चिकित्सकों की कमी व संसाधनों के अभाव में दम तोड़ती स्वास्थ्य सेवाएं -
ग्वालियर, न.सं.। स्वास्थ्य महकमे द्वारा अस्पतालों में पहुंच रहे मरीजों को भले ही बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के दावे किए जा रहे हों, लेकिन चिकित्सकों की कमी और अस्पताल में व्याप्त अव्यवस्थाओं के चलते मरीजों को परेशान होना पड़ रहा है। जिसका एक उदाहरण लधेड़ी स्थित प्रसूती गृह है, जहां स्वास्थ्य अधिकारियों के आदेशों के बाद प्रसव सुविधा चालू तो करा दी गई। लेकिन चिकित्सकों की कमी और संसाधनों के अभाव में प्रसूताओं को परेशान होना पड़ रहा है। इसी के चलते इस वर्ष प्रसूती गृह में सिर्फ सात से आठ प्रसव ही हो सके हैं। इतना ही नहीं प्रसूती गृह सिर्फ एक दाई के भरोसे ही छोड़ दिया गया है। अस्पताल में पर्याप्त व्यवस्थाएं होने के बाद भी प्रसूताओं को रैफर कर दिया जाता है।
लधेड़ी प्रसूती गृह में प्रसव सुविधा शुरू कराने के आदेश पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया ने वर्ष 2016 में स्वास्थ्य महकमे को दिए थे, जिस पर स्वास्थ्य महकमे ने उनके आदेशों का पालन करते हुए प्रसव सुविधा शुरू तो कराई। लेकिन अब स्वास्थ्य अधिकारियों की अनदेखी और संसाधनों की कमी के कारण प्रसूताओं को भर्ती ही नहीं किया जाता, इसके चलते इस वर्ष अभी तक सिर्फ 7 से 8 महिलाओं का ही प्रसव हो सके हैं। इतना ही नहीं यहां की ओपीडी की बात करें तो यहां चिकित्सक उपलब्ध नहीं रहते। यहां पदस्थ चिकित्सकों को मुरार ड्यूटी के लिए भेज दिया जाता है। प्रसूती गृह सिर्फ दाई के ही भरोसे संचालित हो रहा है। जबकि अस्पताल में 8 पलंगों का एक वार्ड में बना हुआ है। जब लधेड़ी प्रसूती गृह की व्यवस्थाओं का जायजा लिया गया तो सामने आया कि दोपहर दो बजे के बाद प्रसूती गृह में न तो कोई सफाई कर्मचारी रहता है और न ही कोई नर्स। इसके साथ ही अस्पताल में पहुंच रहीं महिलाओं को सिर्फ ओपीडी के समय पर ही उपचार उपलब्ध हो पाता है। ओपीडी के समय के बाद अगर प्रसूता प्रसव के लिए पहुंचती है तो उसे दाई द्वारा वापस लौटा दिया जाता है।
एक्स-रे मशीन भी पुरानी
लधेड़ी प्रसूती गृह की अव्यवस्थाएं यही नहीं थमती, यहां पुरानी एक्सरे मशीन होने के कारण मरीजों के सही से एक्स-रे नहीं होते और मरीजों को सिविल अस्पताल या मुरार जिला अस्पताल भेज दिया जाता है। जबकि अस्पताल में नई एक्सरे मशीन उपलब्ध कराने के लिए कई बार चिकित्सक कह चुके हैं।
एम्बुलेंस की नहीं है कोई व्यवस्था
अस्पताल में अगर किसी प्रसूता को भर्ती कर प्रसव कराया जाता है और प्रसव के दौरान प्रसूता या नवजात शिशु की स्थिति बिगड़ती है तो अस्पताल में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है। जिससे महिला को किसी अन्य अस्पताल में रैफर किया जा सके। जबकि अस्पताल में प्रसव सुविधा शुरू करने से पहले अस्पताल के चिकित्सक अधिकारी ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी से एक एम्बुलेंस की मांग की थी।
रास्ते में पड़ा रहता है कचरा, निकलना भी मुस्किल
लधेड़ी प्रसूति गृह पहुंचने के लिए सकरी गलियों में से होकर जाना पड़ता है। अस्पताल के बाहर ही लोगों ने कचरे का ठिया बना रखा है। जहां क्षेत्र के लोग गोवर सहित अपने घरों का कचरा तक फेंकते हैं। इतना ही नहीं नगर निगम द्वारा समय पर कचरे को उठाया तक नहीं जाता। इस कारण सोमवार को यहां कचरे की दुर्गध के कारण मरीज परेशान होते रहे। इतना ही नहीं हद तो तब हो गई जब किसी के द्वारा कचरे में आग लगा दी और दुआ पूरे अस्पताल में भर गया। जिस कारण मरीजों के साथ ही एक चिकित्सक का दम तक घुटने लगा। जिसके बाद चिकित्सक ने नगर निगम के अधिकारियों से शिकायत की। लेकिन उसके बाद भी कचरा उठाने कोई नहीं आया।
इनका कहना है
अस्पताल की व्यवस्थाएं बेहतर हों। इसके लिए संस्था प्रभारी से चर्चा कर व्यवस्थाएं दुरुस्त कराई जाएंगी। साथ ही कचरे को लेकर नगर निगम के अधिकारियों से बात की जाएगी।
-डॉ. मनीष शर्मा, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी