सिविल अस्पताल हजीरा में मरीज परेशान, आर्थोपेडिक के लिए नहीं बन सका अलग से विभाग

सिविल अस्पताल हजीरा में मरीज परेशान, आर्थोपेडिक के लिए नहीं बन सका अलग से विभाग
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सामान्य मरीजों के बीच कर रहे भर्ती

ग्वालियर। सिविल अस्पताल हजीरा में पहुंचने वाले मरीजों को बेहतर उपचार नसीब हो सके। इसके लिए ऊर्जा मंंत्री द्वारा तमाम प्रयास किए जा रहे हैं। लेकिन जिम्मेदारों की अंदेखी के कारण अस्पताल में उपलब्ध सुविधाओं का लाभ मरीजों को नहीं मिल पा रहा है। जिसका उदाहरण अस्पताल का आर्थोपेडिक विभाग ही है, जहां सारे उपकरण तो उपलब्ध करा दिए गए हैं। लेकिन जिम्मेदारों की अंदेखी के कारण मरीजों को उपकरणों का लाभ तक नहीं मिल पा रहा है।

दरअसल सिविल अस्पताल का बिस्तार करते हुए 100 पलंग का कर दिया गया है। इसके अलावा अस्पताल के ऑर्थोपेडिक विभाग में ऑपरेशन की सुविधा के लिए शासन द्वारा करीब डेढ़ माह पूर्व सी-आर्म मशीन भी उपलब्ध करा दी गई है। लेकिन अस्पताल में चार आर्थोपेडिक चिकित्सक होने के बाद भी ऑपरेशन के नाम पर सिर्फ खाना पूर्ती की जा रही है। क्योंकि पिछले डेढ़ माह के आंकड़ों को देखा जाए तो ऑपरेशनों की संख्या बहुत कम है, जिनमें अधिकांश ऑपरेशन छोटे-मोटे ही हैं।

जिस कारण मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इतना ही नहीं आर्थोपेडिक में सर्जरी की सुविधा होने के बाद भी ऑर्थोपेडिक का अलग से कोई वार्ड भी चिंहित नहीं किया गया है। ऐसे में मरीजों को सामान्य मरीजों के बीच ही भर्ती किया जा रहा है। जबकि अस्पताल के द्वितीय तल पर बने अधिकांश वार्ड खाली पड़े हुए हैं। अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि उनके पास इतना स्टाफ नहीं है कि आर्थोपेडिक का अलग से वार्ड चिंहित किया जा सका। जबकि हकीकत तो यह है कि आर्थोपेडिक विभाग में जितने चिकित्सक हैं, उतने ऑपरेशन ही नहीं किए जा रहे है। यही कारण है कि अलग से वार्ड भी चिंहित नहीं किया गया जा रहा है।

इम्पलांट के लिए भी नहीं व्यवस्था

सिविल अस्पताल के आर्थोपेडिक विभाग में अगर कोई आयुष्मान का मरीज पहुंचता है और उसे इम्पलांट डाला जाना है तो उसे दूसरे अस्पताल में रैफर कर दिया जाता है। क्योंकि आयुष्मान के मरीजों को इम्पलांट उपलब्ध कराने के लिए अभी तक कोई व्यवस्था ही नहीं है। अस्पताल के चिकित्सकों का भी कहना है कि अस्पताल में इम्पलांट वाले ऑपरेशन नहीं किए जा रहे हैं। क्योंकि अभी तक अस्पताल में इम्पलांट खरीदी के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई है।

आईसीयू भी नहीं कर सके चालू

अस्पताल में आईसीयू बने दो वर्ष से अधिक समय हो चुका है। लेकिन आज दिन तक आईसीयू को शुरू ही नहीं किया जा सका है। इतना ही नहीं आईसीयू में वेंटीलेटर भी उपलब्ध हैं।

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