ग्वालियर में सांड के मारने से घायल वृद्ध की मौत
ग्वालियर। मेरे भाई तो घर के बाहर धूंप में बैठे हुए थे, जब वह उठकर आगे की तरफ जा रहे थे, तभी सांड ने उठाकर उनको पटक दिया। इलाज के बाद भी हम अपने भाई को नहीं बचा सके। हे भगवान हमारे भाई का कसूर था,जो हमे उनसे छीन लओं। यह दर्द उस भाई का है जिसके वृद्ध भाई मुंशी सिंह कुशवाह को 12 फरवरी को एक आवारा सांड ने गोलपहाडिय़ा स्थित बिजली रोड पर पटक दिया। सांड के हमले से घायल वृद्ध की 13 फरवरी को इलाज के दौरान मौत हो गई। इस दौरान मृतक के परिजन लचर सिस्टम के आगे उपचार से लेकर शव विच्छेदन तक के लिए परिजन परेशान होते रहे, लेकिन किसी का भी लि तक नहीं पसीसा। मृतक के परिजनों का कहना था कि अगर समय पर इलाज और जांच शुरु होती तो शायद आज मुंशी सिंह कुशवाह जिंदा होते।
शहर में नगर निगम द्वारा चलाए जा रहे आवारा सांड पकड़ों अभियान के बाद भी सडक़ों पर मदमस्त सांड लोगों की जान के दुश्मन बने हुए है। नगर निगम द्वारा सैकड़ों सांड पकडऩे जाने के बाद भी शहर में सांडों की संख्या कम होने का नाम नहीं ले रही है। ऐसे ही एक आवारा सांड ने गोलपहाडिय़ा क्षेत्र में एक वृद्ध को मौत के घाट उतार दिया।
गोल पहाडि़य़ा क्षेत्र के बिजली घर के पास रहने वाली मुंशी सिंह कुशवाह उम्र 63 वर्ष रोज की तरह 12 फरवरी को धूंप में बैठे थे, कुछ देेर बाद वह उठे और थोड़ा चल रहे थे तभी पीछे से आ रहे एक आवारा सांड ने पीछे से उन्हें जड्ड मारी। जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गए। हादसे का पता चलते ही परिजन उन्हें तुरंत आनन फानन में उन्हें इलाज के लिए ट्रॉमा सेंटर ले गए। लेकिन इलाज के दौरान उन्होंने दम तोड़़ दिया। अपने भाई की मौत के बाद से दुखी उनके छोटे भाई ने बस इतना ही कहा कि अगर नगर निगम ने सांड पकड़ लिया होता तो शायद आज उनके भाई जिंदा होते।
जहां से सूचना मिलती है वहीं पहुंचता है अमला
शहर में आवारा पशुओं के चलते हो रहे हादसे के बाद भी नगर निगम प्रशासन चेता नहीं है। हाल ही में सांड की टक्कर से वृद्ध की हुई मौत के बाद भी निगम प्रशासन की नींद नहीं खुली है। सडक़ों पर जगह जगह आवारा पशुओं का जमावड़ा देखा जा सकता है। जिसके चलते फिर कोई बड़ा हादसा हो सकता है। हालांकि इन आवारा पशुओं को पकडऩे के लिए निगम का अमला अलग से तैनात है जो केवल खानापूर्ति कर रहा है। आज भी नगर निगम का अमला केवल उन्हीं स्थानों पर सांड पकडऩे की कार्रवाई कर रहा है जहां पर शिकायत आती है। शहर में गाय, बैल, सांड एवं कुत्ते आदि आवारा जानवरों को पकडऩे के लिए निगम द्वारा मदाखलत अमले पर लाखों रुपए हर माह खर्च करती है। लेकिन समस्या जस की तस बनी है। इसका प्रमुख कारण है कि शहर में अलग अलग विभागों के अधिकारियों के बीच तालमेल का अभाव है जिसके चलते इन आवारा जानवरों के बीच से होकर आला अधिकारियों के वाहन तो गुजर जाते हैं पर कोई भी इसकी शिकायत निगम आयुक्त या अमले से नहीं करता है। जिसके चलते वह कार्रवाई के नाम पर कोरमपूरा करते हैं।
आवारा मवेशियों को पकडऩे के लिए सिर्फ दो ट्रॉली
निगम अमले के पास आवारा पशुओं को पकडऩे के लिए दो ट्रैक्टर-टॉली मौजूद हैं। साथ ही दो एंबुलेंस भी उपयोग में ली जाती है। इनको पकडऩे के लिए निगम के पास सिर्फ 21 कर्मचारी है। जबकि जरुरत 20 की ओर है। कर्मचारियों की कमी के कारण रात में मवेशियों को पकडऩे का अभियान बंद पड़ा हुआ है।
एक गाड़ी पर पांच कर्मचारी
-आवारा मवेशियों को पकडऩे के लिए एक गाड़ी पर कम से कम पांच कर्मचारियों को तैनात किया जाता है। दो शिफ्ट के हिसाब से निगम के पास मैन पावर की कमी है। इन्हीं कर्मचरियों को श्वान व एम्बुलेंस की गाड़ी में भी भेजा जाता है।
अभी हाल ही में यहां हो चुके है हादसे
-१९ मार्च 2023 को पड़ाव स्थित डफरन सराय के पास आरएस पाराशर के घर की दीवार उस समय टूट गई थी जब दो सांड आपस में लड़ रहे थे। इस घटना के बाद से पूरा परिवार दहशत में है।
-१३ मार्च 2023 को राममंदिर के पास एक बालक को सांड ने पटक दिया था, लेकिन लोगों की मदद से वह बच गया।
वार्ड 58 के हरीशंकर पुरम में सूरी हाउस के पास कॉलोनी में आ रही एक महिला पर अचानक सांड ने हमला कर दिया। इससे वह बुरी तरह घबरा कर दहशत में आ गई।
-वर्ष 2022 में 9 अगस्त को पूर्व पार्षद जगदीश पटेल पर सांड ने हमला कर दिया था, जिसमें वह गंभीर रूप से घायल हुए थे।
इस तरह रोक सकते हैं
-ग्रामीण क्षेत्र के गोवंश को शहर मेे नहीं आने दिया जाए।
-गोवंश का प्रजनन नहीं बढऩे दिया जाए।
-गोबर व गोमूत्र का क्रय किया जाए।
-गोवंश को छुड़वाने वाले से बॉन्ड भरवाया जाए।
-गोवंश को खुले में छोडऩे वाले पर सख्त कार्रवाई की जाए।
वार्ड वार चले अभियान
आवारा पशुओं को यदि सही तरीके से पकडऩा है तो नगर निगम को वार्ड वार
योजना बनानी होगी। वार्ड वार योजना बनने से सभी विधानसभाओं में हर दिन के हिसाब से अभियान चलाया जाए तो आवारा पशुओं से जल्द ही शहर को मुक्ति मिल सकती है।
यहां रहते हैं सबसे अधिक झुंड
शहर में सबसे ज्यादा आवारा पशु थाटीपुर से नदी पार टाल, मुरार बारादरी, पड़ाव, लक्ष्मीगंज, गोलपहाडि़य़ा, गोविंदपुरी चौराहा क्षेत्र, फूलबाग चौराहा, बाड़ा, किला गेट, तानसेन नगर, अलकापुरी क्षेत्र, मोतीमहल क्षेत्र, विनय नगर क्षेत्र, बहोड़ापुर क्षेत्र, सीपी कालोनी, गोले का मंदिर, दीनदयाल नगर, किला गेट, खेड़ापति कॉलोनी जीडीए ऑफिस के पास, नाका चंद्रबदनी और चार शहर का नाका पर जानवरों के झुंड हर रोज घूमते रहते हैं।