पिछले चुनाव में गुना सीट पर चला था ‘नोटा’

पिछले चुनाव में गुना सीट पर चला था ‘नोटा’
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ग्वालियर। देश में होने वाले लोकसभा- विधानसभा चुनाव में ‘नोटा’ का प्रयोग शुरू हुए 10 साल पूरे हो गए हैं। अब एक बार फिर अप्रैल-मई में लोकसभा के चुनाव होने जा रहे हैं। नोटा एक बार फिर अपना रंग दिखाएगा। पिछले चुनाव में ग्वालियर-चंबल संभाग की 4 सीटों में से गुना-शिवपुरी सीट पर सर्वाधिक नोटा का बटन दबा था।वहीं मध्य प्रदेश में रतलाम सीट पर नोटा का बटन अधिक दबा था। देश में लोकत्रांतिक प्रक्रिया के तहत लोकसभा का प्रथम चुनाव फरवरी -52 में हुए था। अब 18 वीं लोकसभा के चुनाव अप्रैल- मई में होने जा रहे हैं। वर्ष 2013 में चुनाव में नोटा का प्रयोग शुरू हुआ। इस बार भी नोटा का प्रयोग होगा।

वर्ष 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में ग्वालियर - चंबल संभाग की 4 सीटों में से सर्वाधिक नोटा का बटन गुना-शिवपुरी संसदीय क्षेत्र में मतदाताओं ने दबाया था। यहां 12,403 मतदाताओं ने चुनाव मैदान में उतरे कांग्रेस उम्मीदवार ज्योतिरादित्य सिंधिया, भाजपा उम्मीदवार केपी सिंह यादव समेत चुनाव मैदान में उतरे 13 उम्मीदवारों को नकारते हुए नोटा का बटन दबाया था। इसी संसदीय क्षेत्र में वर्ष 2014 के चुनाव में भी गुना-शिवपुरी सीट पर सर्वाधिक 12,481 मतदाताओं ने नोटा का बटन दबाया था।ग्वालियर लोकसभा सीट पर 2014 में 4219 मतदाताओं ने उम्मीदवारों को नापसंद करते हुए नोटा का बटन दबाया था। वहीं 2019 में 18 प्रत्याशियों को नापसंद करते हुए 5343 मतदाताओं ने नोटा को वोट दिया था। इसी प्रकार मुरैना -शयोपुर सीट पर वर्ष 2014 में 4792 मतदाताओं ने चुनाव मैदान में उतरे उम्मीदवारों को नकारा था। जबकि 2019 के चुनाव में चुनाव लड़े 25 उम्मीदवारों को 2098 मतदाताओं ने नापसंद कर नोटा को मत दिया था।

भिण्ड- दतिया सीट पर वर्ष 2019 में चुनाव लड़े 18 प्रत्याशियों को 4630 मतदाताओं ने नापसंद कर नोटा का बटन दबाया। जबकि इसी सीट पर वर्ष 2014 में 5572 मतदाताओं ने नोटा का बटन दबाया था। हालांकि नोटा को मिले वोट इतने कम रहे थे , जिनसे दोनों ही चुनाव में परिणाम पर कोई असर नहीं पडा़ था। मध्य प्रदेश में लोकसभा की 29 सीटें हैं। इन सीटों पर 2014 व 2019 में हुए लोकसभा चुनाव के आंकड़ों पर दृष्टिपात करें तो रतलाम नोटा दबाने वालों में सबसे आगे रहा। रतलाम सीट पर 2014 में 30,364 और 2019 में 35 ,431 मतदाताओं ने चुनाव मैदान में उतरे उम्मीदवारों को नकारते हुए नोटा का प्रयोग किया था। दूसरे नबंर पर मंडला संसदीय क्षेत्र रहा था। यहां 2014 में 28, 306 और 2019में 32,240 मतदाताओं ने नोटा का बटन दबाया था। इसी प्रकार तीसरे नबंर पर बैतूल लोकसभा क्षेत्र रहा था। इस संसदीय क्षेत्र में 2014 में 26, 726 तो 2019 में 22,787 मतदाताओं ने चुनाव मैदान में उतरे उम्मीदवारों को नापसंद किया था।

वर्ष 2019 में यह रहा क्रम

1. रतलाम 35,431 2- मंडला 32240 3- बैतूल 22787 4 छिंदवाड़ा

20324 5 शहडौल 20027 6 खरगौन 18423 7 होंशगाबाद 18413 8 धार 17928 9 खंडवा 16005 10 गुना 12403।

वर्ष 2014 में यह क्षेत्र रहे आगे

1 रतलाम 30364 2 मंडला 28,306 3 बैतूल 26,726 4 छिंदवाडा़ 25,499 5 शहडौल 21,376 6 खरगौन 22,141 7 होशंगाबाद 18741 8 सीधी17,350 9 खंडवा 17,149 10 धार 15,437 ।

नोटा कब हुआ लागू

देश में चुनाव मैदान में उतरने वाले उम्मीदवारों में से किसी भी उम्मीदवार को वोट नहीं देने के विकल्प के रूप में नोटा शुरू करने का सुझाव चुनाव आयोग ने वर्ष 2009 में दिया था। इहके बाद उच्चतम न्यायालय ने 27 सितंबर 2013 में नोटा की व्यवस्था करने के निर्देश दिए। वर्ष 2013 में पांच राज्यों मप्र, दिल्ली, छत्तीसगढ़, राजस्थान व मिजोरम में हुए विधानसभा चुनाव में नोटा का प्रयोग शुरू किया गया। वहीं 16 वीं लोकसभा के चुनाव में भी नोटा का प्रावधान किया गया। इसके बाद गुजरात विधानसभा चुनाव में 2017 में वर्ष 2018 में कर्नाटक में नोटा का प्रावधान किया गया। जहां तक विश्व के दूसरे देशों की बात करें तो कोलंबिया, यूक्रेन, ब्राजील, बंग्लादेश, स्पेन, स्वीडन, बेल्जियम, यूनान और फ्रांस जैसे देशों में भी नोटा का प्रावधान है।

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