गौकाष्ठ से अंतिम संस्कार कराने से नगर निगम का मोह भंग
ग्वालियर, न.सं.। पर्यावरण बचाने के लिए नगर निगम के दावे खोखले साबित हो रहे हैं। इसका जीता जागता उदाहरण यह है कि अंतिम संस्कार में लकड़ी का खर्च कम हो इसके लिए गौशाला में गोबर से बनने वाले गौकाष्ठ से अंतिम संस्कार का कार्य मुक्तिधाम में शुरू किया था। इससे एक ओर जहां अंतिम संस्कार का खर्च कम हुआ था, वहीं गाय के गोबर तथा भूसे का भी भरपूर उपयोग हो रहा था। लेकिन नगर निगम के अधिकारियों की लापरवाही से पिछले दो माह से गौकाष्ठ से अंतिम संस्कार कराने का काम पूरी तरह से बंद हो चुका है। इस बारे में नगर निगम के अधिकारियों का अपना तर्क है। उनका कहना है कि स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा उपलब्ध कराए जाने वाले गौकाष्ठ से उन्हें कोई अधिक आय नहीं हो रही है, इसलिए वह इसका दूसरा विकल्प ढूंढ रहे हैं। जबकि हकीकत यह है कि तत्कालीन निगमायुक्त विनोद शर्मा के द्वारा ऑनलाइन सर्विस एसोसिएशन से गौकाष्ठ उपलब्ध कराने के लिए अनुबंध किया गया था और अगस्त माह में यह अनुबंध समाप्त हो गया है। तब से वहां गौकाष्ठ से अंतिम संस्कार नहीं हो रहे हैं। जबकि मुक्तिधाम में अंतिम संस्कार करने के लिए आने वाले लोग आज भी ऑनलाइन सर्विस को फोन कर गौकाष्ठ की मांग करते हैं। मजबूरी में संस्था उनकी गौकाष्ठ की मांग पूरी नहीं कर पा रही है। वहीं मुक्तिधाम में गौकाष्ठ की आपूर्ति नहीं होने से गौशाला में भी इसके बनाने का काम मंदा पड़ता जा रहा है।
भोपाल के साथ उत्तर प्रदेश में भी हो रहा प्रयोग
गोबर और घास से गौकाष्ठ बनाने की मशीन प्रदेश सहित उत्तरप्रदेश में धूम मचा रही है। यह मशीन ऑनलाइन सर्विस एसोसिएशन के सचिव रमेश कुशवाह ने तीन साल पहले बनाई थी। जिसके बाद सबसे पहले यह मशीन ग्वालियर लाल टिपारा गौशाला में दी गई। उसके बाद भोपाल, कानपुर, मुंबई, भिंड, सागर, मुरैना आदि जगह भेजी गई। जहां पर गौकाष्ठ बनाने में इसका प्रयोग किया जा रहा है।
छह इंच मोटी लकड़ी होती थी तैयार
लाल टिपारा गौशाला में ऑनलाइन सर्विस के कर्मचारियों द्वारा मशीन से गौकाष्ठ बनाया जाता था। सचिव रमेश कुशवाह ने बताया कि मशीन में एक तरफ से गोबर और भूसा मिलाकर डाला जाता है। जबकि दूसरी तरफ से तीन फीट लम्बी और छह इंच मोटी लकड़ी तैयार होकर निकलती है। इस लकड़ी को सुखा लेने के बाद इसका उपयोग अंतिम संस्कार में किया जाता है।
एक हजार रुपए में अंतिम संस्कार
लक्ष्मीगंज मुक्तिधाम में गौकाष्ठों से महज एक हजार रुपए में अंतिम संस्कार किया जाता है। एक अंतिम संस्कार में तीन क्विंटल गौकाष्ठों का उपयोग किया जाता है। वहीं जब लकड़ी और कण्डों से अंतिम संस्कार किया जाता है तो उसमें खर्चा 4500 से 5000 रुपए का आता है। इसके साथ ही गौकाष्ठों से किए गए अंतिम संस्कार के छह घंटे बाद ही अस्थि संचय किया जा सकता है। जबकि लकड़ी से किए गए अंतिम संस्कार में अस्थि संचय के लिए 24 घंटे का समय लगता है।
इनका कहना है.
ऑनलाइन सर्विस एसोसिएशन का अनुबंध खत्म हो चुका है, इसकी मुझे जानकारी मिली है। मैं संबंधित अधिकारियों से नवीनीकरण के संबंध में चर्चा करूंगा।
-नरोत्तम भार्गव. अपर आयुक्त, नगर निगम
संस्था का अनुबंध खत्म हो गया है। इससे नगर निगम को अधिक आय नहीं हो रही है। आचार संहिता के बाद हम इसमें कुछ नया करने पर विचार कर रहे हैं।
केशव सिंह चौहान, नोडल अधिकारी, लाल टिपारा गौशाला
दो महीने पहले हमारा अनुबंध खत्म हो चुका है। अनुबंध के नवीनीकरण के लिए हमने नगर निगम के अधिकारियों को फाइल भी भेज दी है। लेकिन आचार संहिता के कारण नवीनीकरण नहीं हो पा रहा है। मुक्तिधाम से गौकाष्ठ के लिए रोज फोन आते हैं।
रमेश कुशवाह, सचिव, ऑनलाइन सर्विस एसोसिएशन