मुरार शासकीय स्कूल के विद्यार्थी कम पीते हैं पानी क्योंकि नहीं है शौचालय, बीईओ ने घेरे रूम, जर्जर भवन में लग रही कक्षाएं

मुरार शासकीय स्कूल के विद्यार्थी कम पीते हैं पानी क्योंकि नहीं है शौचालय, बीईओ ने घेरे रूम, जर्जर भवन में लग रही कक्षाएं
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मुरार बारादरी स्थित शासकीय प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालय तिकोनिया में अध्ययनरत विद्यार्थियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। यह स्कूल कक्षा 1 से 8वी तक है। जिसमें 355 विद्यार्थी अध्ययनरत है।

ग्वालियर। मुरार बारादरी स्थित शासकीय प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालय तिकोनिया में अध्ययनरत विद्यार्थियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। यह स्कूल कक्षा 1 से 8वी तक है। जिसमें 355 विद्यार्थी अध्ययनरत है। लेकिन स्कूल की बिल्डिंग जर्जर हो चुकी है। जहां शिक्षक कक्षाएं लेते है। बारिश की वजह से विद्यालय के जर्जर कक्ष कभी भी गिर सकते हैं। इससे शिक्षकों के साथ विद्यार्थियों की भी जान का खतरा बना हुआ है। हालांकि विद्यालय में नय रूम तैयार किए गए है। लेकिन उन रूम में बीईओ मंजू सिंह के आदेश पर किताबों का वितरण किया जा रहा है। जिसकी वजह से विद्यालय के 5 रूम घिरे हुए हैं। इस कारण विद्यालय को दो शिफ्ट में लगाना पड़ रहा है। स्कूल में कुल 18 शिक्षक और शिक्षिकाएं हैं। जिनका कहना है कि कई बार बच्चों को स्कूल के मैदान में पढ़ाना पड़ता है। इतनी गर्मी में कक्षों की कमी होने की वजह से जर्जर भवन में बैठना पड़ रहा है। जर्जर भवन कि मरम्मत या दोबारा बनवाने के लिए लगभग 3 सालों से प्रशासन के साथ पत्र व्यवहार हो रहा है। लेकिन कोई सुनवाई नहीं है। स्कूल में शौचालय बन तो गया है। लेकिन इंजीनियर ने काम अधूरा छोड़ा हुआ है। जिसकी वजह से विद्यार्थियों और स्टाफ दोनों का परेशानी होती है।

5 घंटे के स्कूल में कम पीते हैं पानी क्योंकि नहीं है शौचालय-


एक तरफ शासन और प्रशासन शौचालय को लेकर सरकार स्वच्छता अभियान के लिए प्रोत्साहित करता है, दूसरी और शासकीय स्कूलों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस महत्वकांक्षी अभियान की धज्जियां उड़ा रही हैं। इस विद्यालय में शौचालय तो है लेकिन अधूरे है जिनमें पानी की सप्लाई नही है कई बार बोलने के बाद शिक्षक विभाग के इंजीनियर के कान पर जूं नहीं रेंगती है। इस वजह से स्कूल में अध्ययनरत बेटियों का कहना है कि वह 5 घंटे के स्कूल में पानी कम पीती है क्योंकि स्कूल में शौचालय नहीं हैं जो है भी वह काफी गंदा है। ऐसे में कहां जाएं, मज़बूरी में पानी ही कम पीते है।

स्कूल में नहीं है वॉटर कूलर, पीना पड़ता है टंकी का गंदा पानी -


स्कूल में पानी की टंकी का पानी न पीना पड़े इसलिए घर से पानी लाते हैं। विद्यार्थियों का कहना है कि काफी समय से पानी की टंकी साफ नही हुई है। पानी गंदा होता है कभी-कभी पानी में बदबू भी आती है। ज्यादातर स्कूल में वॉटर कूलर की सुविधा होती है लेकिन हमारे स्कूल में नही है।

विद्यालय के मुख्य द्वार पर पड़ा रहता है कचरा-


स्कूल के दो प्रवेश द्वार हैं लेकिन दोनों पर ही लोगों ने कब्ज़ा कर रखा है। मुख्य प्रवेश द्वार लोगों ने लोडिंग वाहन खड़े कर रखे हैं। दूसरे पर बेहद कचरा होने की वजह से उसे खोल नही सकते है। लोग उस द्वार पर कचरा पड़ा होने की वजह से पेशाब कर देते है। स्कूल प्रशासन द्वारा अधिकारियों से लाख शिकायत करने पर भी कोई सुनवाई नही हो रही है।

ब्लॉक शिक्षा अधिकारी को नही है अव्यवस्थाओं की जानकारी

इस संबंध में ब्लॉक शिक्षा अधिकारी मंजू सिंह से जब चर्चा की तो उन्होंने स्कूल में फैली अव्यवस्थाओं की जानकारी होने से इंकार कर दिया। उन्होंने कहा कि नए कमरों में किताबें रखी है या बच्चे खुले में पढ़ रहे है। इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है। वहीँ जर्जर भवन और टॉयलेट के सवालों को टाल दिया। मेरे संज्ञान में आपके जरिए ये मामला आया है तो मैं इसे दिखवाती हूँ।

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