कमलनाथ विकास के मसीहा को बता गए जिम्मेदार, दौरे के दौरान नहीं दे पाए सवालों के जवाब
ग्वालियर, विशेष प्रतिनिधि।विधानसभा उप-चुनाव को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी के बड़े नेताओं द्वारा जिस तरह से पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की घेराबंदी करते हुए उनसे 15 माह के कार्यकाल के भ्रष्टाचार और विकास को लेकर जवाब मांगे थे, उससे ऐसा लग रहा था कि ग्वालियर चंबल क्षेत्र में जब भी कमलनाथ आएंगे तो सिलसिलेवार एक-एक कर इन सवालों के जवाब देंगे। किंतु उन्होंने इन सारे सवालों तो क्या एक भी सवाल का कोई जवाब नहीं दिया। बल्कि ग्वालियर चंबल क्षेत्र के विकास की बात के लिए सीधे सिंधिया राजपरिवार को जिम्मेदार बता दिया। इसमें कैलाशवासी माधवराव सिंधिया का नाम भी ले गए, जिन्हें विकास का मसीहा कहा गया और उनके द्वारा किए गए विकास आज भी मील का पत्थर माने जाते हैं।
उल्लेखनीय है कि मार्च 2020 में प्रदेश में कमलनाथ की कांग्रेस सरकार के गिरने के बाद से ही राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह द्वारा कमलनाथ एवं दिग्विजय सिंह की जोड़ी पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों के साथ ही विकास के लिए एक फूटी कौड़ी भी नहीं देने के आरोप लगाए गए हैं। इसके अलावा किसानों एवं बेरोजगारों के साथ छलावा सहित अन्य तमाम आरोप भी शामिल हैं। श्री सिंधिया का एक बड़ा आरोप यह है कि 15 माह के कार्यकाल में कमलनाथ ने ग्वालियर चंबल संभाग में पैर तक नहीं रखा और विकास कार्यों के लिए एक रुपया भी नहीं दिया। भाजपा द्वारा कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के खिलाफ पिछले दिनों से इसी तरह की मुहिम छेड़कर आमजन तक यह संदेश देने की कोशिश की गई कि कांग्रेस सरकार से किसी का कतई भला नहीं हुआ, वह प्रदेश को बर्बाद करके चले गए। इस तरह के आरोपों को देखते हुए यह लग रहा था कि कमलनाथ जब भी ग्वालियर आएंगे तो इन सभी सवालों के जवाब देंगे। इसका स्थानीय कांग्रेस नेता भी बेसब्री से इंतजार कर रहे थे कि कमलनाथ किस तरह से भाजपा पर पलटवार करते हैं।
कमलनाथ 18 एवं 19 सितंबर को 25 घंटे के ग्वालियर प्रवास पर रहे। इस दौरान उन्होंने पत्रकार वार्ता और कांग्रेस कार्यकर्ताओं को संबोधन के दो कार्यक्रमों में हिस्सा लिया। इन दोनों ही स्थानों पर कमलनाथ ने ग्वालियर चंबल के विकास को लेकर अपना पल्ला पूरी तरह झाड़ लिया और यह कहकर सवालों को टाल दिया कि इस क्षेत्र में 50 साल से विकास की जिम्मेदारी माधवराव सिंधिया और ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ले रखी थी, इसलिए मैंने किसी तरह का दखल नहीं दिया। इसके साथ ही वे ऐसे बड़े सपने भी दिखा गए कि आने वाले 10 सालों में ग्वालियर स्वर्णिम शहरों में गिना जाएगा। यहां नोएडा की तर्ज पर मेगा सिटी, मेट्रो, फ्लाई ओवर आदि लाए जाएंगे। वह यह बात किस हैसियत से कह गए यह कोई नहीं समझ सका क्योंकि ऐसा तो तभी संभव है जब वह दोबारा मुख्यमंत्री बने और 10 साल तक रहे। क्योंकि उप चुनाव में 28 सीटों की बात करें तो कांग्रेस की हालत बेहद दयनीय है और उसकी सरकार में वापसी दिखाई नहीं दे रही। ग्वालियर-चंबल अंचल की जनता विकास में पिछडऩे के लिए सिंधिया राजपरिवार को दोषी ठहराए जाने से हतप्रभ है। क्योंकि स्व माधवराव सिंधिया को दलगत राजनीति से उठकर सिर्फ विकास के लिए ही जाना जाता है। उनके द्वारा रेलवे मंत्री रहते कई नई ट्रेनें शताब्दी, ताज ग्वालियर को दिलाई गईं। इसके अलावा कई बड़े संस्थान और विकास कार्य ग्वालियर क्षेत्र के लिए कराए गए, जो किसी से छिपे नहीं हैं।अंतरराष्ट्रीय एकदिवसीय क्रिकेट मैच की शुरुआत थी उन्हीं के द्वारा ग्वालियर में कराई। इसके बाद राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा कमलनाथ सरकार के समय में ही 1000 बिस्तर का अस्पताल सहित अन्य कई विकास कार्य जोर-शोर से शुरू कराए गए किंतु कमलनाथ सरकार द्वारा पर्याप्त धनराशि नहीं दिए जाने से वह अटक गए। विकास कार्यों के लिए धनराशि आखिर क्यों आवंटित नहीं की गई, इसका कोई जवाब कमलनाथ ने नहीं दिया। इससे ऐसा लगा कि नौ बार के सांसद, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा अपरिपक्व राजनीति का परिचय दिया गया।
गुना इटावा रेल लाइन में भी बने थे रोड़ा
स्व. माधवराव सिंधिया के समय की बात करें तो गुना-इटावा रेल लाइन के लिए उनके द्वारा स्वीकृति दिए जाने के बाद इस लाइन को पर्यावरण विभाग की अनापत्ति के कारण रोक दिया गया था। उस समय केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री कमलनाथ थे, इसके लिए स्व सिंधिया द्वारा कई बार उनसे अनुरोध किया गया था। फिर भी उनकी ओर से ही कोई कार्यवाही नहीं किए जाने से गुना-इटावा रेल लाइन वर्षों तक लंबित रही।