हाई कोर्ट ने प्रदेश के प्रत्येक जिले में सीन ऑफ क्राइम यूनिट्स बनाने का दिया सुझाव, ट्रेनिंग के लिए पुलिस टीम जाएगी गुजरात

हाई कोर्ट ने प्रदेश के प्रत्येक जिले में सीन ऑफ क्राइम यूनिट्स बनाने का दिया सुझाव, ट्रेनिंग के लिए पुलिस टीम जाएगी गुजरात
X
एक याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस आनंद पाठक ने प्रदेश के प्रत्येक जिले में सीन ऑफ क्राइम यूनिट्स बनाने का सुझाव दिया। जिससे अपराध के अनुसंधान में तकनीक का बेहतर से बेहतर उपयोग हो सके।

ग्वालियर। मप्र हाई कोर्ट की ग्वालियर बेंच ने मप्र पुुलिस को महत्वपूर्ण सलाह दी है। एक याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस आनंद पाठक ने प्रदेश के प्रत्येक जिले में सीन ऑफ क्राइम यूनिट्स बनाने का सुझाव दिया। जिससे अपराध के अनुसंधान में तकनीक का बेहतर से बेहतर उपयोग हो सके, इसके लिए उन्होंने कहा कि पुलिसकर्मियों की टीम गठित कर उन्हें गुजरात के संस्थानों में ट्रेनिंग के लिए भेजा जाए। इसकी शुरुआत अगले दो माह के भीतर कर दी जाए। अब इस मामले की अगली सुनवाई 6 नवंबर 2023 को होगी।

एक मामले में सुनवाई में कोर्ट को बताया गया था कि आरोपी दीपक ​सिंह चौहान के खिला‍फ 4 प्रकरण (केस डायरी के अनुसार) दर्ज हैं। बाद में बताया गया कि उसके खिलाफ 6 केस दर्ज हैं। इस पर कोर्ट ने कहा कि सीसीटीएनएस (क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रेनिंग नेटवर्क एंड सिस्टम) और आईसीजेएस (इंटर - ऑपरेबल क्राइम जस्टिस सिस्टम) का पूरी क्षमता से इस्तेमाल ही नहीं हो पा रहा। क्योंकि पुलिस अधिकारियों को इसके उपयोग के संबंध में सही तरीके से प्रशिक्षण नहीं दिया गया है।

डीएसपी ने जज को बताया, कैसे काम करता है एप: कोर्ट में डीएसपी दीपक कदम (फिंगरप्रिंट) व अन्य अधिकारी मौजूद रहे। डीएसपी ने कोर्ट को बताया कि किस तरह ई-विवेचना एप के माध्यम से नक्शा मौका तैयार किया जाता है। कैसे घटनास्थल के फोटो, वीडियो अपलोड किए जा सकते हैं। इसके साथ ही एप से केस डायरी भी लिख सकते हैं।

ये भी दिए सुझाव... टीम को ट्रेनिंग के लिए गुजरात भेजें-

अपराध जांच में टेक्नोलॉजी और फोरेंसिक टूल का उपयोग करने के लिए पुलिस अधिकारियों की टीम गठित करें। इन्हें गांधी नगर (गुजरात) के नेशनल फोरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी में प्रशिक्षण दिलाएं।

भ‍ोपाल में नेशनल फोरें​सिक साइंस यूनिवर्सिटी का कैंपस तैयार हो रहा है। तब तक गांधी नगर के विशेषज्ञ प्रशिक्षण देने का काम करें।

प्रकरणों में सजा का प्रतिशत कम है। ऐसे में एक एप तैयार किया जाए, जिसमें जांच में क्या कमी रही, ​इसकी जानकारी भी प्रदर्शित की जाए।

केस डायरी से जुड़े तथ्य व आपराधिक रिकॉर्ड भी सीसीटीएनएस में समाहित हो सकें, इस दिशा में मप्र का गृह विभाग, डीजीपी कार्य करें।

Tags

Next Story