ग्वालियर में कर्मचारियों को हटवाने सत्ता पक्ष के पार्षदों ने आंसदी घेरकर दिया धरना
ग्वालियर। सभापति की नाराजगी के बाद सोमवार को आयोजित परिषद की अभियाचित बैठक पूूरे तीन घंटे चली। बैठक में पदेेन व्यवस्था को लेकर विपक्ष के साथ सत्ता पक्ष के पार्षदों ने नगर अधिकारियों पर जमकर निशाना साधा। सभी का कहना था कि सभी अधिकारियों को उनके मूल विभाग पर भेजा जाए। पार्षद बृजेश श्रीवास भी अपनी शिकायत को लेकर अधिकारियों के सामने दंडवत करते नजर आए। सत्ता पक्ष की पार्षद कर्मचारियों को हटाने ध्यारने पर जा बैठी।
सोमवार को जलबिहार स्थित निगम परिषद कार्यालय में दोपहर 3 बजे बैठक शुरू होते ही सदस्यों की संख्या होने पर सभापति मनोज तोमर ने बैठक को 15 मिनट के लिए स्थगित कर दिया।बैठक शुरु होते ही पार्षद नागेन्द्र राणा ने कहा कि पार्षद बृजेश श्रीवास की जो शिकायत संभागीय आयुुक्त से की गई है। लेकिन वो कौन से कर्मचारी है जिन्होंने यह शिकायत की है, अगर शिकायत करना थी तो महापौर, सभापति या फिर निगमायुक्त से भी की जा सकती थी। उन्होंने सभापति से कहां जिन कर्मचारियों ने शिकायत की है वे निगम के कर्मचारी भी है या नहीं इसकी जांच की जानी चाहिए। तभी पार्षद बृजेश श्रीवास ने अमर्यादित शब्दों का अर्थ बतो हुए निगम अधिकारियों के सामने दंडवत प्रणाम किया।
बैठक में अधिकत्तर पार्षदों का कहना था कि एक ही अधिकारी को पांच-पांच चार्ज दे दिए गए हैं, जबकि कई अधिकारी बिना काम के बैठे हुए हैं। इस पर सभापति मनोज तोमर ने ठहराव पारित किया कि निगमायुक्त सेटअप के अनुसार कर्मचारियों को मूल पद पर पदस्थ करें और कर्मचारी के अभाव में अनुभव के आधार पर एक पद ऊपर पदस्थ कर सकते हैं।
सत्ता पक्ष से वार्ड दो की पार्षद आशा चौहान ने उन्होनें एक साल निगमायुक्त को पत्र लिखकर सकट शर्मा व दिनेश शर्मा को हटाने की बात कही थी, लेेकिन कर्मचारी वहीं पर कार्य कर रहे है। इस बात को लेकर वे खुद सभापति की आसंदी के पास जा पहुंची व सभापति से हाथ जोडक़र कर्मचारियों को तत्काल हटाने की मांग करने लगी। इसी बीच सत्ता पक्ष से अन्य पार्षद भी आसंदी के पास जा पहुंचे व धरना देना शुुरु कर दिया। जिस पर सभापति ने पार्षदों को जगह पर जाने की बात कही लेकिन पार्षद धरने पर ही बैठे रहे। बाद में सभापति ने बैठक को पांच मिनट के लिए स्थगित कर दिया।
जब प्रभारी निगमायुुक्त ही लेट आएंगे तो जनहित के मुद्दों पर क्या काम होंगे
नेता प्रतिपक्ष हरिपाल ने कहा कि परिषद की बैठक में निगम के अधिकारी और पीएचई के अधिकारियों को आना चाहिए, लेकिन जब प्रभारी निगमायुक्त ही देरी से आ रहे है तो अधिकारी क्यों आएंगे। निगम के अधिकारियों ने परिषद को मजाक समझ रहे है। ऐसे अधिकारी जनहित के मुद्दे के लिए क्या काम कर पाएंगे। इन अधिकारियों पर कार्रवाई की जानी चाहिए।पार्षद अर्पणा पाटिल ने कहा कि सभी कर्मचारियों को उनके मूल पद पर वापस भेजा जाए। निगम में स्वास्थ्य विभाग की लंंबी चेन है उसे कम किया जाएगा।
सभापति भडक़े, बोले आप लोग चर्चा से भाग रहे है
बैठक में सभापति मनोज तोमर उस समय भडक़ गए जब पार्षद बार-बार निगमायुक्त की अनुपस्थिति को लेकर सवाल कर रहे थे। तभी उन्होंने पार्षदों से कहा कि आप लोग खुद चर्चा से भाग रहे हो। उन्होंने कहा कि यदि ऐेसा ही रहा तो एजेंडा समाप्त कर दिया जाएगा।
पार्षद बोले वार्डो में बीट खाली, सफाई कर्मचारी बढ़ाए जाए
बिंदु क्रमांक दो सफाई संरक्षक की संख्या को लेकर सभी पार्षदों का कहना था कि वार्डो में कई बीटे खाली है, वहां पर कर्मचारियों को तैनात किया जाए। पार्षद अर्पणा पाटिल का कहना था कि जब तक सफाई व्यवस्था की लंबी चेेन खत्म नहीं होगी तब तक कुछ नहीं हो पाएगा। इस पर सभापति ने निर्देश दिए कि कर्मचारियों को प्रत्येक वार्ड में खाली बीट, नाली, ढेरी और झाड़ू के लिए अलग-अलग व्यवस्था करें।
नहहीं बोलने पर भडक़े पार्षद बोले धरना दूूंगा
सभापति ने विपक्ष व सत्ता पक्ष को साफ कह दिया था कि दोनों पक्षों को 30-30 मिनट में अपनी बात रखनी होगी। तभी विपक्ष के पार्षद महेन्द्र आर्य जो पहले अपनी बात रख चुुके थे वह फिर बोलने लगे तो सभापति ने कहा कि आप बोल चुके है बैठ जाए, तो उन्होंने कहा कि कुछ लोग तो चार-चार बार बोल रहे है, अगर ऐसा हुआ ते मैं धरना दूंगा, जिस पर सभापति ने कहा कि आप ज्यादा बोलेंगे तो बाहर कर दूंगा।