स्वाइन फ्लू : रोगियों को लेकर गंभीर नहीं स्वास्थ्य विभाग, जिला अस्पताल में बिना वेंटिलेटर का स्वाइन फ्लू वार्ड

स्वाइन फ्लू : रोगियों को लेकर गंभीर नहीं स्वास्थ्य विभाग, जिला अस्पताल में बिना वेंटिलेटर का स्वाइन फ्लू वार्ड
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स्वास्थ्य विभाग ने कराया 100 घरों का फीवर सर्वे, लेकिन रिपोर्ट को लेकर दो अधिकारियों के अलग अलग बयान

ग्वालियर। स्वाइन फ्लू से ग्वालियर में इस सीजन की पहली मौत दौलत गंज निवासी कारोबारी जगदीश प्रसाद गोयल के रूप में दर्ज हो गई। लेकिन अभी भी स्वास्थ्य विभाग रोगियों को लेकर गंभीर नहीं है। हालाँकि जिला अस्पताल मुरार में कोल्ड ओपीडी शुरू कर दी गई है लेकिन यहाँ बने स्वाइन फ्लू वार्ड में वेंटिलेटर की सुविधा आज तक उपलब्ध नहीं हो पाई है।

बदलते मौसम के साथ ही ग्वालियर में मौसमी बीमारियों का प्रकोप बढ़ गया है। संक्रमणजनित बीमारियों वाले रोगियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। अस्पतालों से नियमित रूप से सर्दी, जुकाम,खांसी और बुखार के रोगी पहुँच रहे हैं। लेकिन स्वास्थ्य विभाग की लचर व्यवस्था से रोगी परेशान हो रहे हैं। उधर कारोबारी जगदीश प्रसाद गोयल की मौत के बाद से विभाग के हाथ पाँव फूल गए हैं। हालांकि अभी इस सीजन में स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के हिसाब से स्वाइन फ्लू के संभावित 17 रोगियों की जांच हुई जिसमें से केवल 2 को स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई और इसमें एक की मृत्यु हुई है।

स्वाइन फ्लू के रोगियों के उपचार की व्यवस्थाओं पर नजर डालेंगे तो से जिला अस्पताल मुरार में कोल्ड ओपीडी चालू है यहाँ सर्दी, खांसी, जुकाम और बुखार के लगभग 50 रोगी नियमित पहुंच रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग ने यहाँ 2 बिस्तरों का स्वाइन फ्लू वार्ड भी बनाया है। लेकिन वेंटिलेटर की व्यवस्था नहीं है इसलिए गंभीर रोगी को यहाँ रखा ही नहीं जाता। सूत्र बताते हैं कि जिला अस्पताल के चिकित्सक तो इसी प्रयास में रहते है कि रोगी को प्रारंभिक उपचार देकर जयारोग्य अस्पताल या किसी दूसरे अस्पताल में रेफर कर दिया जाए। ऐसा नहीं है कि वेंटिलेटर नहीं होने की जानकारी किसी को नहीं है. स्थानीय प्रशासन से लेकर सरकार तक से वेंटिलेटर की मांग की जा चुकी है लेकिन सूत्र बताते हैं कि स्वास्थ्य मंत्री रुस्तम सिंह की ग्वालियर के अस्पतालों में विशेष रुचि नहीं होने के कारण यहाँ वेंटिलेटर उपलब्ध नहीं हो पा रहा है । उधर स्वास्थ्य मंत्री ने अपनी विधानसभा मुरैना के अस्पतालों को जरूर संवार दिया है।

बढ़ते रोगियों को देखते हुए जयारोग्य अस्पताल की माधव डिस्पेंसरी के 66 नंबर कमरे में दो दिन पहले ही कोल्ड ओपीडी प्रारम्भ कर दी गई है। यहाँ गंभीर रोगियों के लिए आइसोलेटेड वार्ड की सुविधा उपलब्ध है। स्वास्थ्य विभाग की बातों पर भरोसा करें तो जिला अस्पताल मुरार और जयारोग्य अस्पताल में पर्याप्त संख्या में टेमी फ्लू टेबलेट और सभी तरह के मास्क उपलब्ध हैं। यहाँ उल्लेखनीय है कि 2015 में स्वाइन फ्लू के संभावित रोगियों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई थी। सरकारी आंकड़ों के अनुसार इस साल 238 स्वाइन फ्लू के संभावित रोगियों के ब्लड सेंपलों की जांच की गई थी जिसमें से 80 की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी और पांच रोगियों की मृत्यु हो गई थी। 2016 में ये आंकड़ा एक दम से नीचे आ गया। इस साल मात्र तीन संभावित रोगी सामने आये लेकिन सौभाग्य से किसी को भी स्वाइन फ्लू की पुष्टि नहीं हुई। 2017 में आंकड़ा फिर ऊपर गया और स्वाइन फ्लू के 85 संभावित रोगी मिले जिनमें से 27 में स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई जिनमें से 4 ने दम तोड़ दिया। और इस साल यानी 2018 में अब तक 17 संभावित रोगियों के ब्लड सेम्पल जांच के लिए भेजे गए जिनमें से 2 को स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई है और एक की मौत हो चुकी है।

स्वास्थ्य विभाग स्वाइन फ्लू जैसी जानलेवा बीमारियों को लेकर कितना गंभीर है इसका एक ताजा उदाहरण ये है कि जगदीश प्रसाद गोयल की रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने उनके घर के आसपास कर्मचारियों को भेजकर निरीक्षण कराया था। लेकिन इसकी रिपोर्ट कहाँ है , आई कि नहीं कोई नहीं जानता। स्वाइन फ्लू ,डेंगू की रोकथाम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले महामारी विशेषज्ञ डॉ महेंद्र पिपरोलिया स्वदेश से बातचीत में बड़े ही सहज भाव से कहते हैं " रिपोर्ट आ गई होगी, कर्मचारियों ने पहुंचा दी होगी, आज छुट्टी है , कल पता लगाएंगे ". हालाँकि उधर सीएमएचओ डॉ मृदुल सक्सेना का कहना है कि हमने रिपोर्ट पॉजिटव आने के बाद हमने दौलतगंज में लगातार 9 सितम्बर से 12 सितम्बर तक लगभग 100 घरों का डोर टू डोर फीवर सर्वे कराया है जहां स्वाइन फ्लू का कोई भी संभावित रोगी नहीं मिला। और जो रोगी सर्दी, जुकाम, बुखार से पीड़ित मिले उन्हें निःशुल्क दवाइयां वितरित की। उन्होंने दावा किया कि सर्वे की रिपोर्ट उनके पास आ चुकी है।

अब जबकि स्वाइन फ्लू ने एक रोगी की जान लेकर अपनी उपस्थिति ग्वालियर में दर्ज करा दी है अब ये स्वास्थ्य विभाग को देखना है कि वो इसकी रोकथाम के लिए कितनी गंभीरता दिखता है अथवा सीएमएचओ डॉ मृदुल सक्सेना, महामारी विशेषज्ञ महेंद्र पिपरौलिया सहित अन्य जिम्मेदार अधिकारी वातानुकूलित कमरों में बैठकर बैठकों में आंकड़ों की बाजीगरी में अपनी कुशलता प्रमाणित करते रहेंगे।

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