श्री रामलला प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए रवाना हुए जयभान सिंह पवैया, कहा - अब नारा बदला, सौगंध राम की खाते हैं भारत भक्त बनाएंगे
ग्वालियर। तीव्र शीतलहर में हजारों की संख्या में उपस्थित आमजनों के बीच भगवान श्रीराम की जय हो, काशी विश्वनाथ की जय हो, भारत माता की जय हो के नारों के बीच जयभान सिंह पवैया ने शुक्रवार को महाराज बाडे़ पर कारसेवकों का सम्मान किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि राम मंदिर के आंदोलन के दौरान हम नारा लगाते थे कि सौगंध राम की खाते हैं, मंदिर वहीं बनाएंगे। अब मंदिर तो बन गया अब नारा भी बदलना पडेगा, सौगंध राम की खाते हैं भारत भक्त बनाएंगे। आज मैं ग्वालियर से अयोध्या कूच कर रहा हूं, मैं आप सबकी मनोदशा समझ रहा हूं। अयोध्या के भगवान रामलला के मंदिर में जब मैं दंडवत करूंगा तो आपकी भावनाएं भी रामलला के चरणों में अर्पित करूंगा। मैं अकेला ही अयोध्या नहीं जा रहा हूं, लाखों भावनाओं को साथ लेकर जा रहा हूं।
जयभान सिंह ने कहा राम मंदिर आंदोलन की याद करते हुए कहा कि 5 दिसंबर की रात्रि स्व. अशोक सिंघल ने विनय कटियार और मुझसे कहा कि आप दोनों जाकर शिविरों में कारसेवकों का मन टटोलो और कारसेवकों का एक ही जवाब था कि अब बावड़ी ढांचा नहीं बचेगा इस बार आर-पार का फैसला होगा। मैंने यह बात जाकर श्री सिंघल को बताई कि अब रामभक्त जाग चुके हैं, मैं गर्व से कहता हूं कि आज देश की चारों दिशाओं में राम ध्वजा फहरा रही है, कण-कण में राम का नारा गूंज रहा है।
राममंदिर आंदोलन आजादी के आंदोलन से भी बड़ा आंदोलन था
उन्होंने आगे कहा कि यह राममंदिर आंदोलन आजादी के आंदोलन से भी बड़ा आंदोलन था, और यह अहिंसक आंदोलन था। यह आंदोलन 1528 से शुरू हो गया था। अक्टूबर 1984 में सरयू जी के तट पर रामभक्तों का विराट समागम हुआ था और देश के सवा तीन लाख गांवों में रामशिला का पूजन हुआ था। उन्होंने कहा कि हम सबको गर्व है कि हम सबका योगदान भी आंदोलन में रहा। हमारी आंखों के सामने वह शुभ घड़ी आ गई है कि यह प्रभु की कृपा है कि मंदिर बन गया है, रामलला विराजमान हो रहे हैं और हम सब इस ऐतिहासिक क्षण के साक्षी है।
22 जनवरी को राष्ट्रीय उत्सव ही नहीं अंतर्राष्ट्रीय उत्सव मनाया जाएगा
इस अवसर पर विभाग संचालक विजय गुप्ता ने कहा कि 90-92 में जब कारसेवकों का जत्था निकलता था, मैं भी एक संघ के स्वयंसेवक के नाते व्यवस्था में लगा था, उस समय इस आंदोलन में हमारा मार्गदर्शन पवैया जी कर रहे थे। उन्होंने कहा कि 22 जनवरी को विश्व हिंदू परिषद में महानगर के समस्त नागरिकों से आव्हान किया है कि वे अपने मोहल्लों के मंदिरों में रामधुन का पाठ करें, हनुमान चालीसा एवं सुंदरकांड का पाठ करें और रात्रि अपने घर में दीये जलाएं और दीपावली मनाएं। 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस होता है, 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस होता है, अब 22 जनवरी को राष्ट्रीय उत्सव ही नहीं अंतर्राष्ट्रीय उत्सव मनाया जाएगा।
पवैया जी पर भगवान की असीम कृपा है
इस अवसर पर संबोधित करते हुए दंदरौआ सरकार के के महंत रामदास जी महाराज ने कहा कि 22 जनवरी को अयोध्या में भगवान रामलला जी विराजने वाले हैं। प्रदेश के वरिष्ठ नेता पवैया जी इस कार्यक्रम में जा रहे हैं उनकी यात्रा मंगलमय हो। पवैया जी पर भगवान की असीम कृपा है वह बहुत भाग्यशाली हैं कि उन्हें रामजन्मभूमि का कार्यक्रम साकार देखने को मिल रहा है।
गदा भेंट की -
इस अवसर पर भाजपा जिलाध्यक्ष श्री अभय चौधरी ने श्री पवैया जी को अंग वस्त्र और गदा भेंटकर उनका सम्मान किया।इस अवसर पर मंच पर आरएसएस के संघचालक विजय गुप्ता, हिंदू जागरण मंच के प्रांत प्रमुख राजीव दंडौतिया, विश्व हिंदू परिषद के विभाग अध्यक्ष मुकेश गुप्ता, उजार्मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर, मप्र के मंत्री नारायण सिंह कुशवाह, जिलाध्यक्ष अभय चौधरी, विश्व हिंदू परिषद के पप्पू वर्मा, बलिदान कारसेवक संत पुत्तू बाबा के वंशज प्रताप सिंह गुर्जर, कारसेवक प्रतिनिधि नरेंद्र पाल सिंह भदौरिया, मुरैना से वयोवृद्ध कारसेवक मातादीन गोयल उपस्थित थे।
कारसेवकों का सम्मान -
कार्यक्रम के प्रारंभ में श्री हनुमान मंदिर में आ. श्री जयभान सिंह पवैया ने सपरिवार पूजा अर्चन किया। इसके बाद मंच के बाईं ओर कारसेवक दीर्घा में बैठे हुए कारसेवकों को अंगवस्त्र पहनाकर एवं पुष्प वर्षाकर उनका सम्मान किया गया। इसके बाद श्री पवैया ने 1990 व 92 में कारसेवा में प्रत्यक्ष भाग लेने वाले कारसेवकों के प्रतिनिधि के रूप में संत पुत्तूबाबा के वंशज प्रताप सिंह गुर्जर, विजय गुप्ता, नरेंद्र पाल सिंह भदौरिया, देवेंद्र श्रीवास्तव, मातादीन गोयल, चिमन सिंह गुर्जर, सुशील जैन, पूरन सिंह भदौरिया, दीलीप श्रीवास्तव का स्वागत अंग वस्त्र, श्रीफल एवं पुष्प माला पहनाकर किया।
चंबल पुल पर फहराया रामध्वज -
कार्यक्रम के बाद पवैया महाराज बाड़े से सराफा बाजार तक पैदल चले। इस दौरान कार्यकतार्ओं और आमजन ने भव्य आतिशबाजी चलाकर, शंख एवं तोरई का घोष किया। उसके बाद पवैया का सराफा बाजार के व्यापारी बंधुओं ने पुष्प वर्षाकर भव्य स्वागत किया। इसके बाद पवैया ने ग्वालियर से रवाना होने के बाद गोहद चौराहे पर पुत्तू बाबा को श्रद्धांजलि दी। भिंड इटावा चंबल पुल जहां 1990 में कारसेवकों ने गोलियों के बीच संघर्ष किया था, उस जगह श्री राम ध्वजा फहराकर श्री पवैया ने उत्तर प्रदेश की सीमा में प्रवेश किया।