कांग्रेस की बढ़ी मुश्किलें, एक और सीट रिक्त होने से सत्ता की राह हुई कठिन
भोपाल/ग्वालियर। प्रदेश में होने वाले उपचुनावों से पहले ब्यावरा विधायक गोवर्धन सिंह दांगी के निधन से खाली हो गई है। जिसके बाद अब रिक्त विधानसभा सीटों की संख्या बढ़कर 28 हो गई है। इससे पहले राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के नेतृत्व में 22 सीटें पूर्व विधायकों के कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल होने से रिक्त हुई थी। सियासी फेरबदल के बाद तीन सीट विधायकों द्वारा कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थाम लेने से खाली हुई है। वहीँ तीन सीटें विधायकों के असमय हुए निधन से खाली हो गई। प्रदेश में यह पहला मौक़ा है जब आम चुनाव के बाद इतनी सीटों पर उपचुनाव हो रहें है।
कांग्रेस की मुश्किल होती राह -
प्रदेश में लगातार रिक्त हो रही विधानसभा सीटों से कांग्रेस के लिए सत्ता में वापसी की राह कठिन होती जा रही है। क्योंकि सिर्फ एक आगर सीट को छोड़कर 27 सीटें कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे एवं निधन से खाली हुई है। 230 सदस्यीय विधानसभा में किसी भी दल को सत्ता में बनें रहने के लिए कम से कम 116 सीटों की आवश्यकता है।वर्तमान समय में भाजपा के पास 107 विधायक है और उसे सत्ता में काबिज रहने के लिए 9 सीटों की आवश्यकता है। वहीँ कांग्रेस के पास 88 विधायक है और उसे सत्ता में वापसी करने के लिए सभी 28 सीटें जीतना बेहद मुश्किल है। जिसके चलते भाजपा की अपेक्षा कांग्रेस की राह ज्यादा कठिन नजर आ रहीं है। वहीँ बसपा ने उपचुनावों में अपने उम्मीदवारों को मैदान में उतारकर और भी रोचक कर दिया। हालांकि दोनों ही दल उपचुनावों में सभी सीटें जितने का दावा कर रहें है।
चुनावी तैयारियों का आगाज -
उपचुनावों को नजदीक देख राजनीतिक दलों ने तैयारियां शुरू कर दी है। जहां भाजपा ने ग्वालियर-चंबल क्षेत्र से चुनावी तैयारियाों की शुरुआत की है। वहीं कांग्रेस ने आगर- मालवा से शंखनाद कर तैयारियों का आगाज किया है। भाजपा इन चुनावों में कांग्रेस सरकार की वादा खिलाफी को मुद्दा बना रही है। वहीँ कांग्रेस कमलनाथ सरकार के पंद्रह महीनों के कार्यों एवं दलबदलू विधायकों को मुद्दा बनाकर मैदान में उतरी है। दोनों ही दलों के नेता बड़े -बड़े दावे करते नजर आ रहे है। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का सोमवार को एक बड़ा बयान सामने आया है। जिसमें उन्होंने दावा किया है की 35 दिन बाद हम विधानसभा का स्पीकर बनाएंगे। ये तो अब आने वाला चुनाव परिणाम ही बताएगा कि किसके दावे में कितना दम है।