ग्वालियर की 25 प्रतिशत से अधिक आबादी आई फ्लू की चपेट में चिकित्सक भी संक्रमण की चपेट में

ग्वालियर  की 25 प्रतिशत से अधिक आबादी आई फ्लू की चपेट में चिकित्सक भी संक्रमण की चपेट में
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जयारोग्य चिकित्सालय के नेत्र रोग विभागाध्यक्ष डॉ. डी.के. शाक्य का कहना है कि आई फ्ले के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। ओपीडी में आने वाले मरीजों में 30 प्रतिशत मरीज आई फ्लू के ही हैं|

ग्वालियर, न.सं.। मौसमी बीमारियों के साथ ही शहर से लेकर गांवों तक आई फ्लू फैल गया है। हर घर में मरीजों की भरमार है और 25 प्रतिशत से अधिक आबादी आई फ्लू की चपेट में आ चुके हैं। इसमें बच्चों से लेकर बड़े तक शामिल हैं। जयारोग्य चिकित्सालय के नेत्र रोग विभागाध्यक्ष डॉ. डी.के. शाक्य का कहना है कि आई फ्ले के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। ओपीडी में आने वाले मरीजों में 30 प्रतिशत मरीज आई फ्लू के ही हैं। इसके अलावा अस्पताल के करीब एक दर्जन जूनियर चिकित्सक भी इसकी चपेट में आ चुके हैं। इनके बचाव का सबसे बेहतर उपाय है कि लोग आंखों से हाथ को दूर रखें। क्योंकि, बार-बार आंख छूने पर ही यह बीमारियां फैलती हैं। उन्होंने यह भी बताया कि उन्होंने बताया कि ठंडे तापमान से हवा शुष्क हो जाती है, जो श्लेष्म झिल्ली को निर्जलित कर सकती है, जिससे शरीर श्वसन वायरस संक्रमण से प्रभावी ढंग से बचाव नहीं कर पाता है। धीमे अपघटन के कारण वायरस ठंडे तापमान में संरक्षित रहते हैं, इसलिए वे खुली सतहों (दरवाजे के हैंडल, काउंटरटाप्स, आदि) पर अधिक समय तक टिके रहते हैं।

चश्मों व आई ड्राप की बढ़ी मांग-

आई फ्लू से परेशान लोग जहां अस्पतालों में चिकित्सक को दिखाने तो पहुंच ही रहे हैं। साथ ही आई फ्लू होने या उससे बचाव को लेकर धूप का चश्मा खरीदने के लिए दुकानों पर लोग पहुंच रहे हैं। जिस कारण पिछले एक सप्ताह में चस्मों की दुकानों पर धूप के ब्लेक ग्लास वाले चश्मे की मांग करीब 30 फीसद बढ़ चुकी है। इसके अलावा शहर के मेडिकल स्टोरों पर आई ड्राप की मांग भी बढ़ गई है। एक मेडिकल संचालक ने बताया कि कई लोग बिना चिकित्सक के परामर्श के भी आई ड्रप लेने के लिए मेडिकल पर आ रहे हैं।

बच्चों का रखें विशेष ध्यान-

चिकित्सकों के अनुसार बच्चों में आई फ्लू होने का खतरा ज्यादा हो सकता है। इसका सबसे बड़ा कारण होता है हाइजीन। क्योंकि बच्चे इसका ध्यान नहीं रख पाते हैं और एक-दूसरे को टच करते हैं व बिना हाथ धोए खाना खा लेते हैं, हाथों को आंखों पर लगा लेते हैं। ऐसे में आई फ्लू का जोखिम बढ़ सकता है। इसलिए बच्चों पर विशेष ध्यान रखें।





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