संत गुरु के आदेश पर कर रहे हैं गौ माताओं की सेवा
ग्वालियर,न.सं.। गौ माताओं की सेवा के लिए समर्पित श्री कृष्णायन देसी गौ रक्षा शाला में गौ माताओं की सेवा करने वाले संतों का एक ही उद्देश्य है जिस गाय में 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास होता है उनका जीवन बचाया जाए और ऐसी गौशालाओं का निर्माण किया जाए, जहां सडक़ों पर घूमने वाली बीमार गौ माताओं को रखकर उनकी सेवा की जा सके। श्री कृष्णायन देशी गोरक्षा शाला की देखरेख करने वाले संतों की सबसे बड़ी खासियत यह है कि वह एक ऐसे गुरु के आदेश पर गौ माताओं की सेवा कर रहे हैं, जिनका नाम तक कोई नहीं जानता।
ग्वालियर जिले के घाटीगांव ब्लॉक में स्थित रानी घाटी के पास गौशाला का निर्माण जन सहयोग से श्री कृष्णायन देसी गौ रक्षा शाला के साधू-संतों ने कराया है। यह गौशाला बनकर पूरी तरह से तैयार हो चुकी है। इस गौशाला में प्रशासन का सहयोग भी मिल रहा है, जिससे यह गौशाला पूरे प्रदेश के लिए एक रोल मॉडल बनने की राह पर है। वहीं गौ सेवक भी इस गौशाला में योगदान कर रहे हैं। गौशाला की देखरेख करने वाले साधू-संत इस गौशालाओं को गुरु पूर्णिमा पर अपने गुरु के चरणों में समर्पित करना चाहते हैं।
गौशाला का स्वरूप देख दिए डेढ़ करोड़
रानीघाटी क्षेत्र में श्रीकृष्णायन गौशाला में निराश्रित बेसहारा गौवंश संरक्षण के लिए सन्तों द्वारा किए जा रहे प्रयासों को देखने जब जिला प्रशासन के अधिकारी पहुंचे तो वह फूले नहीं समाए। अधिकारियों ने संतों के प्रयासों की सराहना की। साथ ही वह अचंभित हो गए थे कि बिना प्रशासन के सहयोग से गौशाला बना डाली। जिसके बाद प्रशासन ने डेढ़ करोड़ रुपए की राशि रानीघाटी के लिए उपलब्ध कराई। यहां बता दें कि इस गौशाला में मोहना, घाटीगांव, चीनौर, भितरवार के मध्य घूम रहे निराश्रित गौवंशों को रखा जाएगा।
15 दिन बना दी दीवार
2016 में ग्राम बनहेरी में सन्तजन आए थे, उस दौरान उन्हें बताया गया था शहर में कि यहां पर रोजाना 60-70 से अधिक गायों की मौत हो रही है। जिसके बाद उन्होंने गौसेवा का आश्वासन दिया। सबसे पहले लाल टिपारा की गौशाला को व्यवस्थित किया और निगम के कबाड़ के सामान से मात्र 15 दिनों में गौशाला की दीवार बना दी।
बछड़ों व गायों के अलग शेड
पहले लाल टिपारा में कुछ ही ब्लॉक थे। जगह कम होने से बीमार गाय भी इन्हीं में रखी जाती थीं। अब यहां अलग-अलग ब्लॉक हैं। छोटे बछड़ों को अलग ब्लॉक में रखा जाता है। इसके अलावा गायों को भी उम्र व स्थिति के अनुसार अलग-अलग रखा जाता है।
अब यहां पर गौशाला बनाने की योजना
रानीघाटी के बाद संतों के प्रयास भदावना, नौलंदा ताल, तिघरा में गौशाला बनाने के होंगे। इसके लिए संतों ने योजना बना ली है।
इनका कहना है
रानीघाटी गौ अभ्यारण का चहुमुंखी विकास किया जा रहा है। यहां पर 12 जुलाई को पांच हजार पौधे लगाए जाएंगे। यह पौधे रायरू फार्म से नि:शुल्क मिलेंगे, जो सात से आठ फीठ के हैं। इसलिए यह पौधे जल्दी तैयार हो जाएंगे। पूरी गौशाला 1200 बीघा में फैली है इसलिए जगह-जगह तालाब, टीनशेड व वॉच टॉवर बनाए गए हैं, ताकि गौवंश की निगरानी की जा सके।
-राजाबाबू सिंह,अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक