जीवाजी विश्वविद्यालय में शाम होते ही बन जाता है शराब का अड्डा
ग्वालियर। जीवाजी विश्वविद्यालय को ए प्लस प्लस का दर्जा प्राप्त है, लेकिन यहां शाम होते ही शराबियों का अड्डा बना जाता है। विवि के विभिन्न विभागों के बाहर शराब की खाली बोतलें पड़ी रहती हैं। इसलिए विवि में शाम 6 बजे के बाद गेट पर रजिस्टर रखा जाए और किसी को भी बिना रजिस्टर में एंट्री किए प्रवेश न दिया जाए। यह बात एनएसयूआई जिलाध्यक्ष पारास यादव ने कुलपति प्रो.अविनाश तिवारी को ज्ञापन सौंपते हुए कही।
पारस यादव के नेतृत्व में बड़ी संख्या में विद्यार्थी बुधवार की दोपहर 12.30 बजे विश्वविद्यालय पहुंचे। इस दौरान विद्यार्थियों ने जमकर नारोबाजी करते हुए धरना प्रदर्शन किया। छात्रों का हंगामा देख कुलपति प्रो. अविनाश तिवारी मुख्य द्वार पर पहुंचे और सीढिय़ों पर बैठ गए और छात्रों की समस्याएं सुनी। छात्रों ने कुलपति को बताया कि शिक्षक कॉपियां बिना चैक करे ही छात्रों को फेल कर रहे हैं। आरटीआई के माध्यम से जो कॉपियां निकलवाईं हैं, उन्हें आप देखो। इसमें आगे के सिर्फ चार पेज चेक हैं, बांकी के नहीं। यह सुनते ही कुलपति भडक़ गए और छात्रों से कहा कि अगर ऐसा है तो छात्रों को मेरे पास कॉपी लेकर भेजो। इस बात को लेकर दोनों में बहस भी हुई। पारस ने कुलपति को बताया कि पहले प्रत्येक मंगलवार को एक अधिकाकरी नीचे बैठकर छात्रों की सुनवाई करता था। लेकिन अब वह बंद हो गई। इसे कुलपति ने अब हर मंगलवार से शुरू करने का आश्वासन दिया है। ज्ञापन के दौरान जिलाध्यक्ष पवन शर्मा, विश्वविद्यालय उपाध्यक्ष कृष्ण प्रताप तोमर, आर्यभट्ट हॉस्टल अध्यक्ष सुशांत सिंह और वंश महेश्वरी सहित अन्य छात्र-नेता उपस्थित थे।
यह रखी प्रमुख मांगे
विवि प्रशासन द्वारा सेमेस्टर प्राणाली वाले विद्यार्थियों की एटीकेट की 10 माह पूर्व परीक्षाए कराई गई थी। जिनका परिणाम घोषित नहीं किया गया। परीणाम जल्द घोषित किया जाए। गर्मी का मौसम आने वाला है गर्म में सभी छात्रों को ठण्डा पानी मिल सके इसलिए सभी विभागों में वाटर कूलर लगवाए जाए। साथ ही जहां पहले से कूलर लगे उन्हें सही करवाया जाए। विद्यार्थियों के समास्याओं के जल्द निराकरण के लिए ऑनलाईन टोकन सिस्टम बनाया गया था। जिस में काफी खामिया है, जिसे जल्द दूर किया जाए। विद्यार्थियों की शिकायतों की सुनवाई के लिए पहले हर मंगलवार जन सुनवाई आयोजित की जाती थी। जो काफी समय नहीं लग रही है विद्यार्थियों के हित में पुन: जनसुनवाई लगाई जाए।