निगमायुक्त का बंगला बना जैविक शौचालय का रोल मॉडल

निगमायुक्त का बंगला बना जैविक शौचालय का रोल मॉडल
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जैविक शौचालय के पानी से हरा भरा हो रहा है बगीचा

ग्वालियर/स्वदेश वेब डेस्क। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा चलाए गए स्वच्छता अभियान का असर शहर में तेजी से दिखाई देने लगा है। देश भर में धूम मचा रहे ग्वालियर में तैयार किए बायोटॉयलेट (जैविक शौचालय) अब शहर के आला अधिकारियों के बंगले में बनाने की तैयारी है। ग्वालियर जिला पंचायल द्वारा तैयार किए गए बायोटॉयलेट को अपनाने के लिए देश के विभिन्न राज्य आगे आ रहे हैं। इसी क्रम में शहर में निगमायुक्त विनोद शर्मा का बंगला भी इस मामले में रोल मॉडल बन चुका है। स्वच्छ भारत अभियान के तहत निगमायुक्त विनोद शर्मा के सरकारी आवास में बनाया गया बायोटॉयलेट इन दिनों खूब चर्चा में है क्योंकि वहां बाथरूम के गंदे पानी को पूरी तरह स्वच्छ कर बागवानी होती है। इतना ही नहीं, सब्जियां पैदाकर खुद ही उपयोग भी की जा रही हैं। नगर निगम आयुक्त के गांधी रोड स्थित बंगला 14-ए में तीन शौचालय बने हैं, जिन्हें एक साथ चार टैंक बनाकर आपस में जोड़ा गया है और इन टैंकों के बीच एक बायो-डायजेस्टर टैंक जोड़ा गया है, साथ ही इन टैंकों में विशेष प्रकार के बैक्टीरिया डालकर ह्यूमन वेस्ट को खाने का काम दिया है। इसके बाद बाथरूम व टॉयलेट से निकलने वाला पानी डायजेस्टर से साफ होकर पार्क में पहुंच रहा है, जिसका उपयोग बंगले में सब्जी उगाने के अलावा बागवानी में किया जा रहा है।

जिले में बन चुके हैं 300 से अधिक जैविक शौचालय

ग्वालियर जिले के ग्राम उदयपुर, टेकनपुर, सौंजना, चराई-डांग, सुरेहला व चीनौर सहित विभिन्न गांवों में 300 बायो-टॉयलेट बनाए जा चुके हैं। इसी कड़ी में किला, फूलबाग, बोट क्लब व रेलवे स्टेशन (प्लेटफॉर्म नं.-4 के समीप) सहित लगभग दो दर्जन स्थानों पर बायोटॉयलेट बनाए गए हैं।

15 हजार में बन जाता है जैविक शौचालय

बायोटॉयलेट तकनीक इजाद करने वाले जिला पंचायत के परियोजना अधिकारी इंजी. जयसिंह नरवरिया के अनुसार बायोटॉयलेट बनाने में साधारण शौचालय खर्च जितनी ही लागत है। अनुमान अनुसार व्यक्तिगत शौचालय 15 हजार और 10 सीट का सार्वजनिक शौचालय 50 हजार में तैयार हो जाता है।







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