2 करोड़ के राजस्व को चूना लगाने पर भी यशोदा रेजीडेंसी के संचालकों पर कार्रवाई नहीं
ग्वालियर/वेब डेस्क। यशोदा रेजीडेंसी, ग्रीन एवं टावर को बनाने में बकायदा एक समिति का गठन कर सहकारिता विभाग में पंजीयन कराया गया था। इसके बाद संस्था संचालकों द्वारा अलग-अलग नामों से इसका संचालन किया गया। जिसमें अनेक अनियमितताओं की शिकायत एडीजे आरके वर्मा, सेवानिवृत्त डीएसपी एलपी चंदेरिया, नितिन कुलकर्णी, हेमंत शर्मा, शिवशंकर वर्मा , ब्रजेश मिश्रा द्वारा की गई। जिस पर दो बार जांच कराई गई। जिसमें सोसायटी पर दो करोड़ से अधिक के राजस्व की चपत लगाने का मामला उजागर हुआ। जांच रिपोर्ट के सामने आने के बाद दो साल गुजर चुके हैं फिर भी कार्रवाई नहीं होने से संचालकों के हौसले बुलंद हैं।
उल्लेखनीय है कि सहकारिता अधिनियम के अनुसार कोई भी संस्था विकास, वास्तुविद या ठेकेदारी को कोई भी अंश प्रोजेक्ट में विक्रय नहीं करेगा और सिर्फ अपने सदस्यों को ही एक अंश विक्रय करेगा। जबकि इस मामले में दो और दो से अधिक अंश बेचे गए, जो नियम विरुद्ध सिद्ध पाए गए। नियमानुसार सदस्य बने उन्हें उस संख्या के अनुसार आवंटन करना था, जिसका पालन नहीं किया गया। जांच में यह बात भी उजागर हुई है। सभी सदस्यों को 106 ड्यूप्लेक्स बनाकर उसकी रजिस्ट्री करनी थी। स्वीकृति अनुसार मात्र 6 लाख में भूखंडों का विक्रय पत्र संपादित करवा कर शासन के स्टॉम्प शुल्क का गबन किया गया, इस प्रकार शासन ने करोड़ों रुपयों का घपला भी जांच में पकड़ा।
पूरा कार्य गुमराह तरीके से
ग्रह निर्माण सहकारी संस्था के संचालकों द्वारा पूरा कार्य गुमराह तरीके से कराया गया। जिसमें मण्डल में कभी भी आशीष पांडेय, कुलदीप सिंह या अमित सिंह नामक व्यक्ति नामित नहीं रहे हैं। जबकि इन लोगों के नामों से स्वीकृतियां प्राप्त की गईं, ताकि संचालक मंडल के वास्तविक लोग घपलों में कभी पकड़ में न आ पाए। संस्था के सदस्यों की संख्या 300 के तकरीबन है, मगर कभी भी साधारण सभा में भी किसी को आमंत्रित नही किया गया और अपने पारिवारिक लोगों को अध्यक्ष व चपरासी को उपाध्यक्ष बनाकर भवन, ड्यूप्लेक्स, फ्लैट की रजिस्ट्रियां करवाई गईं। जांच में ऐसा उजागर होने के बावजूद दो वर्ष में कोई कार्रवाई नहीं की गई।
गलत दस्तावेजों से पंजीकृत कराई सोसायटी
सहकारी अधिनियम की धारा-72 डी के अनुसार उक्त सभी बातों को जांच में सिद्ध पाया गया है लेकिन उप रजिस्ट्रार, सहकारिता विभाग ग्वालियर ने धारा 76 की कार्यवाही को रोक रखा है, जिसमें मामला जिला सत्र न्यायालय को भेजना चाहिए था। सहकारिता विभाग की जांच रिपोर्ट से यह भी पता चला है कि संस्था द्वारा गलत दस्तावेजों को प्रस्तुत कर सोसायटी रजिस्टर करवाई गई है ताकि संस्था के जरिए तमाम सरकारी छूटों का लाभ लिया जा सके।
दो-दो जांच
यशोदा ग्रह निर्माण के विरुद्ध पहली जांच निरीक्षक राजीव रूपेलिया द्वारा की गई। तत्पश्चात जिलाधीश के आदेश पर पुन: जांच दल का गठन किया गया। जिसका अध्यक्ष कृपाराम शर्मा को बनाया गया। जांच रिपोर्ट में कानून के समस्त बिन्दुओं पर संचालक मंडल को दोषी पाया गया लेकिन कार्यवाही नहीं होने से शिकायतकर्ता बुरी तरह थक चुके हैं।
चोरी की बिजली से रोशन
यशोदा रेजीडेंसी में स्ट्रीट लाइट, बोरिंग सहित संधारण के नाम पर रहवासियों से बिजली की वसूली की जा रही है। जबकि पिछले दिनों ही बिजली विभाग ने बिल जमा नहीं होने पर यहां का बिजली कनेक्शन काट रखा है। जबरन संधारण शुल्क वसूले जाने पर रोजाना विवाद होते हैं जिस पर विवि थाने में अपराधिक प्रकरण भी दर्ज कराया गया है।
इनका कहना है
सहकारिता विभाग की जांच के बावजूद यशोदा रेजीडेंसी के संचालकों पर अभी तक कार्रवाई क्यों नहीं की गई इसे दिखवाया जाएगा। शासन को राजस्व की हानि कतई बदार्शत नहीं की जाएगी।
- कौशलेन्द्र विक्रम सिंह, जिलाधीश, ग्वालियर