गोपियों ने तोड़ा उद्धव के ज्ञान का अभिमान : कंकौरिया
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ग्वालियर,न.सं.। लक्ष्मी स्वरूपा रुकमणि एवं नरायणावतार श्रीकृष्ण की मोहिन छवि देख श्रद्धालु विभोर हो गए। सैकड़ों भक्त उनके विवाह के साक्षी बने. भगवाचार्य पं संतोष कांकोरिया ने श्रीकृष्ण-रुकमणि विवाह के सुंदर चित्रण कर भक्तों को भावविह्ल कर दिया। अवसर था महलगांव कुंदनगर में आयोजित हो रही श्रीमद्भागवत कथा का। इस मौके पर करोलीमाता मंदिर के महंत दिलीप शर्मा, संजय शर्मा, गिर्राज शर्मा, कथा परीक्षित गीतादेवी, केशवदत्त शर्मा, हेमशंकर शर्मा प्रमुख रूप से मौजूद रहे।
आचार्य संतोष कांकोरिया ने सोमवार को श्रीमद्भागवत कथा का सरस प्रवाह करते हुए श्रीकृष्ण की बाललीलाओं का बहुत ही सुंदर वर्णन किया। महारास का वर्णन करते हुए उन्होंने भक्त और समाज को संदेश देते हुए कहा कि ब्रह्म और जीव के बीच से अघर मायारूपी आवरण को हटा दिया जाए, तो फिर ईश्वर की प्राप्ति होने में समय नहीं लगेगा। गोपी-उद्धव प्रसंग का सुंदर वर्णन करने के साथ उन्होंने जब श्रीमद्भागवत के श्लोकों का गान किया तो कथा पांडाल में एक बहुत ही दिव्य वातावरण निर्मित हो गया। उन्होंने बताया कि उद्ध्रव को भगवान कृष्ण ने जब गोपियों को अपना संदेश देकर गोकुल भेजा, तो उन्हें खुद अपने हाथों से अपने जैसा सजाया।
भगवान श्रीकृष्ण के वेश में जब उद्ध्रव गोकुल पहुंचे तो गोपियां उन्हें श्रीकृष्ण समझकर खुश हो गई,लेकिन जब उद्ध्रव ने असलियत बताई तो उन्होंने उद्धव को श्रीकृष्ण के उलाहना देना शुरू कर दिया। महाज्ञानी उद्धव ने गोपियों को अपने ज्ञान से समझाने की तमाम कोशिश की, लेकिन भक्ति के आगे ज्ञान बोना हो गया और उद्धव को आखिरकार गोपियों ने उद्धव के ज्ञान के अभिमान को प्रेम से समाप्त कर दिया।आचार्य संतोष ने कहा कि आप कितने ही परमज्ञानी क्यों न हो, यदि आपके भीतर भक्तिभाव नहीं हैं तो वो ज्ञान किसी काम का नहीं हैं। हर इंसान के प्रति हमारे भीतर प्रेम का भाव होना चाहिए।