पूर्व निगमायुक्त निगम कर्मचारी से ले रहे थे काम
ग्वालियर, न.सं.। नगर निगम मदाखलत, उद्यान, गौशाला सहित अन्य विभागों के तमाम कर्मचारी दूसरे विभाग बड़े अधिकारियों और सेवानिवृत्त अधिकारियों के यहां बेगारी करते हैं। ऐसा ही एक उदाहरण पूर्व निगमायुक्त विनोद शर्मा के डीबी सिटी स्थित फार्म हाउस पर बीते रोज गौशाला के कर्मचारी जीतू यादव की आत्महत्या से उजागर हुआ है। इतना ही नहीं उनके फार्म हाउस और रॉयल टाउनशिप के निज निवास पर भी इसी तरह कई कर्मचारी काम कर रहे हैं। ऐसा निगमायुक्त संदीप माकिन की कृपा से हो रहा है। क्योंकि वे इस तरह के अधिकारियों को साध ही अपना काम चलाते हैं।
यहां बता दें कि डीबी सिटी के पास पूर्व निगमायुक्त विनोद फार्म हाउस का है। फार्म हाउस में गाय बंधी हैं। सौसा निवासी जितेंद्र पुत्र मचल सिंह यादव पशुओं की देखभाल करने व दूध निकालने के लिए प्रतिदिन सुबह-शाम गांव से आता था। जितेंद्र ही विनोद शर्मा के बंगले पर दूध पहुंचाने के बाद अपने गांव जाता था। बुधवार शाम को दूध नहीं आने पर विनोद शर्मा ने जितेंद्र के गांव कॉल कर पूछा कि जितेंद्र शाम को दूध निकालने के लिए आया है कि नहीं? घरवालों ने बताया कि वह शाम को गांव से फार्म हाउस गया तो था, लेकिन अब तक वापस नहीं लौटा है। इसके बाद एक परिचित को फार्म हाउस पर देखने के लिए भेजा। जहां जितेंद्र फांसी पर लटका मिला। पूर्व निगमायुक्त विनोद शर्मा के यहां अभी लगभग 10 से 15 निगम कर्मचारी और काम कर रहें हैं। लेकिन कर्मचारी पूर्व निगमायुक्त के कैसे काम कर रहा था, यह कोई भी बोलने को तैयार नहीं है।
ऐसी मेहरबानी क्यों
पूर्व निगमायुक्त विनोद शर्मा द्वारा दो भूखंडों पर मेट्रो टॉवर के पीछे बड़ा बंगला बनवाया जा रहा है। इस बंगले को लेकर पिछले दिनों एंटी माफिया अभियान के दौरान यह पाया गया था कि इस टाउनशिप को गलत ढंग से अनुज्ञा दी गई है। इसलिए संबंधित अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करते हुए अनुज्ञा निरस्त की जाए। इस कार्रवाई के लिए अपर आयक्त राजेश श्रीवास्तव एवं अपर जिलाधीश रिंकेश वैश्य ने पत्र भी लिखे थे। किंतु निगमायुक्त संदीप माकिन ने जानबूझकर इस कार्रवाई को रुकवा दिया। जिससे श्री शर्मा दोनों भूंखडों के अलावा और भी भू-भाग पर धड़ल्ले से निर्माण करवा रहे हैं।
गौशाला का कर्मचारी था जितेन्द्र
गौशाला के प्रभारी केशव सिंह चौहान ने बताया कि जितेन्द्र गौशाला में काम करता है और वह रोज अपनी ड्य्टी पर गौशाला में आता था। गौशाला में अपना काम करने के बाद वह पूर्व निगमायुक्त के यहां पर भी काम करने के लिए जाता था। वहां पर उसे वेतन भी दिया जाता था।