आईआईटीटीएम ग्वालियर में मनाया ओणम, पारंपरिक नृत्य कर समझाया महत्व
ग्वालियर। भारतीय पर्यटन एवं यात्रा प्रबंध संस्थान में (आईटीटीएम) में मंगलवार को ओणम पर्व मनाया गया। ओणम जिसे मलयालम भाषा में थिरुवोणम भी कहते हैं। ओणम को खास तौर पर खेतों में फसल की अच्छी उपज के लिए मनाया जाता है। इसी क्रम में आज भारतीय पर्यटन एवं यात्रा प्रबंध संस्थान में पढ़ने वाले छात्र एवं छात्रों एवं युवा पर्यटन क्लब द्वारा ओणम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत संस्थान के निदेशक डॉ आलोक शर्मा एवं संस्थान के नोडल ऑफिसर डॉ सौरभ दीक्षित द्वारा दीप प्रज्वलन कर किया गया। इसके बाद छात्राओं द्वारा परमपारंपरिक नृत्य, तिरुवातिराक्कलि श की प्रस्तुति दी गयी। इसके बाद संस्थान के छात्र एवं छात्राओं के साथ-साथ संस्थान के स्टाफ के लिए विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिसमें सभी ने बड़े ही उत्साह के साथ भाग लिया। कार्यक्रम में डॉ चंद्रशेखर बरुआ, डॉ रमेश देवर, श्रीरामाकृष्णा कोंगला, आलोक कालुसकर, आदिल कुरैशी आदि उपस्थित रहे।
क्यों मानते हैं ओणम -
ऐसा कहा जाता है कि केरल में महाबलि नाम का एक असुर राजा था. उसके आदर सत्कार में ही ओणम त्योहार मनाया जाता है. ये त्योहार भगवान विष्णु के वामन अवतार को समर्पित है। यह त्योहार तीन दिन तक मनाया जाएगा। ओणम का महत्व है कि ओणम का त्योहार चिंगम महीने में मनाया जाता है. चिंगम को मलयालम लोग साल का पहला महीना मानते हैं. वहीं हिंदू कलैंडर लोग साल का पहला महीना मानते हैं. वहीं हिंदू कलैंडर के अनुसार देखें तो चिंगम महीना अगस्त या सितंबर का होता है. ओणम के हर दिन का एक खास महत्व हैं।