टीएंडसीपी : जब शिकायत ही नहीं हुई तो जयवर्धन राय ने कैसे बैठाई है जांच, उठे सवाल

टीएंडसीपी : जब शिकायत ही नहीं हुई तो जयवर्धन राय ने कैसे बैठाई है जांच, उठे सवाल
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खुद को डिमोशन की आहट पा जबरदस्ती दिया है मामले को तूल

ग्वालियर। टाउन एंड कंट्री प्लानिंग (नगर तथा ग्राम निवेश) में पुननिर्माण स्वीकृति पर निवर्तमान संयुक्त संचालक जयवर्धन राय की कार्य प्रणाली जबरदस्त तरीके से सवालों के घेरे में है। क्योंकि परमिशन लेने वाले आवेदक व आर्किटेंक्ट द्वारा सहायक संचालक केके कुशवाह की रिश्वत संबंधी कोई भी शिकायत ही नहीं करने का खुलासा हुआ है। अब ये सवाल उठ रहे है कि विभाग मिले क्लीयरीफिकेशन पत्र में आर्कि टेक्ट द्वारा लेन देने की बात पर अधिकारी के ऊपर कैसे जांच बैठाई गई है। मामले में अह्म्म बात यह भी पता लगी है कि जुलाई 2023 में आवेदक ने निवर्तमान जेडी जयवर्धन राय द्वारा परमिशन रिजेक्ट करने पर सीएम हेल्प लाइन में शिकायत की गई थी।

गौरतलब है कि गुढ़ा-गुढ़ी के नाका क्षेत्र में रहने वाले ओपी गुप्ता ने टीएंडसीपी कार्यालय में 02 दिसंबर 2023 को आर्किटेक्ट राघवेन्द्र कुशवाह के माध्यम से ऑनलाइन परमिशन सम्मिट की थी, जो निवर्तमान संयुक्त संचालक जयवर्धन राय ने जानबूझकर 31 दिसंबर तक लंबित रखी गई। क्योंकि जुलाई 2023 में पहले परमिशन के आवेदन को निवर्तमान जयवर्धन राय ने रिजेक्ट कर दिया था और उस मामले में आवेदक ने मामले में मनमानी की शिकायत सीएम हेल्प लाइन पर दर्ज करवाई थी, लेकिन 01 जनवरी 2024 से जैसे ही सहायक संचालक केके कुशवाह को प्रभारी संयुक्त संचालक का चार्ज मिला, तो उन्होंने बिना देर किए 16 जनवरी को परमिशन जारी कर दी थी और इसके बाद आवेदक ने क्लीयरीफिकेशन मांगा था। जिसमें आर्किटेक्ट चन्द्रप्रकाश बंसल का हवाला था, जबकि चन्द्रप्रकाश बंसल का टीएंडसीपी में कोई रजिस्टे:शन न होने से सीधे कोई वास्ता ही नहीं है।

16 को दी परमिशन, 18 को भेजा गोपनीय पत्र

मामले में आवेदक ओपी गुप्ता को 16 जनवरी 2024 को परमिशन मिल गई, लेकिन आर्किटेक्ट पैसे मांगने व 58 की जगह 24 मीटर पर ही अनुज्ञा के संबंध में क्लीयरीफिकेशन के लिए प्र्रभारी जेडी केके कुशवाह को 18 जनवरी को गोपनीय पत्र से लिखा था, जिसका विभागीय स्तर पर कोई भी लेना देना व नियमानुसार अनुमति होने पर 25 जनवरी को निराकरण कर दिया और 28 जनवरी के बाद जयवर्धन राय को ज्वाइन होने पर खुद केके कुशवाह ने मामले की जानकारी दी थी।

जयवर्धन राय ने बदनाम करने बैठाई थी जांच

विभागीय जानकारों की मानें तो पिछले कई महीनों से भोपाल स्तर पर अधिकारियों की अनदेखी व कार्यप्रणाली से जयवर्धन राय का डिमोशन होना तय हो गया था और उन्हें उसकी खबर भी लग गई थी। कि केके कुशवाह को चार्ज दिया जा रहा है। इसी के चलते उन्होंने बिना शिकायत के भी 30 हजार रिश्वत मामले की जांच बैठाई और मामले को तूल देने के लिए भोपाल स्तर तक दस्तावेजों को पहुंचाकर विभागीय विद्वेष की राजनीति की है। जिससे केके कुशवाह को चार्ज न मिले।

इनका कहना है कि

- मैंने आवेदक से केवल अपनी कंस्लटेंसी फीस मांगी थी, जयवर्धन जी को मैंने और आवेदक ने रिश्वत-भष्ट:ाचार संबंधी कोई शिकायत नहीं की है। क्लीयरीफिकेशन के संंबंध में आवेदक को मैंने ही पत्र लिखने को कहा था, जो उन्होंने लिखा था।

चन्द्र प्रकाश बंसल, आर्किटेक्ट

- आवेदक से मेरी कभी कोई बात नहीं हुई है, न उन्होंने मेरी कोई शिकायत की है। पता नहीं कैसे जयवर्धन राय जी ने मेरी जांच बैठाई है। मैने तो परमिशन बाद मिले पत्र के निराकरण की खुद उन्हें जानकारी दी थी।

केके कुशवाह, प्रभारी संयुक्त संचालक

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