पत्नी व बच्चे बोले, हमारे पिता बेकसूर, कोई नहीं आया हमारे घर
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ग्वालियर, न.सं.। उत्तर प्रदेश के बिकरू गांव में आठ पुलिस कर्मियों की कुख्यात बदमाश विकास दुबे द्वारा हत्या के बाद उत्तरप्रदेश की गुप्तचर शाखा ने मध्यप्रदेश पुलिस को अलर्ट करते हुए उनके यहां दो बदमाशों के पनाह लेने पर सतर्क किया था। आरोपियों के रिश्तेदार के यहां पर पनाह लेने की संभावना अधिक थी। पुलिसकर्मियों की हत्या में नामजद आरोपियों को उत्तरप्रदेश पुलिस तलाशती हुए ग्वालियर आई और दो मददगारों को पकड़कर अपने साथ ले गई। जबकि शहर की एसटीएफ, अपराधा शाखा और स्थानीय थानों को पता भी नहीं चल सका। दोनों राज्यों का तालमेल इस पूरे प्रकरण में बेमेल नजर आया।
कानपुर के चौबेपुर थाना के ग्राम बिकरू में आठ पुलिस कर्मियों की हत्या के बाद विकास दुबे सहित अन्य बदमाशों को पकडऩे के लिए टीमों द्वारा लगातार दबिश दी जा रही थी। गोला का मंदिर थाना क्षेत्र स्थित भगतसिंह नगर में रहने वाले ओमप्रकाश पांडेय और अनिल पांडेय को एसटीएफ पकड़कर अपने साथ ले गई। ओमप्रकाश की बेटी ज्योति और पुत्र अमित का रो-रोकर बुरा हाल है। अपने पिता को बेकसूर बताते हुए ज्योति व अमित ने कहा कि हमारे पिता मालनपुर नोवा फैक्ट्री में काम करते हैं। हमारे यहां कोई बदमाश नहीं आया। विगत डेढ़ दशक से भगतसिंह नगर में ताऊ रामनिवास के मकान में ओमप्रकाश अपनी पत्नी प्रेमलता और दो बच्चों के साथ रह रहे हैं। बच्चों ने रोते हुए कहा कि पुलिस पिता को पीटते हुए अपने साथ ले गई है। अमित पिता को बचाने आया तो उसे मारपीट कर अलग कर दिया।
बिना प्लास्टर के मकान को दिखाते हुए ज्योति कह रही थी कि हमारे पास आज दो वक्त की रोटी भी खाने को नहीे है। पिता ही हमारा सहारा हैं। ज्योति आदर्श विज्ञान महाविद्यालय में प्रथम वर्ष की छात्रा है तो वहीं अमित भी शासकीय विद्यालय में कक्षा 11वीं का छात्र है। घर की माली हालत को बताते हुए ज्योति कहती है कि पिता के पास फीस भरने के लिए कभी पैसे भी नहीं होते हंै और इसी कारण वह हमें सरकारी संस्थानों में पढ़ा रहे हैं। मनोरंजन के लिए घर में टेलीविजन तक नहीं है। ज्योति व अमित ने बिकरू गांव तक नहीं देखा। उनका कहना है हमारे सबसे बड़े ताऊ प्रेमप्रकाश उर्फ प्रेमनारायण उर्फ राजाराम और उनका बेटा शशिकांत विकास दुबे के गांव में रहते हैं। हमें और हमारे पिता को परिवार के कारण परेशानी उठानी पड़ रही है। मौहल्ले के लोग भी दबी जुबां में कह रहे हैं कि ओमप्रकाश के घर कोई आया तो नहीं था। ओमप्रकाश फैक्ट्री मे नौकरी कर अपने बच्चों का पालन पोषण कर रहा है। अब स्थानीय पुलिस जांच में जुट गई है और ओमप्रकाश की पत्नी प्रेमलता से पूछताछ कर बदमाशों के बारे में पता लगाने का प्रयास कर रही है।
बच्चों ने नहीं देखा बिकरू गांव
ओमप्रकाश के तीन भाई चन्द्रप्रकाश पांडेय रामनिवास और प्रेमप्रकाश हैं। ओमप्रकाश की ससुराल इटावा के पास कोई गांव में है। ज्योति व अमित को कभी अपने ताऊ के गांव भी नहीं गए। जिस मकान में ओमप्रकाश रहते हैं उनके साथ बड़े भाई भी रहते हैं, जो पुलिस के भय से छिपते फिर रहे हैं।
पिता की फरियाद लेकर गए थे भाई-बहन
ज्योति और अमित को जैसे ही पता लगा कि शहर मे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आए हुए हैं, वह उनसे अपने पिता की फरियाद लेकर मिलने मोतीमहल पहुंच गए। यहां पर पुलिस ने उनको बिना मिले ही भगा दिया।
पकड़े जाने से भयभीत हैं भाई-बहन
ज्योति और अमित बार बार-एक ही बात दोहरा रहे हैं कि पुलिस कहींं उनको भी नहीं पकड़ ले। भाई बहन का रो- रोकर बुरा है, मां प्रेमलता उन्हें ढांढस बंधा रही है कि जब हमने कुछ ही नहीं है तो फिर चिंता किस बात की। प्रेमलता ने बताया कि हमने उत्तरप्रदेश की पुलिस को जो भी पूछा सब सच बता दिया, कुछ भी छिपाया नहीं। हमारे आज किसी से भी बिकरू गांव में संबंध नहींं हैं।