जेसी मिल श्रमिकों को सरकार का बड़ा तोहफा, मकानों का मिलेगा मालिकाना हक

जेसी मिल श्रमिकों को सरकार का बड़ा तोहफा, मकानों का मिलेगा मालिकाना हक
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ग्वालियर। जेसी मिल के श्रमिक जिस आवास मे वर्षों से निवासरत हैं, उस मकान में उनके बुजुर्गों व बच्चों की यादें जुडी हुई हैं। अब वह बिना किसी भय व चिंता के उसी आवास में अपने परिजनों के साथ रहें। इसके लिए प्रदेश की सरकार द्वारा सभी श्रमिकों द्वारा उन्हें उसी आवास का मालिकाना हक दिया जा रहा है। जिसमें वह निवासरत हैं। यह बात बुधवार को प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने कम्युनिटी हॉल कांचमील में जेसी मिल के श्रमिकों को आवास के आवेदन देने के लिए लगाए गए शिविर में व्यक्त किए।

जेसी मिल के श्रमिकों को आवास का मालिकाना हक के आवेदन देने के लिए लगाए गए शिविर में मंडल अध्यक्ष बृजमोहन शर्मा, ओमप्रकाश शेखावत, धारा सिंह, जगराम कुशवाह, संतोष भारती, मायाराम तोमर, सुरेन्द्र चौहान, राजेन्द्र शर्मा, दिनेश सिकरवार, शीतल अग्रवाल सहित क्षेत्रीय गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।

असमंजस में तीन पीढिय़ां निकल गई-

ऊर्जा मंत्री तोमर ने कहा कि तीन-तीन पीढिय़ां निकल गईं, हमारे परिवार के लोग असमंजस में रहते थे कि जगह मिलेगी या नहीं, परंतु आज उस सपने की सुनहरी पहल शुरू होने जा रही है। निवासरत सभी श्रमिकों को 30 वर्ष के लिए स्थाई पट्टा मिलने जा रहा है। यह आप सभी के सहयोग प्रेम से ही सम्भव हो पाया है। आपके एक-एक रुपये ने मुझे इस लायक बनाया उसी का ब्याज चुका रहा हूँ।

वादा किया पूरा -

उन्होंने कहा कि जेसी मील के गरीब मजदूर परिवार लम्बे समय से अपने मकान के लिए इंतजार कर रहे थे उसको अब मालिकाना हक मिलने जा रहा है। मैंने जो वादा किया था उसको पूरा कर रहा हूँ, मैं कल भी आपका सेवक था और आज भी आपका सेवक हूँ, मेरा एक ही लक्ष्य है कि मैं हमेशा आपकी सेवा करता हूँ। उन्होंने कहा कि सबको आवास का मालिकाना हक तो मिल ही रहा है इसके साथ ही लाइनों में खुली भूमि का उपयोग अच्छे कार्यों के लिए होगा।

शासन स्तर पर कार्य शुरू -

तोमर के प्रयासों से मप्र शासन द्वारा जेसी मिल के आवासों में निवासरत श्रमिकों को पट्टे दिये जाने के लिए कुछ समय पहले राजस्व विभाग द्वारा सर्वेक्षण का कार्य किया गया था। लाइन नं.1, 2, 8, (3) सिमको लाइन, असिस्टेंट लाइन, न्यू असिस्टेंट लाइन के निवासरत 711 श्रमिकों के आवेदन भरे जा रहें क्योंकि यह जगह शासकीय हो चुकी हैं। बांकी अन्य लाइनों के लिए शासन स्तर पर प्रयास किया जा रहा है। वह भी शीघ्र ही शासन के आधिपत्य मे आये जिससे उनको भी पट्टे जारी किये जा सकें।


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