ग्वालियर में हुंडी कांड का जिन्न फिर से आ सकता है बाहर !
ग्वालियर। लगभग डेढ़ वर्ष पहले दाल बाजार में सौ करोड़ रुपए से भी अधिक के फर्जी हुंडी कांड का जिन्न एक बार फिर बाहर आ सकता है। इस कांड से ब्याज का कारोबार करने वालों में खलबली मच गई थी। इस मामले में दाल बाजार के व्यापारियों ने हुंडी दलाल आशू गुप्ता, उसके पिता और पत्नी के खिलाफ कोतवाली थाना में करोड़ो रुपए की फर्जी हुंडी लिखकर रकम पचाने की प्राथमिकी दर्ज कराई थी। बाद में आशू के गिरफ्तार होने पर शहर से बाहर के दलालों के नाम भी जुडऩे वह भी गिरफ्तार हुए थे लेकिन उच्च राजनीतिक जवाब के चलते इसमें सीआईडी जांच बैठा दी गई जिससे मामला ठंडा पड़ गया और लुटे पिट व्यापारियों को शांत होना पड़ा
इस बीच दाल बाजार व्यापार समिति के चुनाव हुए जिसमें पीडि़त व्यापारी दिलीप पंजवानी अध्यक्ष चुने गए इसलिए पीडि़त व्यापारियों ने हुंडी कांड को लेकर दो रोज पहले मुख्यमंत्री डॉ मोहन सिंह यादव से भोपाल में मुलाकात की। जिसमें उनसे आग्रह किया गया कि यह मसला बेहद अहम है इसमें व्यापारियों को राहत दिलाई जाए। हालांकि किसी भय की वजह से भोपाल गए व्यापारी इसे सौजन्य भेंट बता रहे हैं। यहां बता दें कि इस बहुचर्चित हुंडी कांड में शहर भर के एक दर्जन से भी अधिक व्यापारियों का लगभग 100 करोड़ से अधिक रुपया दांव पर लगा हुआ था जो पूरी तरह डूब गया। इसमें 25 से 30 करोड़ रूपया अकेले दाल बाजार के व्यापारियों का ही था।जिसपर अध्यक्ष दिलीप पंजवानी, सचिव विवेक जैन लिल्ले,दीपक बंसल टीटू, नंदलाल जैसवानी, नंदकिशोर गोयल बंटी ने मुख्यमंत्री से मुलाकात कर अपनी बात रखी। जिसमें एक राजनेता के इशारे पर मामले को दबाए जाने की बात कही गई। इन व्यापारियों ने जब मुख्यमंत्री से मुलाकात के फोटो सोशल मीडिया पर वायरल किए तब चर्चा में आया कि निश्चित ही इसमें मुख्य मसला हुंडी कांड ही है। चूंकि दाल बाजार व्यापार समिति के पदाधिकारियों और कार्यकारिणी को विश्वास में नहीं लिया गया इसलिए उपाध्यक्ष संजय बंसल और पंकज गोयल ने व्हाट्सएप ग्रुप पर जिज्ञासा दिखाई कि यह मुलाकात निजी थी अथवा समिति की। लेकिन भोपाल गए पदाधिकारियों ने इसका कोई जवाब नहीं दिया है।
हर्षिल की आत्महत्या से पकड़ा तूल
इस बीच गेहूं कारोबारी संजय साहनी के युवा सुपुत्र हर्षिल साहनी के आत्महत्या कर लेने से इस मामले ने और भी तूल पकड़ लिया था।तब चेंबर ने भी बैठकें की और आत्महत्या के लिए उकसाने पर एफआईआर दर्ज न करने पर ग्वालियर बंद की चेतावनी दी। लेकिन मामले में सीआईडी जांच बैठने के बाद कोई आंदोलन नहीं हुआ लेकिन जिस तरह से पीडि़त व्यापारियों ने मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के समक्ष अपनी बात रखी है उससे उन्हें इस बार भरोसा है कि न्याय मिलेगा।