GRMC में 70 वर्ष बाद मिले पूर्व पीजी छात्र, तो ताजा हो गईं यादें

GRMC में 70 वर्ष बाद मिले पूर्व पीजी छात्र, तो ताजा हो गईं यादें
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जीआरएमसी मेडिसिन विभाग के पूर्व पीजी विद्यार्थियों का मिलन समारोह

ग्वालियर। गजराराजा चिकित्सा महाविद्यालय के मेडिसिन विभाग में पहली बार 70 वर्ष बाद पूर्व पीजी विद्यार्थियों का मिलन समारोह हुआ। इसमें 70 वर्ष बाद एक-दूसरे से मिले विद्यार्थी अपनी पुरानी यादों में खो गए। अपनी उपलब्धियों के साथ महाविद्यालय की खट्टी-मीठी यादें ताजा कीं। दो दिवसीय इस समारोह में देश के वरिष्ठ चिकित्सक शामिल हुए। साथ ही दो विधायक भी शामिल हुए जो मेडिसिन विभाग से पीजी कर चुके हैं। पूर्व विद्यार्थियों का कहना था कि सम्मेलन में इतने सालों के बाद एक-दूसरे से मिलने का अवसर प्रदान किया है, बल्कि यह उनके लिए उन विभिन्न परिवर्तनों को देखने का अवसर भी है जो इस संस्था में पिछले कई वर्षों में हुए हैं। वहीं सम्मेलन में शिष्यों ने गुरुओं के पैर छूकर आर्शीवाद लिया और बैचमेट आपस में गले मिलते हुए दिखाई दिए। कार्यक्रम के प्रथम सत्र में छात्र-छात्राओं का परिचय कराया। दूसरे भाग में उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता अधिष्ठाता डॉ.अक्षय निगम ने की। विशिष्ट अतिथि के रुप में जयारोग्य अस्पताल अधीक्षक डॉ.आरकेएस धाकड़ और विशेष अतिथि के रूप में कैंसर चिकित्सालय के निर्देशक डॉ.बीआर श्रीवास्तव उपस्थित थे। सम्मेलन में पूर्व छात्र-छात्राओं ने पूर्व विभागाध्यक्ष और वरिष्ठ शिक्षकों का सम्मान किया। अंत में दिवंगत शिक्षकों और पूर्व विद्यार्थियों को श्रद्धांजलि अर्पित की। तृतीय सत्र में वरिष्ठ पूर्व छात्र-छात्राओं का परिचय और अभिनंदन किया। अंत में ओपन माइक सत्र में पूर्व शिक्षकों तथा छात्र-छात्राओं ने अपनी पूर्व स्मृतियों को साझा करते हुए बताया कि 1954 से 2024 तक सात दशक विद्यार्थी उत्तीर्ण हो चुके हैं। कार्यक्रम में स्वागत भाषण मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ.सुषमा त्रिखा और संचालन डॉ.श्वेता सहाय, डॉ.जीएस नामधारी, डॉ.पुनीत रस्तोगी और डॉ.कनिका सेठी ने किया। मंच पर डॉ.मनीष गुप्ता और सचिव डॉ.धर्मेंद्र तिवारी ने सहभागिता की।

20 रुपए का फार्म से लगी थी नौकरी: डॉ. अग्रवाल

स्व. डॉ. अजय शंकर सर ने जो नीति सिखाई, उससे मेरा परिवार चला और नौकरी लगी। उन्होंने मरीजों के प्रति हमें जो ईमानदारी सिखाई थी, जो आज नहीं है। आज के समय में चिकित्सा का क्षेत्र सेवा नहीं बल्कि व्यापार हो गया है। यह बात वर्ष 1982 बैच के पूर्व पीजी छात्र डॉ. के.के. अग्रवाल ने कही। डॉ. अग्रवाल ने आगे बताया कि उन्होंने राजस्थान में नौकरी के लिए 20 रुपए का फॉर्म भरा । इसमें उनका नाम 15 चिकित्सकों की सूची में शामिल था। आज के जमाने में चिकित्सा का क्षेत्र व्यापार में बदल गया है। मरीज जब चिकित्सक के पास जाता है तो उसे ज्यादा से ज्यादा लूटने का प्रयास किया जाता है। जबकि हमारे समय में कम से कम जांचे कराकर मरीजों को बेहतर उपचार उपलब्ध कराया जाता था।

डॉ. अग्रवाल से जब पूछा कि आपके बेटे डॉ.अनुभव गर्ग जो की गजराराजा चिकित्सा महाविद्यालय के चर्म रोग विभागाध्यक्ष हैं, उनकी फीस अधिक है या आपकी तो उन्होंंने मुस्कुराते हुए जवाब दिया बेटे की।

राजनीति में हम सिस्टम की बीमारी ठीक कर सकते हैं: डॉ. हीरालाल

चिकित्सा में हम मरीज की बीमारी तक ही समिति रहते हैं, लेकिन चिकित्सा के साथ राजनीति से हम सिस्टम की बीमारी को भी ठीक कर सकते हैं। इसी उद्देश्य को लेकर मैंने राजनीति में प्रवेश किया और आज विधायक हूं। यह बात 2012 बैच के पूर्व छात्र व धार जिले के मनावर से कांग्रेस विधायक डॉ. हीरालाल अलावा ने कही। उन्होंने बताया कि महाविद्यालय में मैं जूड़ा उपाध्यक्ष भी रहा। उपाध्यक्ष रहते हुए मैंने यहां मरीजों को आने वाली कठिनाईयों को प्राथमिकता से उठाया और उन्हें दूर भी कराया।

19 वर्ष बाद यहां आकर मिली खुशी: डॉ. योगेश

आज में जीवन में जो कुछ भी हूं वह इसी महाविद्यालय की देन है। मुझे आज 19 वर्ष बाद यहां आकर बहुत खुशी मिली है। यह कहना था बैतूल आमला के विधायक व 2005 बैच के डॉ. योगेश पंडाग्रे का। उन्होंने बताया कि मेरी दिल से इच्छा थी कि इस एल्युमिनाई मीट में भाग लूं। इसलिए अपने सारे महत्वपूर्ण काम छोड़ कर आज यहां आया हूं। डॉ. पंडाग्रे ने बताया कि चिकित्सा के साथ-साथ मैंने भारतीय जनता पार्टी 2013 में ज्वाइन की और 2018 में टिकट मिला। आज जो कुछ भी है इसी कॉलेज की देन है।

टेलीमेडिसिन को किया जाना चाहिए चालू: डॉ. माथुर

सन् 1972 बैच के डॉ. पी.सी. माथुर ने बताया कि उनके समय में जयारोग्य में टेलीमेडिसिन की सुविधा थी। टेलीमेडिसिन के माध्यम से जयारोग्य के चिकित्सक दिल्ली के स्कॉट अस्पताल से जुड़ते थे। जिसका लाभ मरीजों के साथ ही चिकित्सा छात्रों को भी मिलता था। लेकिन आज के आधुनिक युग में अस्पताल प्रबंधन की ओर से टेलीमेडिसिन शुरू करने के लिए कोई प्रयास नहीं किए गए। अगर टेलीमेडिसिन शुरू की जाती है तो चिकित्सा छात्रों को भी काफी लाभ मिलेगा।

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