गुरू परंपरा ने हिंदुस्तान की सनातन संस्कृति के संरक्षण में बहुत बड़ा योगदान दिया: अग्निहोत्री

गुरू परंपरा ने हिंदुस्तान की सनातन संस्कृति के संरक्षण में बहुत बड़ा योगदान दिया: अग्निहोत्री
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सिख गुरू तेगबहादुर जी के 400 वे प्रकाश पर्व के उपलक्ष्य में हिन्द दी चादर कार्यक्रम आयोजित

ग्वालियर,न.सं.। 15वी शताब्दी में दस गुरू परंपरा के उदय ने भारत के इतिहास को दिशा दी। गुरू नानक देव जी से शुरू हुई इस परंपरा को गुरू तेगबहादुरजी ने भी बखूबी ढंग से आगे बढ़ाया। गुरू परंपरा ने हिंदुस्तान की सनातन संस्कृति के संरक्षण में बहुत बड़ा योगदान दिया। भारतीय संस्कृति के संरक्षण का जो मार्ग गुरूनानक ने दिखाया था, उस मार्ग पर चलकर गुरू तेगबहादुर जी ने भारतीय संस्कृति की रक्षा की।


यह बात केन्द्रीय विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश के पूर्व कुलपति डॉ. कुलदीपचन्द्र अग्निहोत्री ने गुरू तेगबहादुर जी की 400 वे प्रकाश पर्व के अवसर पर जीवाजी विश्वविद्यालय के अटल सभागार में श्री गुरू तेगबहादुर साहिब जी 400वां प्रकाश पर्व आयोजन समिति एवं पंजाबी साहित्य अकादमी के संयुक्त तत्वावधान द्वारा आयोजित हिन्द दी चादर कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में कही। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में संस्कृति मंत्री ऊषा ठाकुर व विशिष्ट अतिथि ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर उपस्थित थे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के ग्वालियर जिले के संघ चालक विजय गुप्ता, गुरूद्वारा दाताबंदी छोड़ के मुख्य प्रबंधक लख्खा सिंह मंचासीन थे।

कार्यक्रम में श्री अग्निहोत्री ने कहा कि सप्तसिंधु कहे जाने वाले पंजाब में दस गुरू परंपरा का उदय हुआ था, जिसने पूरे हिन्दुस्तान खासतौर पर उत्तर भारत में क्रांतिकारी योगदान दिया। ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने कहा कि गुरू तेगबहादुर जी द्वारा बताए मार्ग पर चलकर हम सभी को उनकी भावना एवं शहादत का सम्मान करना चाहिए।

संस्कृति मंत्री ऊषा ठाकुर ने कहा कि सिख गुरूओं की परंपरा ने अन्याय व अत्याचार का पुरजोर विरोध कर मानवता की रक्षा की। गुरूओं की परंपरा ने पीढ़ी दर पीढ़ी देश की संस्कृति, धर्म व समाज की रक्षा के लिए अपना बलिदान देती रही। त्याग एवं तपस्या की यह सच्ची कहानी सदैव देशभक्ति की प्रेरणा देती रहेगी।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के ग्वालियर जिले के संघ चालक विजय गुप्ता ने कहा कि अपनी संस्कृति व देश की रक्षा के लिए सिख समाज के बलिदानियों की बहुत बड़ी श्रृंखला है। स्वागत उदबोधन राज्य शासन के संस्कृति विभाग से संबद्ध पंजाबी साहित्य अकादमी की निदेशक नीरू सिंह ज्ञानी ने दिया। कार्यक्रम की प्रस्तावना पर डॉ. एम एस भल्ला ने प्रकाश डाला।

विजेताओं को किया सम्मानित

अतिथियों द्वारा सिख समाज द्वारा आयोजित की गई पगड़ी बांधो प्रतियोगिता के विजेता बच्चों एवं अन्य प्रतिभागियों को सम्मानित किया ।

नाटक में सनातनी परंपराओं का पढ़ाया पाठ

पटियाला से आए कलाकारों ने गुरू तेगबहादुर जी एवं गुरू परंपरा पर केन्द्रित रोमांचक नाटक का मंचन कर समाज को धर्म, मानवीय मूल्यों, आदर्शो और सिद्धांत की रक्षा का संदेश दिया। कलाकारों ने नाटक में गुरु तेग बहादुर के जीवन से मानव को जीने की राह मिलने को दिखाया। लोगों को अपनी सनातनी परंपराओं के बारे में बताकर पालन करने का पाठ पढ़ाया। नाटक में दिखाया कि औरंगजेब के शासन में लोगों पर जुल्म ढहाए गए। हिदुंओं को इस्लाम स्वीकार करने के लिए यातनाएं दी गई। खास तौर पर कश्मीर में बेहद बुरा हाल था। यह नाटक देखकर सभी के भीतर देशभक्ति का जज्बा हिलोरे लेने ल

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