ट्रेनों में स्लीपर व सामान्य कोच की संख्या घटी, पैर रखने तक की नहीं मिल रही जगह

ट्रेनों में स्लीपर व सामान्य कोच की संख्या घटी, पैर रखने तक की नहीं मिल रही जगह
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लंंबी दूरी की अधिकत्तर ट्रेनों में यात्री हो रहे परेशान

ग्वालियर। ट्रेनों में स्लीपर और सामान्य कोच की संख्या कम होने का खामियाजा यात्रियों को भुगतना पड़ रहा है। ऐसे ही हाल शुक्रवार की रात को ग्वालियर पहुंची ट्रेन नंबर 12780 गोवा एक्सप्रेस ट्रेन में देखने को मिला जब ट्रेन के सभी स्लीपर कोचों में पैर रखने तक की जगह नहीं थी। यह हाल केवल एक ट्रेन का नहीं है बल्कि सभी लंबी दूरी की ट्रेनों में देखने को मिलता है।

रेल प्रशासन भले ही यात्री सुविधा उपलब्ध कराने का दावा करती हो, लेकिन सफर में स्थिति अनुकूल नहीं है। ट्रेनों में स्लीपर और सामान्य कोच की संख्या कम होने के बाद लंबी दूरी की ट्रेनों में यात्री ठसाठस बैठ रहे हैं। साथ ही बाथरुम और गेट के आसपास सो रहे हैं। बाथरुम से उठने वाली बदबू से भी यात्री खासे परेशान होते हैं।

ट्रेनों में यह स्थिति स्लीपर और जनरल कोच की संख्या घटने से हुई है। शुक्रवार को रात करीब 8:35 बजे रेलवे स्टेशन से गोवा एक्सप्रेस ट्रेन रवाना हुई। इस दौरान संवाददाता ने मौके पर पहुंचकर देखा तो इस ट्रेन में मात्र दो सामान्य कोच थे जो पूरी तरह से पैक थे, हालत यह थी कि सांस लेेना भी मुश्किल हो रहा था। इस ट्रेन में स्लीपर कोच के नाम पर मात्र दो कोच थे। दोनों कोचों में पैर रखने तक की जगह नहीं थी।

यात्री ठंसाठस भरे हुए थे यहां तक कि ट्रेन में चढऩे तक की जगह नहीं थी। आगरा से ग्वालियर की यात्रा करने के बाद स्टेशन पर उतरे यात्री बृजेश दुबे, ने बताया ट्रेन के स्लीपर कोच में बड़ी मुश्किल से चढ़ पाए थे और ट्रेन में चढऩे के बाद पैर रखने तक की जगह नहीं थी। गेट के पास ही खड़े होकर यात्रा करनी पड़ी। यही हाल अन्य यात्रियों का भी है।

शादियों के चलते स्लीपर कोच बने जनरल कोच

अप्रैल में शादियों के चलते ट्रेनें फुल चल रही हैं। इसी के साथ समर सीजन शुरू भी शुरू हो चुका है। यही कारण है कि लोग छुट्टियों को लेकर प्लानिंग कर रहे हैं। शहर से दिल्ली, हैदराबाद, चैत्रई, पुणे, मुंबई जाने वाले यात्री अधिक हैं।एसी कोच तो फुल चल ही रहे हैं साथ ही स्लीपर कोच की सीटें भी फुल चल रही हैं, अगर बात करें सामान्य कोच की तो आम आदमी को उसमें पैर रखने की जगह नहीं मिल रही। मजबूरी में लोग स्लीपर कोच में चढ़ जाते हैं तो यहां भी यात्रियों को पैर रखने की जगह तक नहीं मिलती है। यात्रियों को खड़े-खड़े यात्रा करना पड़ रही है। कई बार विवाद की स्थिति भी बनती है। यात्रियों के अनुसार, रेलवे को सामान्य कोच की संख्या बढ़ाना चाहिए। लंबी दूरी के लिए ज्यादातर लोग बसों से ज्यादा ट्रेनों को सुरक्षित मानते हुए यात्रा करते हैं। यही कारण है कि लंबी दूरी के लिए जाने वाली ट्रेनों के रिजर्वेशन वेटिंग में रहते हैं।

सामान्य कोच कम करने से बढ़ी परेशानी

रेलवे ने कोरोना के बाद से ही सभी पैसेंजर ट्रेनों को मेल और एक्सप्रेस का दर्जा दे दिया। आईसीएफ रैक कोच एलएचबी रैक में बदल दिया। इस वजह से अधिकत्त्र ट्रेनों में सामान्य कोच चार की जगह दो रह गए है। श्रीधाम एक्सप्रेस में दो सामान्य कोच है, जबकि 11 स्लीपर और थर्ड एसी के 6 व सेकेंड एसी के दो कोच है।

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