खेत में से निकली है मां शीतला की प्रतिमा
ग्वालियर, न.सं.। नवरात्रि का आज छटवां दिन है। मन्दिरों, पंडालों एवं घरों में माँ के अलग-अलग रूपों की पूजा की जा रही है। नवरात्रि में चारों ओर का वातावरण आनंदित हो रहा है। बाजारों में भी लोगों की अच्छी-खासी भीड़ हो रही है। भीड़ के कारण व्यापारियों के चेहरे भी खिले हुए हैं। नवरात्रि के छटवें दिन आज कात्यायनी माता की पूजा की जा रही है। सूक्ष्म जगत जो अदृश्य और अव्यक्त है उसकी सत्ता मां कात्यायनी चलाती हैं। मां कात्यायनी दिव्यता के अति गुप्त रहस्यों की प्रतीक हैं।
आज हम आपको श्री सनातन धर्म मंदिर के सामने स्थित माँ शीतला माता की जानकारी देने जा रहे हैं। शीतला माता का यह मंदिर लगभग 100 वर्ष पुराना मंदिर है। श्री सनातन धर्म मंदिर क्षेत्र में पहले खेती हुआ करती थी। आज से वर्षों पहले मंदिर के पुजारी देवीराम कुशवाह के नानाजी चुन्नी बलिया खेती कर रहे थे। उस वक्त मेड में से एक पिण्डी मिली। इस पिण्डी को वहीं खेत की एक पाटौर में स्थापित कर दिया गया और शीतला माता के नाम से पूजा-अर्चना की जाने लगी। इसके बाद माता की मूर्ति स्थापित कर मंदिर का निर्माण किया गया। इसके बाद से लेकर आज तक शीतला माता की पूजा की जा रही है।
सोमवार को होती है सबसे अधिक भीड़
इस मंदिर पर समय-समय के अनुसार विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता रहा है। सोमवार को इस मंदिर पर भक्तों की सबसे अधिक भीड़ होती है। नवरात्रि में यह भीड़ काफी बढ़ जाती है। रिहायशी क्षेत्र होने के कारण बासोड़ा में भी कई महिलाएं यहां पूजा-अर्चना करने के लिए आती हैं। इस मंदिर पर आने वाले सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
इनका कहना है:-
'मंदिर 100 वर्ष से अधिक पुराना है। खेती करते वक्त मेरे नानाजी को पिण्डी के रूप में शीतला माता की प्राप्ति हुई है। तब से लेकर आज तक यहां विराजमान पिण्डी की पूजा-अर्चना की जा रही है। यहां आने वाले भक्तों को 100 प्रतिशत मुराद पूरी होती हैं।Ó
देवीराम कुशवाह, पुजारी, शीतला माता मंदिर