प्रदेश की पहचान अब माफिया, भ्रष्टाचार और पिछड़ेपन से: कमलनाथ
ग्वालियर, विशेष प्रतिनिधि। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने शनिवार को राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम लिए बगैर हमला बोला किंतु उनके खिलाफ खुलकर कोई बात नहीं कही। मैं इसके लिए दोषी हूं कि ग्वालियर-चंबल में कुछ लोगों ने विकास की जिम्मेदारी ले रखी थी, जिन्हें मैंने कभी नहीं रोका। यही मेरा दोष है, मैं उन्हें रोकता तब सौदेबाजी कर वे चले गए। अंचल के पिछड़ेपन के लिए यही लोग पूरी तरह से जिम्मेदार हैं। किंतु अब मेरी प्राथमिकता में ग्वालियर-चंबल रहेगा। वहीं कमलनाथ ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को झूठा और किसानों धोखा देने वाला बताया। उन्होंने कहा कि शिवराज सिंह हमसे 15 महीने का हिसाब मांग रहे हैं। जनता उनसे 15 साल का हिसाब मांग रही है तो वह झूठे वायदे कर उन्हें लुभाने में लगे हैं। उन्होंने कहा कि आज प्रदेश की पहचान माफिया, भ्रष्टाचार और पिछड़ेपन से की जा रही है।
यह बात कमलनाथ ने सिटी सेंटर क्षेत्र के एक होटल में पत्रकारों से चर्चा करते हुए कही। उन्होंने कहा कि ग्वालियर-चंबल में मैं पचास साल से आता रहा हूं किंतु यहां की किसी बात में दखल नहीं देता था। किंतु जिस तरह से जिस तरह से यह क्षेत्र पिछड़ा है तो अब यहां विकास कराना मेरी प्राथमिकता रहेगी, क्योंकि जिस ग्वालियर की पहचान मप्र के नाम से होती थी वह आज इंदौर, भोपाल और जबलपुर से भी पिछड़ गया है। यहां नोयडा की तर्ज पर मेगा सिटी बनना चाहिए, जिसमें मैट्रो और फ्लाईओवर भी हों। उन्होंने कहा कि इस तरह के बुनियादी सवाल खड़े हो रहे हैं कि ग्वालियर-चंबल इतना क्यों पिछड़ा, अब ग्वालियर-चंबल में भविष्य का चुनाव होने जा रहा है। यहां के मालनपुर सहित कई बड़े उद्योग बंद हो गए, इसके लिए कौन जिम्मेदार है। मुझे 15 महीने की जगह मात्र साढ़े ग्यारह महीने कार्य करने का मौका मिला। मुझे शिवराज सिंह सर्टिफिकेट की आवश्यकता नहीं है। पहले वह अपने 15 साल के कामों का हिसाब दें। वोट से बनी हमारी सरकार को नोटों से गिरा दिया गया। अब तक सांसद और विधायक के चुनाव किसी के निधन के कारण हुआ करते थे किंतु अब सौदा, बोली और बिकाऊ होकर उप-चुनाव हो रहे हैं, जिसका संविधान में कोई प्रावधान ही नहीं है। इससे लोकतंत्र दांव पर लगा हुआ है। शिवराज सिंह नारियल लेकर घूमते हैं और उसे अपनी झूठे वायदों के साथ कहीं भी फोड़ देते हैं। उनकी योजनाएं धरातल पर ही नहीं आतीं। ग्वालियर-चंबल और प्रदेश में उन्हें घोषणावीर कहा जाता है। अब जनता सबको पहचान रही है। युवा बेरोजगार और मजदूर 15 साल से भटक रहे हैं। यहां कोई निवेश करना नहीं चाहता, क्योंकि यहां की पहचान माफिया और भ्रष्टाचार से हो रही है। ये लोग मुझ पर आरोप लगाते हैं। जबकि मेरे राजनीतिक जीवन में किसी ने उंगली नहीं उठाई। मैंने खुद ने कई चुनाव लड़े हैं और कई बड़े चुनाव कराए भी हैं। मैं ग्वालियर को अच्छी तरह जानता हूं पर राजनीति नहीं करता।
फर्जी किसानों का कर्ज माफ नहीं
उन्होंने दावा किया कि हमने अपने कार्यकाल में 26 लाख किसानों का कर्जा माफ किया। इस दौरान पता लगा कि एक किसान के चार-चार खाते हैं। किसी ने ऋण के रूप में ट्रैक्टर और मकान ले रखा है तो कोई जीएसटी और आयकर चुकाता है। ऐसे लोगों के कर्ज माफ की बात हमने नहीं कही। हमने कहा था दो लाख ऋण वाले किसानों का कर्ज माफ होगा। मैं शिवराज सिंह को चुनौती देता हूं कि मैं इस ओर तो वे दूसरी ओर आ जाएं और ऋण माफी पर चर्चा कर लें। उन्होंने दस दिन के भीतर एक किसान का कर्जा माफ नहीं किया। 53 लाख किसानों के कर्ज माफी के आवेदन इतनी जल्दी नहीं पढ़े और समझे जा सकते कि उनका कर्जा दस दिन के भीतर माफ हो जाए। मैंने जिन किसानों का कर्ज माफ किया है उनके नंबर और पते देने को तैयार हूं।
दौरे से उत्साहित
उन्होंने कहा कि ग्वालियर की माटी ने जिस तरह मेरा स्वागत किया तो मेरा खून बढ़ गया है। यह सरकारी भीड़ नहीं, जनता थी जो भाजपा को नकार रही है। आने वाले चुनाव में कांग्रेस की वापिसी को कोई नहीं रोक सकता।
निष्ठावान कांग्रेसियों के सवाल को टाला
जब उनसे सवाल किया गया कि 25 साल पुराने कांग्रेसियों को दरकिनार कर नए स्वार्थी नेताओं को टिकट दिए जा रहे हैं इस सवाल को उन्होंने यह कहकर टाल दिया कि टिकट तो एक को ही मिलेगा। हमारे यहां निष्ठावान ही आ रहे हैं। उन्होंने सामने खड़े डबरा के प्रत्याशी सुरेश राजे की ओर इशारा करते हुए कहा कि यह मुझसे मिलने आए थे और बोले की मैं आपका प्रत्याशी हूं तो मैंने कहा कि मैं आपको नहीं जानता। क्योंकि हमारे यहां सर्वे के बाद लोकप्रिय नेता को ही टिकट दिए गए हैं।
मैं मुख्यमंत्री और प्रदेशाध्यक्ष का दावेदार नहीं
क्या वर्ष 2018 के चुनाव में आपको पूर्ण बहुमत का जनादेश मिला था, इस सवाल पर उन्होंने कहा कि मैंने कोई सौदेबाजी नहीं की। विधायकों ने मुझे नेता चुनाव तो मुख्यमंत्री बना, जिन्हें 18 मत मिले उन्हें भी याद रखिए। मैं प्रदेश अध्यक्ष का पात्र भी नहीं था, मुझे नेतृत्व ने बोला तो यहां आ गया। मैं मुख्यमंत्री का दावेदार नहीं था और आगे भी नहीं हूं। उन्होंने सिंधिया का नाम लिए बगैर कहा कि जो सेटिंग से पद चाहते थे वे वापस हो चुके हैं।
बल्लभ भवन में मिलने वालों का रहता है रिकार्ड
शिवराज सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा बल्लभ भवन मेें कुछ विशेष लोगों द्वारा किए जा रहे भ्रष्टाचार के आरोपों का उन्होंने यह कहकर जवाब दिया कि बल्लभ भवन आने वाले प्रत्येक व्यक्ति का लेखा-जोखा रहता है और कैमरे भी लगे हैं। अब तो शिवराज सिंह की सरकार है वह इसकी जांच करा लें।
मुख्यमंत्री को बताया 'नालायक
कमलनाथ की मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को लेकर जुबान फिसल गई। वे बोले कि 53 किसानों का कर्ज दस दिन में कैसे माफ हो सकता है। इसकी पहले जांच-पड़ताल करनी पड़ेगी, तभी यह प्रक्रिया आगे बढ़ेगी। शिवराज सिंह चौहान इतने नालायक तो नहीं है कि उन्हें इसकी प्रक्रिया पता न हो।