चुनावी कार्य खत्म होने के बाद भी अधिकारी काम के प्रति नहीं दिखा रहे रूची
ग्वालियर, न.सं.। विधानसभा चुनाव खत्म होने के साथ ही आचार संहिता भी समाप्त हो चुकी है। इसके साथ ही कर्मचारियों से लेकर अधिकारी भी चुनावी कार्य से मुक्त हो चुके हैं। लेकिन चुनावी कार्य से मुक्त होने के बाद भी कर्मचारियों से लेकर अधिकारियों के काम करने की रफ्तार नहीं दिख रही है। यही कारण है कि जिले भर में राजस्व के लंबित प्रकरणों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। इसके अलावा आमजन भी छोटे-छोटे काम के लिए अधिकारियों के यहां चक्कर काट रहे हैं। दरअसल विधानसभा चुनाव के चलते जिले में 9 अक्टूबर को आचार संहिता लागू हो गई थी और चुनाव सम्पन्न होने के बाद 4 अक्टूबर को आचार संहिता समाप्त हुई थी।
लेकिन इन 56 दिनों में पूरा राजस्व अमला चुनाव कार्य में जुटा रहा और राजस्व के प्रकरणों के निराकरण में कोई रूची नहीं दिखाई। जिस कारण सबसे ज्यादा नामांतरण, बटांकन व सीमांकन के कार्य प्रभावित हुए हैं। नामांतरण की बात करें तो 14 हजार 264 प्रकरण लंबित है, जिसमें 1766 लोगों को 6 महीने से एक साल का समय हो गया है, लेकिन उनके नामांतरण नहीं हुए हैं। इतना ही नहीं अब आचार संहिता खत्म होने के बाद
लोग पटवारी व तहसील स्तर पर अपनी समस्या लेकर पहुंच रहे हैं, लेकिन अभी भी अधिकारी राजस्व के प्रकरणों के निराकरण का निराकरण करने में ज्यादा रूची नहीं दिखा रहे हैं। जिस कारण लोगों को अधिकारियों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं।
सबसे अधिक शहरी क्षेत्र की तहसीलों के प्रकरण
नामांतरण के सबसे ज्यादा प्रकरण शहरी क्षेत्र की तहसीलों में है। शहरी क्षेत्र में लोगों ने जो सम्पत्तियां क्रय की है, उनके नामांकरण के लिए आवेदन किए हैं। लेकिन आवेदन करने के बाद भी लोगों की समस्या का निराकरण नहीं हो पा रहा है। लोगों का आरोप है कि चुनाव खत्म हो चुका है और पटवारी नामांकरण के लिए चक्कर कटवा रहे हैं।
लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू, तीन माह शेष
विधानसभा चुनाव के बाद अब लोकसभा चुनाव की तैयारियां चुनाव आयोग ने शुरू कर दी गई हैं। इसी के चलते मतदाता सूची में सुधार के लिए पोर्टल को भी खोल दिया गया है। मतदाता अपना सूची में नाम जुड़वाने, परिर्तन व हटाने के लिए आवेदन कर सकते हैं। यह कार्य फरवरी तक चलेगा, फरवरी के बाद लोकसभा चुनाव की आचार संहिता आचार संहिता लगने की सम्भावना है। ऐसे में राजस्व के प्रकरणों के निराकरण के लिए अधिकारियों के पास सिर्फ तीन माह से शेष बचे हैं। अगर इन तीन माह में अधिकारियों ने अपने कार्य में गति नहीं दिखाई तो लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ेगा।
जिले में लंबित नामांतरण, बटांकन व सीमांकन की स्थिति
केस 0 से 3 माह 3 से 6 माह 6 माह से 1 वर्ष योग
नामांतरण 5883 6607 1766 14264
सीमांकन 330 952 404 1686
बटांकन 258 677 429 1367
इन तहसीलों में सबसे ज्याद प्रकरण लंबित
तहसील संख्या
मुरार 2376
बड़ागांव मुरार 1352
सुपावली मुरार 1246
पुरानी छावनी 808
डबरा 1028
भितरवार 602
बहोड़ापुर 538
छीमक 729