कार्तिकेय मंदिर के खुले पट, भक्तों को मिला प्रवेश

कार्तिकेय मंदिर के खुले पट, भक्तों को मिला प्रवेश
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ग्वालियर। शहर के जीवाजी गंज स्थित भगवान कार्तिकेय मंदिर के पट रविवार रात 12 बजे खुल गए। भक्तों के दर्शन के लिए साल में एक बार ही मंदिर के पट खुलते है। 400 साल पुराने इस मंदिर में सुबह 4 बजे से भक्तों का आगमन शुरू हो गया है , रात 12 बजे तक लोग दर्शन कर सकते हैं।

जानकारी के अनुसार, इस साल कोरोना संक्रमण के चलते मंदिर में भक्तों को बिना मास्क प्रवेश नहीं मिल रहा है। उन्हें कोरोना गाइडलाइंस के साथ दर्शन कराये जा रहे है। रविवार रात 12 बजे मंदिर के पट खुले और मंदिर की साफ सफाई की गई। इसके बाद भक्तों को प्रवेश शुरू हुआ।

ये है मान्यता -

मान्यता के अनुसार, भगवान शिव और माता पार्वती ने अपने दोनों पुत्रों गणेश और कार्तिकेय के बीच एक प्रतियोगिता का आयोजन किया। उन्होंने अपने दोनों पुत्रो के सामने शर्त रखी की जो तीनों लोकों की परिक्रमा कर सबसे पहले हमारे पास आएगा, वह विजेता और योग्य समझा जायेगा। प्रतियोगिता प्रारम्भ होने के बाद भगवान कार्तिकेय अपने वाहन मयूर पर सवार हो तीनो लोकों की परिक्रमा पर चले गए। वहीँ दूसरी ओर भगवान गणेश ने अपने माता-पिता शिव-पार्वती की परिक्रमा करने लगे। क्योंकि उनमें तीनों लोक समाहित होते हैं।भगवान गणेश की इस बुद्धिमत्ता को देखते हुए शिव -पार्वती सहित सभी देवताओं ने उन्हें विजेता मान लिया। उन्हें आशीर्वाद दे दिया कि उनकी पूजा सभी देवी देवताओं से पहले होगी। कार्तिकेय जब वापिस लौटे तो वह गणेश जी की इस प्रकार जीत देख नाराज हो गए। वह क्रोधित होकर एक गुफा में बंद हो गए। उन्होंने सभी महिला और पुरुष को श्राप दे दिया। जो महिला उनके दर्शन करेगी वह विधवा हो जाएगी,एवं जो पुरुष दर्शन करेंगे वह 7 जन्म नरक में जाएंगे। कार्तिकेय को इस तरह क्रोधित देख भगवान शिव ने उन्हें समझाया एवं क्रोध शांत किया। जब कार्तिकेय का क्रोध शांत हुआ तो उन्होंने वरदान दिया की भगवान कार्तिकेय के जन्मदिन के अवसर पर कार्तिक पूर्णिमा के दिन भक्त उनके दर्शन कर सकेंगे। इसलिए साल में एक दिन इस मंदिर के पट दर्शन के लिए खुलते है।



ऐसा बताया जाता है कि जब भगवान शिव और माता पार्वती ने अपने दोनों पुत्र गणेश और कार्तिकेय से कहा था कि जो तीनों लोक की परिक्रमा करके सबसे पहले हमारे पास आएगा,उसकी पूजा सबसे पहले मानी जाएगी। इस पर भगवान गणेश ने माता-पिता की परिक्रमा लगाई, क्योंकि उनमें तीनों लोक समाहित होते हैं। गणेश की इस बुद्धिमता से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें ये आशीर्वाद दिया था कि उनकी पूजा सभी देवी देवताओं से पहले होगी।

पर जब कार्तिकेय तीनों लोक की परिक्रमा लगाकर वापस लौटे तो देखा कि गणेश की जय जयकार हो रही है। सभी ने उन्हें भगवान मान लिया है। इस पर वो नाराज हुए खुद को एक गुफा में बंद कर श्राप दिया कि जो महिला उनके दर्शन करेगी विधवा हो जाएगी, पुरुष 7 जन्म नरक में जाएंगे। इस पर भगवान शिव ने उन्हें समझाया तो क्रोध शांत हुआ। अंत मे शिव ने वरदान दिया कि कार्तिक के जन्मदिन यानी कार्तिक पूर्णिमा पर उनके दर्शन किये जा सकेंगे। इसलिए साल में ये मंदिर एक दिन के लिए खुलता है।

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