प्रवासी भारतीयों की पहली पसंद बनी ग्वालियर-मुरैना की गजक, पिछले साल की तुलना में बढ़ी बिक्री

प्रवासी भारतीयों की पहली पसंद बनी ग्वालियर-मुरैना की गजक, पिछले साल की तुलना में बढ़ी बिक्री
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ग्वालियर। सर्दी के मौसम में तिल से बने व्यंजनों का बाजार गर्म है। ठंड के मौसम में तिल से बने व्यंजनों की बात ही कुछ और है। यूं भी मकर संक्रांति और लोहड़ी के पर्व पर तिल से बने व्यंजनों, खासकर गजक की मांग खूब बढ़ जाती है सो शहर में जगह-जगह गजक व तिल से बने दूसरे व्यंजनों का कारोबार खूब देखने को मिल रहा है। पिछले साल की तुलना में तिल से बने आयटम्स पर 20 से 40 प्रतिशत तक महंगाई दिखने में आ रही है। वाबजूद इसके इसकी खरीद पर कोई असर नहीं है। पिछले सालों की तुलना में इस बार गजक की बिक्री बढ़ी है। ग्वालियर-मुरैना की गजक इस बार इंदौर में आए प्रवासी भारतीयों की भी खासी पसंद बनी हुई है।

ग्वालियर-चंबल के कई व्यंजन देश-दुनिया में प्रसिद्ध हैं। इसमें एक है गजक। गजक खासकर सर्दियों में ही खाई जाती है, इसलिए इन दिनों इसका बाजार सजा हुआ है। मकर संक्रांति और लोहड़ी पर गजक व तिल से बने दूसरे व्यंजनों के सेवन व दान का विशेष महत्व है सो इन दिनों गजक की खूब बिक्री देखी जा रही है।

इस बार 40 प्रतिशत पर मंहगाई, पर बिक्री पर असर नहीं -

गजक सहित तिली से बने दूसरे व्यंजनों पर इस बार 20 से 40 प्रतिशत तक की महंगाई है, लेकिन इसकी बिक्री पर असर नहीं है। गजक पर महंगाई भी तिली के कारण है। पिछले साल 140-150 रुपए किलो में बिकने वाली तिली इस बार 190 रूपये किलो है। ऐसे में गजक व दूसरे व्यंजनों की कीमतें बढऩा स्वाभाविक ही है। पिछले साल 200 रूपये किलो बिकने वाली गजक इस दफा 240 से 280 रूपये किलो तक है।

10 करोड़़ तक की गजक बिक जाती है सालभर में

ग्वालियर में गजक व तिली से बने आयटम्स की लगभग तीन सौ दुकानें हैं। इनमें कई कारखाने भी हैं। इनमें नवंबर से फरवरी मार्च तक करीब 10 करोड़ का कारोबार होता है। यूं तो गजक अब कई शहरों में बनाई जा रही है, लेकिन ग्वालियर-मुरैना की गजक दुनियाभर में मशहूर है। यहां सर्दी में लगातार मांग बनी रहती है। ग्वालियर की गजक इंदौर, भोपाल के साथ पुणे, महाराष्ट्र के कई शहरों के अलावा दिल्ली एनसीआर अहमदाबाद तक आपूर्ति की जाती है।

ये हैं कीमतें

  • सादा गजक- 240 से 280 रूपये
  • ड्रायफ्रूट्स देशी घी की गजक- 480 से 500 रूपये
  • तिल मावाबाटी - 480 रूपये
  • गजक का समोसा- 680 रूपये
  • पंचरत्न बर्फी - 400 से 450 रूपये
  • मावे की गजक- 480 रूपये
  • साबुत तिली के लड्डू - 280 रूपये
  • रेवड़ी- 280 रूपये
  • देशी घी की रेवड़़ी - 350 रूपये
  • गुड़ की चिक्की - 250 रूपये

(सभी भाव प्रतिकिलो ग्राम)

इंदौर समिट में आए दूसरे देशों के प्रवासी भारतीय को गजक के व्यंजन खब पसंद आ रहे हैं।

इनका कहना है।

इस बार पिछले सालों की तुलना में गजक का कारोबार ठीक है। हमारे यहां तो गजक का काम पुस्तैनी रूप से होता आ रहा है। इस बार तिली के मंहगे होने से 20 से 40 रूपये प्रतिशत महंंगाई है, लेकिन मांग पर असर नहीं है। संक्रांति पर डिमांड बढ़ेगी।

सुरेश शर्मा

गजक कारोबारी

इस बार गजक का बाजार ठीक चल रहा है। मांग भी बढ़ी है। हम दूसरे शहरों में भी सप्लाई कर रहे हैं। इस बार गजक पर थोड़ी महंगाई जरूर है, पर बिक्री पर कोई असर नहीं है।

जगदीश राठौर

गजक कारोबारी

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