स्वयंसिद्धा: मध्यमवर्ग के लिए उद्यमशीलता का पाठ

स्वयंसिद्धा: मध्यमवर्ग के लिए उद्यमशीलता का पाठ
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ग्वालियर/वेबडेस्क। उच्च शिक्षित श्रीमती महिमा तारे गणित की प्राध्यापिका रहीं हैं। सामाजिक क्षेत्र में आपका जुड़ाव था ही। इस बीच कोरोना महामारी के बाद देश में लॉकडाउन लग गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत का आह्वान किया ,वोकल फॉर लोकल जैसे आग्रह नागरिकों से किए।प्रधानमंत्री की अपील के साथ श्रीमती महिमा ने लॉकडाउन में महसूस किया कि लोग दैनिक आहार की तमाम चीजों के लिए परेशान हो रहे थे ।

इसी परिदृश्य ने स्वयंसिद्धा नामक नवाचार की नींव रख दी। श्रीमती महिमा तारे कहतीं हैं कि हर घरेलू महिला के पास एक हुनर है पर उनके मन में एक हिचक है और मंच का अभाव। स्वयंसिद्धा ऐसी ही महिलाओं के लिए एक मंच है। स्थानीय स्तर पर जल्दी खराब होने वाले खाद्य पदार्थों को पारंपरिक भारतीय जायके के साथ लोगों को उपलध कराने का विचार उन्होंने 5 महिलाओं को साथ लेकर शुरू किया।

स्वयंसिद्धा का कुल जमा 1135 रूपए के आंवले खरीद कर आरभ किया गया। इस नवाचार के पीछे मूल उद्देश्य पारपरिक भारतीय स्वाद और उत्पादों के लिए लोगों की बड़ी कपनियों पर निर्भरता को कम करने का प्रमुख है। देखते ही देखते यह समूह ग्वालियर शहर में ना केवल आंवले के उत्पादों वल्कि आलू के चिप्स से लेकर मराठी और पंजाबी उत्पादों के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाने में कामयाब रहा है। 23 किलो आंवले के साथ शुरू हुआ यह स्वयं सिद्धा का सहकार आज करीब 8 गुना ज्यादा उत्पादन के साथ ना केवल समूह से सीधे संबद्व महिलाओं के लिए बल्कि शहर के अन्य कामकाजी परिवार के लिए भी उत्पाद विक्रय का सहज प्लेटफार्म बनता जा रहा है। स्वयं सिद्धा एक सन्देश है मध्यवर्गीय समाज के लिए की वह कैसे झिझक छोड़कर न केवल खुद उधमी बन सकते है साथ ही समाज के तमाम जरूरतमंद लोगों को स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलध करा सकते हैं

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