आंदोलन का उद्देश्य सकारात्मक हो तो लोकतंत्र की नींव है : ओजस्विनी विचार मंच

आंदोलन का उद्देश्य सकारात्मक हो तो लोकतंत्र की नींव है : ओजस्विनी विचार मंच
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आंदोलन और देश की प्रगति विषय पर ई - परिचर्चा का आयोजन

ग्वालियर। ओजस्विनी विचार मंच के अंतर्गत आज आंदोलन और देश की प्रगति विषय पर मासिक परिचर्चा का आयोजन किया गया ।जिसमें शामिल वक्ता बहनों ने कहा कि आंदोलन लोकतंत्र की नींव है बशर्ते कि उनका उद्देश्य सकारात्मक हो। भारत में आंदोलनों का इतिहास पुराना है । महात्मा गांधी, डॉ भीमराव अंबेडकर,आचार्य विनोबा भावे, सावित्रीबाई फुले जैसी अनेक महान हस्तियों ने राष्ट्र की भलाई के लिए आंदोलनों का सहारा लिया है।

इस दौरान न वक्ता बहनों ने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन,चिपको आंदोलन, चंपारण आंदोलन,श्वेत क्रांति, हरित क्रांति, राम मंदिर निर्माण का आंदोलन, रामसेतु संरक्षण आंदोलन इत्यादि ऐसे अनेक उदाहरण है जिनसे राष्ट्र की प्रगति का मार्ग प्रशस्त हुआ है ।

सरकार के खिलाफ प्रदर्शन फैशन बन रहा -

भारत एक लोकतांत्रिक देश है जहाँ प्रत्येक व्यक्ति अपनी बात रखने के लिए स्वतंत्र है परंतु लोकतंत्र के नाम पर या फिर बोलने की आजादी के नाम पर राष्ट्र के विरुद्ध कोई भी कार्य हमारी राष्ट्रभक्ति और निष्ठा पर प्रश्नचिन्ह लगाता है । आजकल विरोध स्वरूप सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करना, यातायात अवरुद्ध करना,बाजार बंद करवाना, तोड़फोड़ करना, नारेबाजी करना,सोशल साइट्स पर तर्कहीन और असभ्य मैसेज करना फैशन बनता जा रहा है । कभी-कभी मीडिया भी इन कार्यों में भरपूर सहयोग देती जान पडती है ।

प्रेम नहीं बल्कि देशद्रोह-

प्रश्न यह उठता है कर्तव्यों को भूल कर केवल अधिकारों की बात क्यों? अधिकारों के लिए भी विरोध दर्ज कराने का तरीका सही और शांतिपूर्ण हो इसका विचार क्यों नहीं ? आंदोलन और हड़ताल के दोषपूर्ण रवैये से एक आम नागरिक की पीड़ा के साथ-साथ देश को आर्थिक क्षति पहुंचाना क्या राष्ट्रवादी आंदोलन हो सकता है? राष्ट्रीय संपदा को नुकसान पहुंचाकर आधे अधूरे ज्ञान के साथ भीड़ का हिस्सा बनना देश प्रेम नहीं बल्कि देशद्रोह है ।

ये महिलायें हुई शामिल -

इस कार्यक्रम का संचालन नीलम शुक्ला, प्रस्तावना नंदिता चतुर्वेदी, गीत गरिमा चोपड़ा और आभार डॉ कल्पना शर्मा ने किया। इसमें 50 बहनों की सहभागिता रही। जिनमें मानसी सोलापुरकर, जाई शेजवलकर,अर्चना शर्मा, अर्चना वामन गया, सीमा दुबे, सीता सिंह, डॉ विनीता जैन, डॉ मंदाकिनी शर्मा,डॉ रितु नामधारी एवं डॉ नीतू भारद्वाज आदि बहनों ने अपने विचार रखें ।


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