बाजार खुले तो हॉकर्स जोन से बाहर निकले ठेले,
ग्वालियर,न.सं.। शहर में हॉकर्स जोन खरीददार और विक्रेताओं की सुविधा के लिए बनाए गए हैं। जिससे खरीददारों को एक ही जगह पर सामान आसानी से मिल सके। साथ ही सड़क पर अस्थाई खड़े होने वाले ठेलों से यातायात जाम लगने जैसी समस्या से निजात मिलती है। लाखों रुपए की राशि खर्च कर बनाए गए हॉकर्स जोन अनुपयोगी बने हुए हैं। वहीं इन हॉकर्स जोन के खाली पड़े होने से प्रशासन पर सवालिया प्रश्न उठता है। बुधवार को चार दिन के लॉकडाउन के बाद मुरार सदर बाजार में हालत यह थे कि सभी ठेले वाले सड़क किनारे ठेले लगाकर जा बैठे। जिससे दोपहर दो बजे तक जाम जैसे हालत बने।
कुछ माह पहले निगम और जिला प्रशासन के अधिकारियों ने सख्ती दिखाते हुए सभी मुरार क्षेत्र के अस्थाई दुकानदारों को हॉकर्स जोन में शिफ्ट कराया था। लेकिन मार्च माह के बाद से ही हॉकर्स जोन में ठेलों की संख्सा न के बराबर रह गई है। कुछ ऐसा ही हाल कंपू क्षेत्र स्थित हॉकर्स जोन, महिला हॉकर्स जोन, बहोड़ापुर क्षेत्र स्थित हॉकर्स जोन का भी है। जहां पर अस्थाई दुकानदारों को पहुंचाए जाने के संबंध में निगम प्रशासन द्वारा गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है।
बिजली, पानी जैसी सुविधाएं नहीं
कम्पू क्षेत्र में नेहरू पार्क के समीप ही काफी संख्या में अस्थाई दुकानें लगती हैं। जिससे व्यस्तम बाजार में यातायात व्यवस्था प्रभावित होती है। इसके लिए ही नेहरू पार्क के समीप ही हॉकर्स जोन का निर्माण कराया गया था। शुरुआती दिनों में तो यहां पर हाथ ठेले वालों को खड़ा होने के लिए जगह दी गई थी, लेकिन हॉकर्स जोन मेें बिजली और पानी सहित अन्य सुविधाओं के अभाव में अस्थाई दुकानदार यहां जाने से कतराने लगे। वर्तमान में अस्थाई दुकानदार अपने ठेलों को दिन के समय में तो सडक़ों पर खड़ा करते हैं और रात में ठेले हॉकर्स जोन में ताला लगाकर खड़े कर चले जाते हैं।
महिला हॉकर्स जोन खाली
महिला हॉकर्स जोन की बता करें तो यहां के भी हालात बद से बदतर बने हुए हैं। यहां कोई भी ठेला खड़ा नहीं होता है। जिससे महिला हॉकर्स जोन हर समय ही खाली पड़ा रहता है। इधर हॉकर्स जोन की देखभाल नहीं होने के कारण आस-पास के लोगों द्वारा अपना सामान रखकर अस्थाई कब्जा भी किया जा रहा है। जबकि महिला हॉकर्स जोन में सभी सुविधाएं है। लेकिन निगम प्रशासन द्वारा आस-पास खड़े होने वाले अस्थाई दुकानदारों को खाली पड़े हॉकर्स जोन में भिजवाए जाने के संबंध में कोई पहल तक नहीं की जा रही है।