोनमेंट के सभी सात वार्डों में जनता के बीच जाकर सर्वे भी शुरू कर दिया था। संभावितों ने कलफ लगे कुर्ते पहनकर बैनर-पोस्टरों के लिए ऑर्डर दे दिए थे लेकिन ये सारी तैयारियां एक बार फिर से उस वक्त धरी रह गईं जब दिल्ली से फरमान जारी कर चुनावों को मुल्तवी कर दिया गया। अपना नया निजाम सुनने के लिए बेताव बैठी मुरार कैंटोनमेंट क्षेत्र की जनता की उम्मीदों पर यह तुषारापात ही है। छावनी बोर्ड में जनप्रतिनिधि न होने के कारण यहां के सात वार्डों की जनता को सीधे सेना अधिकारियों के नियंत्रण में ही रहना पड़ता है लेकिन जब बोर्ड में जनप्रतिनिधि बैठते हैं तो सनस्याएँ तुरत फुरत निबटने लगती हैं। लगता है कि जनता को अभी और इंतजार करना पड़ेगा...।
पीतांबरा नगरी को पीत रंग में रंगने की तैयारी में जुटे नारू दादा
खाकी वाले महकमे के वजीर मूल रूप से रहने वाले तो डबरा के हैं और यहाँ से कई मर्तबा जनता का आशीर्वाद हासिल कर विधानसभा में पहुंचे लेकिन उन्होंने जब से पीतांबरा माई की नगरी को अपना विधानसभा क्षेत्र बनाया है, तब से पीतांबरा नगरी को ही घर बना लिया है। कुछ माई की कृपा तो कुछ जनआशीर्वाद का सतत सिलसिला कि विपरीत परिस्थितियों में भी उन्हें पीतांबरा नगरी से चुनाव में विजय मिलती रही है। अब एक बार फिर दतिया नगरी पीत-रंग में रंगने जा रही है। मौका है 24 अप्रैल को पीतांबरा माई के प्रकटोत्सव का। इस दिन यहाँ पुरी के जगन्नाथ जी की तर्ज पर रथयात्रा निकलेगी। इस आयोजन की एक-एक व्यवस्था पर खुद मंत्री जी बारीकी से नजर रख रहे हैं। पीतांबरा माई का प्रकटोत्सव भव्यता से मनाने का सिलसिला पिछली साल शुरू हुआ था और इस वर्ष आयोजन का दूसरा सोपान है। शहर के 35 से ज्यादा होटलों, मैरिज गार्डनों को इस उत्सव में आने वाले हजारों श्रद्धालुओं के लिए निशुल्क खोलने की तैयारी है, जहाँ इनके रहने, भोजन की व्यवस्था मुफ्त रहेगी। चुनावी मैदान में मंत्री से बार-बार मात खाने वाले इसे चुनावी वर्ष की कवायद बता रहे हैं लेकिन यह शंका इसलिए खारिज हो जाती है क्योंकि पिछले साल भी यह आयोजन इतनी ही धूमधाम से मना था।
ट्रिपल-एस में खूब घुट रही
तस्वीर जाहिर कर रही है कि सूबे की भाजपा के तीन शीर्षस्थ नेताओं में खूब घुट रही है। पिछले हफ्ते दो दफा ऐसे मौके आए जब शिवराज, सिंधिया और वीडी शर्मा एक साथ यहाँ दौरे पर आए और एक संग ही कार्यक्रमों में शिरकत की। चाहे, श्योपुर में करोड़ों के विकासकार्य के लोकार्पंण और भूमिपूजन का वाकया हो या फिर कैलाशवासी माधवराव सिंधिया के जयन्ती उत्सव और शिवपुरी नेशनल पार्क में टाइगर छोडऩे का जलसा, ये तीनों नेता एक साथ ही नजर आए। महाराजपुरा एयरपोर्ट से जो तस्वीरें वायरल हुईं, उनमें ये तीनों नेता काफी खुशमिजाज अंदाज में नजर आ रहे हैं। सत्तादल के गलियारों में इस तिकड़ी को ट्रिपल-एस कहा जाने लगा है। जाहिर है कि सूबे में सत्ता व संगठन के दरम्यान तालमेल बिठाकर काम किया जा रहा है, मकसद मिशन- 2023 में कामयाबी हासिल करने का ही है। इस तिकड़ी का सेंट्रल कैबिनेट में बड़ी जिम्मेदारी संभाल रहे अंचल के एक और बड़े नेता नरेंद्र सिंह तोमर से भी समन्वय स्थापित है। कमलदल में एकता के फूल खिलने से कांग्रेसदल में चिंता बढऩा स्वाभाविक है।