नगर निगम परिषद की बैठक में हंगामा, पानी, सीवर, सड़क के मुद्दे पर विपक्ष - सत्तापक्ष हुआ एक
ग्वालियर/स्वदेश वेब डेस्क। नगर निगम परिषद के विशेष सम्मेलन में शहर की समस्याओं के मुद्दे पर विपक्ष ने जमकर हंगामा किया। विपक्ष पानी, सीवर और सड़क के मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग पर अड़ गया जबकि सभापति और सत्तापक्ष विशेष सम्मेलन के तय एजेंडे पर चर्चा की बात करने लगे। आधा घंटे के हंगामे के बाद सत्तापक्ष भी विपक्ष का साथ देने के लिए तैयार हो गया। और सभापति ने 2 घंटे का समय पार्षदों को समस्याएं रखने के लिए दिया।
जल विहार स्थित नगर निगम परिषद में शुक्रवार को विशेष सम्मेलन का आयोजन किया गया। बैठक शुरू होते ही जैसे ही सचिव ने कार्रवाई आगे बढ़ाई नेता प्रतिपक्ष कृष्णराव दीक्षित खड़े हो गए और पानी, सीवर और सड़कों की समस्या पर चर्चा कराने की बात पर अड़ गए। उनके साथ विपक्ष के सभी पार्षद खड़े हो गए । विपक्ष की मांग को सभापति राकेश माहोर ने नकार दिया और सत्तापक्ष भी तय एजेंडे के बाद चर्चा कराने की बात कहने लगा। तो विपक्ष आसंदी के सामने पहुँच गया और चर्चा कराने की मांग पर अड़ गया लेकिन जब विपक्ष जनता से जुड़े मुद्दे पर चर्चा के लिए अड़ गया तो सत्तापक्ष के पार्षदों ने भी उनका साथ दिया और दो घंटे का समय चर्चा के लिए निर्धारित किया गया।
एक एक कर विपक्ष और सत्तापक्ष दोनों तरफ के पार्षदों ने अपनी अपनी समस्याएं गिनाईं । सभी पार्षदों की समस्याएं एक जैसी थी। पार्षदों की शिकायत थी कि बारिश अच्छी होने के बाद भी उनके यहाँ जनता को पानी नहीं मिल रहा, सीवर चौक पड़े है, सड़कें उखड़ी पड़ी हैं , अधिकारी सुनते नहीं है। जिन कार्यों के टेंडर हो चुके थे वे शुरू नहीं हो सके। अधिकारियों से कुछ भी पूछो तो कहा जाता है कि आयुक्त ने मना किया है। बड़ी बात ये है कि सत्तापक्ष की महिला पार्षद अधिक आक्रोशित दिखाई दीं। पार्षद वंदना अरोरा ने अपनी पीड़ा बताते हुए कहा कि पिछली बैठक ने परिषद में तय हुआ था कि जुलाई में उनके यहाँ की जनता के लिए पानी की लाइन का मिलान टंकी से कर दिया जाएगा लेकिन और सितम्बर में भी काम शुरू नहीं हुआ। वे आयुक्त विनोद शर्मा से जवाब मांगने लगी आयुक्त ने बताया कि तकनीकी परेशानी के कारण काम में विलम्ब हुआ है, जल्दी ही काम शुरू करा दिया जाएगा। जवाब सुनने के बाद संतुष्ट नहीं हुईं पार्षद वन्दना अरोरा ने यहाँ तक कह दिया कि मैं जनता को क्या जवाब दूंगी मैं तो स्वयं ही झूठी साबित हो गई। लगभग यही स्थिति सत्तापक्ष की अन्य महिला पार्षदों की भी थी वे भी उनके यहाँ रुके कार्यों के जवाब आयुक्त से मांग रहीं थी। और जब उन्हें भी अपना जवाब नहीं मिला तो सत्तापक्ष की महिला पार्षदों ने आसंदी को घेर लिया।
उधर पुरुष पार्षद भी लगातार अधिकारियों को निशाने पर ले रहे थे सभी के एक ही आरोप थे कि काम हो नहीं रहे और ढिंढोरा स्मार्ट सिटी , अमृत योजना सहित दूसरी योजनाओं के तहत कराये जा रहे करोड़ों रुपये के कामों का पीटा जा रहा है। पार्षदों ने पम्प ऑपरेटरों को अचानक से निकाले जाने का मुद्दा भी उठाया और पानी की वितरण व्यवस्था पर भी सवाल खड़े किये। आरोपों का दौर दो घंटे चला जिसमें पार्षदों के निशाने पर रहे आयुक्त विनोद शर्मा और नगर निगम के अधिकारी। इस दौरान कांग्रेसी पार्षद हरिपाल द्वारा सभापति राकेश माहोर को अंधेर नगरी चौपट राजा की कहावत से जोड़ते हुए इसका मुखिया कहा और आखों पर पट्टी बांधकर बैठे रहने के आरोप लगाए तो भाजपा पार्षद बलवीर तोमार भड़क गए और आसंदी का सम्मान करने की बात कही। बहस बढ़ती देख सभापति ने मामला शांत कराया।
पार्षदों की बात सुनने के बाद सभापति ने आसंदी से आयुक्त को चेतावनी देते हुए कहा कि पार्षदों के सम्मान को चोट नहीं पहुंचे, अधिकारी उनकी बात सुनें और बुनियादी काम समय पर हो ये आपकी जवाबदारी है। नहीं तो आसंदी को कदम उठाने पड़ेंगे। सभी की बात सुनने के बाद आयुक्त विनोद शर्मा ने एक एक बिंदुवार जवाब दिया और पार्षदों को भरोसा दिलाया की शहर की जनता और विकास कार्यों की जितनी चिंता पार्षदों को है उतनी ही अधिकारियों को भी है. उन्होंने कहा कि सीवर सफाई के लिए निर्देश दे दिए गए हैं, जहाँ पानी नहीं पहुँच रहा हैं वहां पानी की वैकल्पिक व्यवस्था करेंगे। आयुक्त ने कहा कि खराब हो चुकी शहर की सड़कों के सुधार का काम 15 सितम्बर से शुरू कर दिया जाएगा। आयुक्त का जवाब सुनने के बाद सभापति ने बैठक को 17 सितम्बर तक के लिए स्थगित कर दिया।