लोहा व्यापारियों ने लगाई सचित्र प्रदर्शनी, झूठे वादे और आश्वासन की सचित्र कहानी

लोहा व्यापारियों ने लगाई सचित्र प्रदर्शनी, झूठे वादे और आश्वासन की सचित्र कहानी
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ग्वालियर। नई लोहा मंडी की जमीन पाने के लिए सालों से दर-दर भटक रहे लोहा व्यापारियों में अपनी व्यथा कथा प्रदर्शनी के द्वारा प्रकट की।इस प्रदर्शनी की व्यथा कथा साल 2003 से बताई है। जब जिला योजना समिति द्वारा यातायात दवाब के चलते लोहा और दाल बाजार की शहर से बाहर मंडी बनाने की योजना बनाई गई थी 2004 में दर निर्धारण 2005 में उच्च न्यायलय का फैसला 2007 में एक करोड़ 69 लाख रुपये जमा करने का आदेश 2008 में नक्शा, योजना और विकास कार्य के लिए धन की मांग 2009 में जी डी ए के विकास कार्य 2010 मे आवंटन की कार्रवाई के रोड़े 2011 में मामले की कार्रवाई के शासन प्रशासन के चक्कर ।2012-2013 में लोहामंडी का आंदोलन और मुख्यमंत्री शिवराजसिंह जी का आश्वासन फिर कैबिनेट का निर्णय ।

2014 में कैबिनेट निर्णय के बाद की कार्रवाई के लिए दफ्तरों के चक्कर लगाते व्यापारी । 2015 -16 में राजनीतिक नेताओ और शासन के दरवाजों पर दस्तक- आश्वासन ,2018 में फिर लोहा व्यापारियों का आंदोलन और मुख्यमंत्री शिवराजसिंह जी के मंत्रिमंडल का निर्णय और प्रशासन द्वारा गलत दरों का निर्धारण 2019 में निवेदनों का दौर फिर 2020 में तीसरी बार आंदोलन ।प्रदर्शनी पूरे संघर्ष की कहानी सचित्र बयान करती है ।ग्वालियर लोहा व्यवसाई संघ के अध्यक्ष संजय कठ्ठल सचिव निर्मल जैन ने बताया कि इस व्यथा कथा में निष्कर्ष यही है कि शासन की योजनाओं को व्यापारी देखभाल कर ही विश्वास करें ।ये शासन प्रशासन,नेताओ के छल कपट और विश्वासघात की कथा है जिसमे भूमाफिया भी मिले है ।ये झूठे वादों और नियमो के मकड़जाल में उलझे व्यापारियों की व्यथा कथा है ।उन्होंने कहा कि संघर्ष कभी खाली नही जाता न्याय की जीत होकर रहेगी। कल से लोहा व्यापारी सरकार के रवैये के विरोध में आमरण अनशन करेंगे।


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