टूट सकता है कैप्टन रूप सिंह स्टेडियम, सचिन ने खेली थी 200 की पारी
डीआरडीई का 200 मीटर का दायरा, क्षेत्र में पसरा सन्नाटा
ग्वालियर/न.सं.।
बीते रोज उच्च न्यायालय द्वारा रक्षा अनुसंधान (डीआरडीई) के 220 मीटर के दायरे मे आने वाले सरकारी गैर सरकारी इमारतों और भवनों को हटाएं जाने के आदेश के बाद इस हद में कैप्टन रूप सिंह स्टेडियम भी आ रही है। अगर आदेश पर अमल हुआ तो स्टेडियम भी टूट सकती है। यह वहीं स्टेडियम है जहांं वर्ष 2010 में क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुनलकर ने रनों की बारिश कर 200 रन बनाकर विश्व में अपना परचम लहराया था।
शहर को मिली वह पहचान भी समाप्त हो जाएगी। अगर न्यायालय के आदेश पर कार्रवाई की गई तो वह स्थान भी समाप्त हो जाएगा, जहां कभी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच हुआ करते थे। वैसे तो यह स्टेडियम नगर निगम की संपत्ति है लेकिन इस पर वर्षों से जीडीसीए का कब्जा है। इस स्टेडियम का नाम हॉकी के जादूगर खिलाड़ी कैप्टन रूप सिंह के नाम पर रखा गया था। न्यायालय के आदेश के बाद अब जिन लोगों के भवन इस दायरे में आ रहे हैं वह लोग इससे से बचने के कानूनी उपाय ढूढ़ रहे हैं। वहीं पिछले वर्ष जुलाई माह में इसी मामले को लेकर न्यायालय के आदेश पर नगर निगम ने महाराणा प्रताप नगर में करीब आधा दर्जन मकानों को जमीदोंज कर दिया था। उस समय केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर द्वारा रक्षा मंत्री से इस विषय पर चर्चा की गई और उसके बाद यह मामला ठंडा पड़ा गया। साथ ही नगर निगम की कार्रवाई भी सुस्त पड़ गई। इसके बाद महाराणाप्रताप नगर में जिन मकानों को तोड़ा गया था, उन भवन स्वामियों ने दोबारा से उसी स्थान पर अपने मकान खड़े कर लिए। लेकिन बीते रोज उच्च न्यायालय के आदेश के बाद एक बार फिर से महाराणा प्रताप नगर और डीआरडीई की 200 मीटर परिधि में रहने वाले लोगों में दहशत फैल गई है। इस संबंध में अब नगर निगम कानून की राय लेने पर विचार कर रहा है।
क्षेत्र में चल रहा निर्माण कार्य
वर्तमान में महाराणा प्रताप नगर में नगर निगम द्वारा सीवर लाइन का कार्य किया जा रहा है। साथ ही जिन भवनों को बीते वर्ष नगर निगम के मदाखलत अमले ने तहस नहस किया था, वहीं पर अब कैफे रेस्टोंरेट के साथ-साथ डांस एकेडमी भी संचालित हो रही है।
इनका कहना है
न्यायालय का जो आदेश आया है अभी उसकी प्रति हमारे पास नहीं आई है। इस मामले में हम कानूनी राय लेकर शासन के निर्देश के बाद ही आगे की कार्रवाई करेंगे।
-संदीप माकिन, आयुक्त नगर निगम
इन भवनों की नहीं है अनुमति
माधव पवैया, अनिल जैन, मुन्ना सिंह यादव, चन्द्रप्रकाश शिवहरे-अखबार का दफ्तर, सुरेन्द्र सिंह भदौरिया-उप्पल गैरिज संचालित, केपी सिंह, हरीशचन्द्र सेतिया-जीवन ज्योति नेत्रालय, नवभारत प्रेस, शांन्तीचन्द्र द्विवेदी-अल्फांसों रेस्टॉरेंट, गोकुल सोमानी, सौरव अग्रवाल, हरीप्रकाश शिवहरे, चांद खां, इन्द्रश्वर, नारायण प्रसाद मिश्रा, जसवंत हर्षाना, अजय शर्मा, एनसी दीवान, अरविंद दुबे, एसपी शर्मा, सिकंदर गुर्जर, जंडेल सिंह हर्षाना, ऋतु जैन, मुन्नी बाई, रामवीर सिंह, सरमन हर्षना, सुशीला बाई, धर्मेन्द्र पाटौर, दिलीप शर्मा-सांई सर्विस सेंटर, अलका चौधरी, रामस्वरुप शिवहरे, सुदर्शन झंवर, कृष्णानंद शर्मा दलवीर सिंह, कांती प्रकाश गोयल, मिथलेश शर्मा, गौरीशंकर, रमा देवी, शरद भदौरिया, पीके खंडेलवाल, सोयस शर्मा, राघवेन्द्र सिंह, मीना देवी, विवेक सिंह, आरती राजपूत, उमा शर्मा, आरएस भदौरिया के मकान शामिल है।